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Ram Jhula Rishikesh: ऋषिकेश के राम झूला पुल पर मरम्मत के दौरान डामर की खराब क्वालिटी और टाइमिंग के कारण लोगों की चप्पलें चिपकने लगीं. यह घटना सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और पर्यटन की छवि को प्रभावित कर रही है.

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रामझूला पुल पर चिपकने लगे लोगों की चप्पलें, PWD का गजब कारनामा आया सामने

Ram Jhula Rishikesh

हाइलाइट्स

  • राम झूला पुल पर चप्पलें चिपकने की समस्या
  • मरम्मत में डामर की क्वालिटी और टाइमिंग पर सवाल
  • पर्यटकों को नंगे पांव चलना पड़ा, सोशल मीडिया पर वायरल

Ram Jhula Rishikesh: उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित विश्व प्रसिद्ध राम झूला पुल फिर से चर्चा में है, लेकिन इस बार कारण बहुत चौंकाने वाला है. हाल ही में इस ऐतिहासिक पुल पर चलने वाले लोगों को एक अजीब और परेशान करने वाला अनुभव हुआ जब उनकी चप्पलें पुल के ट्रैक पर चिपक गईं. चलते-चलते अचानक चप्पल का ज़मीन से चिपक जाना किसी के लिए भी असहज और हैरान करने वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन जब यह कई लोगों के साथ हो, तो मामला गंभीर हो जाता है. यही हुआ राम झूला पर.

सोशल मीडिया पर वायरल हो गया
दरअसल, पुल की सतह पर जो मरम्मत कार्य किया गया था, उसमें इस्तेमाल किए गए डामर की क्वालिटी और टाइमिंग दोनों ही सवालों के घेरे में हैं. बताया जा रहा है कि लोक निर्माण विभाग (PWD) नरेंद्र नगर द्वारा पुल के जर्जर हिस्सों को अस्थायी रूप से भरने का काम किया गया था, लेकिन यह मरम्मत ठीक तरीके से नहीं की गई. गर्मी और नमी के कारण डामर की परत पूरी तरह सूख नहीं पाई और उसका चिपचिपा हिस्सा लोगों की चप्पलों को जकड़ने लगा. परिणामस्वरूप कई पर्यटकों और स्थानीय लोगों की चप्पलें पुल पर चिपक गईं. कुछ लोग जैसे-तैसे उन्हें खींच पाए, तो कई लोगों को मजबूर होकर नंगे पैर ही चलना पड़ा. ये नजारे सोशल मीडिया पर वायरल हो गए और लोगों ने इस पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं.

लोगों की चप्पलों को चिपकाने लगा
राम झूला ना सिर्फ ऋषिकेश की पहचान है, बल्कि यह पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण भी है. यह झूला गंगा नदी के ऊपर स्थित है और हजारों लोग रोज़ाना इसे पार करते हैं. ऐसे में इस तरह की घटनाएं ना सिर्फ उनकी सुरक्षा पर सवाल उठाती हैं, बल्कि उत्तराखंड के पर्यटन की छवि को भी प्रभावित कर सकती हैं. विभागीय प्रयासों की बात करें तो लंबे समय से पुल की हालत को लेकर बजट की मांग की जाती रही है. सूत्रों के अनुसार, करीब 11 करोड़ रुपये की डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) भेजी जा चुकी है, लेकिन अभी तक उसकी स्वीकृति नहीं मिली है. ऐसे में विभाग ने अस्थायी तौर पर पुल पर मौजूद दरारों को भरने की कोशिश की, लेकिन यह कोशिश अब जनता के लिए परेशानी का कारण बन गई है. डामर की यह फिलिंग शायद तकनीकी रूप से सही तरीके से नहीं की गई या उसे सूखने का पर्याप्त समय नहीं दिया गया. ऐसे में वह चिपचिपा रह गया और लोगों की चप्पलों को चिपकाने लगा.

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