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ये हिंदी सिनेमा को वो एक्टर हैं, जिन्होंने फिल्मों में अपने किरदारों में हास्य के विभिन्न किरदारों को बिखेरा और दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया. 4 दशक तक 300 से ज्यादा फिल्मों में काम करने वाले इस एक्टर ने अपने ह…और पढ़ें

राजेश खन्ना पर जब चढ़ा स्टारडम, 1 थप्पड़ में याद दिलाया STATUS, खुद को बताते थे अमिताभ बच्चन का दूसरा ‘बाप’

राजेश खन्ना को एक समय के बाद अमिताभ ने ही टक्कर दी.

हाइलाइट्स

  • एक्टर होने के साथ रहा नामी डायरेक्टर.
  • नए लोगों को देते थे काम करने का मौका.
  • 300 से ज्यादा फिल्मों में किया काम.

नई दिल्ली. हिंदी सिनेमा में कॉमेडी के बेताज बादशाह माने जाने वाले एक ऐसे अभिनेता, जिनकी फीस फिल्मों के हीरो से भी ज्यादा हुआ करती थी. लंबी-चौड़ी पर्सनैलिटी और हैंडसम नजर आने वाले ऐसे अभिनेता, जिन्होंने हिंदी सिनेमा में कॉमेडी को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया. लेकिन क्या आप जानते हैं की अपनी एक्टिंग से पूरी दुनिया को हंसाने वाले इस शख्स की जिंदगी पूरी जिंदगी संघर्ष और दुखों से भरी रही. ये वही एक्टर हैं, जिन्होंने उसे जमाने के सुपरस्टार राजेश खन्ना को सबके सामने थप्पड़ जड़ दिया था. फिर भी एरोगेंट माने जाने वाले राजेश खन्ना ने उनकी फिल्म को पूरा किया. इतना ही नहीं ये वो एक्टर हैं, जो खुद को अमिताभ बच्चन का दूसरा ‘बाप’ मानते थे.

ये एक्टर और कोई नहीं बल्कि महमूद अली थे. महमूद अली एक एक्टर होने के साथ-साथ फिल्म निर्देशक भी रहे. महमूद के समकालीन और बाद के कई कलाकारों ने उनके पत्रों की नकल की. यहां तक की बॉलीवुड की शहंशाह अमिताभ बच्चन ने भी उनके हैदराबादी किरदार को हूबहू पर्दे पर उतारा था. महबूब साहब की खासियत थी कि वह दर्शकों को जितना हंसकर लोटपोट कर सकते थे उतना ही सादगी और संजीदगी से लोगों की आंखें भी नाम कर दिया करते थे.

‘किस्मत’ में निभाया अशोक कुमार के बचपन का किरदार
महमूद अली 8 भाई-बहनों में दूसरे नंबर के थे. बचपन से ही परिवार की जिम्मेदारी संभाली. पिता और बड़ी बहन फिल्मों में काम करती थी तो खुद भी उन्होंने यह राह चुनी. बचपन में जो छोटे-मोटे किरदार मिलते थे, वह इसके लिए हां कर देते थे. सड़कों पर कभी अंडे बेचकर तो कभी मुंबई की लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचकर भी वह गुजारा किया करते थे. लेकिन इस सब के बाद भी उनकी दुनिया एक्टिंग के इर्द-गिर्द ही घूमती थी. उनके मन में एक्टिंग को लेकर जुनून काम नहीं हुआ. बेटे की ललक देख उनके पिता ने सिफारिश की और उनको बॉम्बे टॉकीज की फिल्में काम मिल गया. उन्होंने साल 1943 में रिलीज फिल्म ‘किस्मत’ में दिग्गज एक्टर अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाई थी.

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महमूद अली ने बचपन में कई फिल्मों में स्टार्स के बचपन का रोल प्ले किया.

‘नादान’ की शूटिंग के दौरान चमका सितारा
इस बीच उन्होंने ड्राइविंग का काम सीखा और कुछ समय के बाद ही ज्ञान मुखर्जी के यहां ड्राइविंग करने लगे. क्योंकि इसी बहाने उन्हें हर दिन मलिक के साथ स्टूडियो जाने का मौका मिल जाया करता था. इसके बाद महमूद ने गोपाल सिंह, मेंहदी अली और एक अन्य निर्माता के घर पर भी ड्राइविंग का काम किया. महमूद की किस्मत का सितारा तब चमक जब फिल्म ‘नादान’ की शूटिंग के दौरान एक्ट्रेस मधुबाला के सामने एक जूनियर आर्टिस्ट लगातार 10 रीटेक के बाद भी अपना डायलॉग नहीं बोल पाया. फिल्म निर्देशक हीरा सिंह ने यह डायलॉग महमूद को बोलने के लिए कहा, जिसे उन्होंने बिना रीटेक एक ही बार में फर्राटे अंदाज में बोल दिया.

फिल्म में काम करने के लिए मिले थे 300 रुपये
इस फिल्म में महमूद को ₹300 मिले, जबकि बतौर ड्राइवर उन्हें महीने भर में 75 रुपए मिला करते थे. फिर उन्होंने ड्राइवरिंग का काम छोड़ दिया और अपना नाम जूनियर आर्टिस्ट एसोसिएशन में दर्ज करा लिया. फिल्मों में काम करने के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया. इसके बाद उन्होंने बतौर जूनियर आर्टिस्ट ‘दो बीघा जमीन’, ‘जागृति’, ‘सीआईडी’, ‘प्यासा’ जैसी फिल्मों में छोटे-मोटे रोल किया लेकिन इससे उन्हें कुछ खास फायदा नहीं हुआ.

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फिल्म ‘नादान’ के बाद उन्होंने तय कर लिया था अब फिल्मी दुनिया के सिवाय कुछ नहीं.

रिपीटेड रोल से बचने के लिए कई अलग जॉनर्स में खुद को किया पेश
इन फिल्मों के बाद महमूद के काम पर उस वक्त के नामी फिल्ममेकर गुरुदत्त की नजर पड़ी. उस साल उन्होंने फिल्म ‘प्यासा’ में उन्होंने एक छोटा लेकिन अच्छा रोल दिया. इसके बाद उन्होंने ‘छोटी बहन’ फिल्म काम किया, जो उनके करियर के लिए मिल का पत्थर साबित हुई. इस फिल्म की सफलता के बाद वह फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए. साल 1960 के दशक में आए फिल्म ‘पड़ोसन’ उनके करियर की सबसे सफल फिल्मों में से एक है. ‘पड़ोसन’ को हिंदी सिने जगत की सबसे बेहतरीन फिल्मों में गिना जाता है. रिपीटेड रोल से बचने के लिए उन्होंने कई अलग जॉनर्स में खुद को पेश किया ‘पड़ोसन’ इसका एक जीत जाता उदाहरण है. इस फिल्म में उन्होंने एक ग्रेट सेट का कॉमिक रोल निभाया और दर्शकों की वाहवाही लूटने में सफल रहे. फिल्म का एक गाना ‘एक चतुर नार’ तो आज भी लोगों को बेहद पसंद आता है.

नए लोगों को देते थे काम करने का मौका
1970 में आई फिल्म ‘हमजोली’ में महमूद ने की एक्टिंग का एक अलग पहलू देखने को मिला. इस फिल्म में उन्होंने ट्रिपल रोल निभाया और दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. उन्होंने फिल्मों में काम करने के साथ प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया. वह नए लोगों को काम करने का मौका देते थे. इस लिस्ट में एक नाम बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन का भी है बॉलीवुड में जब बिग बी ने काम करना शुरू किया तो शुरुआती दौर में उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा. शुरुआती दिनों में महमूद ने अमिताभ बच्चन को सहारा दिया. महमूद के भाई अनवर ने उनके साथ उनकी पहली फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ में काम किया था और अनवर ने ही महमूद से उन्हें मिलवाया था.

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वो जो फिल्म बनाते थे, अक्सर उन फिल्मों में नजर भी आते थे. फोटो साभार- वीडियो ग्रैब

क्यों खुद के बताते थे अमिताभ का दूसरा ‘बाप’?
कहा जाता है जब एक के बाद एक कई फिल्में असफलता से निराश अमिताभ मुंबई छोड़ वापस लौट रहे थे. तब महमूद ने ही अमिताभ बच्चन को रोका और अपने घर में उनके रहने की व्यवस्था की. इसके साथ ही कई फिल्म में भी दिलाई और अपनी फिल्म ‘बंबई टू गोवा’ में अमिताभ बच्चन को लीड रोल दिया. ‘बंबई टू गोवा’ की बदौलत ही अमिताभ को ‘जंजीर’ जैसी फिल्म मिली, जिस फिल्म ने उन्हें खास पहचान दिया यही वजह है कि महमूद मजाक में अमिताभ का दूसरा ‘बाप’ भी करते थे हालांकि अमिताभ जब अमिताभ अपनी बुलंदियों पर चढ़ने लगे तब महमूद से उनकी दूरी बढ़ गई.

राजेश खन्ना के सिखाया था सबक
60 और 70 के दशक में महमूद हिंदी इंडस्ट्री के सबसे रसूखदार एक्टर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर बन चुके थे. उनके आगे बड़े से बड़े कलाकार भी अपने स्टारडम भूलकर अब सिर्फ अपने काम पर ध्यान दिया करते थे. इससे जुड़ा एक जबरदस्त किस्सा है राजेश खन्ना से जुड़ा… दरअसल राजेश खन्ना जब अपने जब अपने करियर के चरम पर थे तो निर्माता और निर्देशकों की लाइन उनके घर के बाहर लगी रहती थी. इसी बीच 1979 में महमूद ने राजेश खन्ना को अपनी फिल्म ‘जनता हवलदार’ के लिए साइन किया. वहीं, हेमा मालिनी फिल्म की लीड हीरोइन थी.

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फिल्म जनता हवलदार को महमूद ने डायरेक्ट किया था.

एक थप्पड़ में उतारा था काका के सिर से स्टारडम का भूत
इस फिल्म की शूटिंग महमूद अपने फार्म हाउस में कर रहे थे. एक दिन महमूद के बेटे की मुलाकात राजेश खन्ना से हुई और वह उन्हें हेलो बोलकर निकल गए. सुपरस्टार राजेश खन्ना ने तो अपने ऊपर लोगों को पागल होते देखा था. ऐसे में महमूद के बेटे का सामान्य तौर पर हेलो बोलकर निकल जाना उन्हें छुब गया. राजेश खन्ना इस बात से नाराज हो गए और सेट पर देर से आने लगे. वह अक्सर फिल्म के फिल्मों के सेट पर देर से ही जाते थे इससे महमूद को फिल्म को शूट करने में परेशानी होने लगी. एक दिन महमूद ने अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाए और जब राजेश खन्ना पर देर से पहुंचे तो उन्होंने आव देख न ताव और उन्हें एक जोरदार तमाशा जड़ दिया. उन्होंने गुस्से में कहा, ‘आप सुपरस्टार होंगे अपने घर के… मैंने फिल्म के लिए आपको पूरा पैसा दिया है और आपको फिल्म पूरी करनी ही पड़ेगी’. उस एक थप्पड़ ने राजेश खन्ना को उनके स्टारडम भुला दिया और इसके बाद वह शूटिंग पर वक्त पर आने लगे.

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राजेश खन्ना पर जब चढ़ा स्टारडम, 1 थप्पड़ में याद दिलाया STATUS

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