Latest Posts:
Search for:

[ad_1]

Smart investment options : जब शेयर बाजार में गिरावट होती है तो अक्सर रिटेल निवेशक अपने निवेश को लेकर चिंतित हो जाते हैं. यह चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि बाजार की अस्थिरता से उनके निवेश पर असर पड़ सकता है. लेकिन गिरावट का एक सकारात्मक पहलू भी है कि यह समय अपने पैसे से जुड़ी रणनीतियों को फिर से देखने-परखने का मौका देते हैं. यदि आप भी इस अस्थिर बाजार में पैसा कमा पाने में खुद को असमर्थ पा रहे हैं तो दूसरे विकल्पों की तरफ भी देख सकते हैं. कुछ वैकल्पिक निवेश ऐसे भी हैं, जो छोटे निवेशकों को अस्थिर बाजार में भी आरामदायक रिटर्न बनाकर दे सकते हैं.

1. फिक्स्ड डिपॉजिट्स (FD) – सुरक्षा के लिए सही विकल्प
फिक्स्ड डिपॉजिट्स, जिसे सावधि जमा भी कहा जाता है, एक सुरक्षित निवेश विकल्प है. इसमें आप अपनी राशि को एक निश्चित अवधि के लिए बैंक में जमा करते हैं और इसके बदले आपको एक निश्चित ब्याज मिलता है. यह निवेश शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव से प्रभावित नहीं होता. इसलिए जब बाजार गिरता है, तो FD एक सुरक्षित विकल्प बन जाती है. वर्तमान में, भारत में बढ़ती ब्याज दरों के कारण बैंक और वित्तीय संस्थान उच्च FD दरें दे रहे हैं, जो सालाना 8% तक हो सकती हैं. यह विकल्प उन निवेशकों के लिए आदर्श है, जो रिटायरमेंट के नजदीक हैं, या अपनी पूंजी को सिक्योर करने के प्राथमिकता देते हैं.

ये भी पढ़ें – 5 सालों में दोगुनी हो गई प्रॉपर्टी की कीमत, दिल्ली के एकदम जड़ में है ये एरिया

2. डेट म्यूचुअल फंड्स – स्थिर रिटर्न के लिए
डेट म्यूचुअल फंड्स बांड, सरकारी प्रतिभूतियों और कॉर्पोरेट डेट में निवेश करते हैं. ये फंड सुरक्षा और रिटर्न का संतुलन प्रदान करते हैं. हालांकि ये पूरी तरह रिस्क-फ्री नहीं होते, लेकिन इनकी अस्थिरता इक्विटी के मुकाबले कम होती है. लिक्विड फंड्स और शॉर्ट-टर्म बांड फंड्स ऐसे निवेशकों के लिए उपयुक्त होते हैं जो बिना लंबी लॉक-इन अवधि के रिटर्न चाहते हैं. इनकी औसत यील्ड 5% से 7% तक होती है.

3. सरकारी छोटी बचत योजनाएं
पब्लिक प्रॉविडेंट फंड (PPF) और नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC) जैसी योजनाएं टैक्स-फ्री आकर्षक रिटर्न प्रदान करती हैं. उदाहरण के लिए, PPF लगभग 7.1% का ब्याज देता है, जिसमें 15 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. लेकिन इसकी मेच्योरिटी राशि टैक्स फ्री होती है. यदि आप वरिष्ठ नागरिक हैं, तो सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (SCSS) पर विचार करें, जो 8% तक रिटर्न देती है.

4. रियल एस्टेट निवेश के अवसर
कुछ जगहों पर प्रॉपर्टी की कीमतें स्थिर हो गई हैं, जिससे रियल एस्टेट में लॉन्ग टर्म निवेश के लिए अनुकूल परिस्थिति बनी हुई है. किराए से नियमित आय का स्रोत मिलता है. रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (REITs) संपत्ति में कम राशि के निवेश का विकल्प प्रदान करते हैं, जिनका औसत रिटर्न 6% से 8% तक होता है.

5. सोने में निवेश – बाजार की अस्थिरता से बचने का यंत्र
आर्थिक मंदी के दौरान सोना पारंपरिक रूप से सुरक्षित निवेश माना जाता है और मुद्रास्फीति के खिलाफ बचाव करता है. बाजार में भारी-भरकम पूंजी के साथ निवेश करने वाले भी संकटकाल में सोने में निवेश करने को दौड़ते हैं. आप भी गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGBs) में निवेश करके बिना भौतिक रूप से सोना रखे भी निवेश कर सकते हैं. पिछले दशक में सोने ने 8% से 10% तक का औसत रिटर्न दिया है.

6. डिविडेंड स्टॉक्स – आय की स्थिरता के लिए
डिविडेंड देने वाले स्टॉक्स अन्य विकास स्टॉक्स की तुलना में कम अस्थिर होते हैं और मंदी के दौरान भी आय प्रदान करते हैं. ऐसे बड़े कंपनियों का चयन करें जिनके डिविडेंड देने का इतिहास हो. यूटिलिटी, कंज्यूमर गुड्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे क्षेत्रों में ऐसी कंपनियां अधिक होती हैं.

7. म्यूचुअल फंड में सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान्स (SIPs)
इक्विटी म्यूचुअल फंड में एसआईपी के माध्यम से नियमित रूप से निवेश करके, आप बाजार की गिरावट के दौरान कम कीमतों पर यूनिट्स खरीद सकते हैं. एसआईपी के माध्यम से आपको रूपये की लागत औसत का लाभ मिलता है, जिससे आप बाजार की उतार-चढ़ाव के प्रभाव को कम कर सकते हैं.

8. कॉर्पोरेट बांड्स – फिक्स्ड इनकम के लिए
AAA रेटिंग वाले कॉर्पोरेट बांड्स फिक्स्ड ब्याज दर प्रदान करते हैं और अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं. वर्तमान यील्ड्स कॉर्पोरेट बांड्स 7% से 9% तक का रिटर्न दे सकती हैं. बांड रेटिंग्स की जांच करें ताकि जारीकर्ता की साख की पुष्टि हो सके.

9. हाइब्रिड म्यूचुअल फंड्स – संतुलित दृष्टिकोण
हाइब्रिड फंड्स का एक हिस्सा इक्विटी में और दूसरा हिस्सा डेट में होता है, जिससे वृद्धि की संभावना के साथ पूंजी की सुरक्षा भी मिलती है. बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स (BAFs) अपने इक्विटी और डेट आवंटन को बाजार की स्थिति के अनुसार समायोजित करते हैं.

10. वैकल्पिक निवेश – पीयर-टू-पीयर लेंडिंग
पीयर-टू-पीयर (P2P) लेंडिंग प्लेटफॉर्म्स निवेशकों को उच्च रिटर्न का अवसर देते हैं, हालांकि इसमें कुछ जोखिम भी शामिल होता है. P2P लेंडिंग में रिटर्न 10% से 15% तक हो सकता है, लेकिन निवेश करने से पहले पूरी तरह रिसर्च करना जरूरी होता है. इन सभी विकल्पों पर विचार करके खुदरा निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं और अस्थिर बाजार में भी सुरक्षित रह सकते हैं.

Tags: Debt investments, Gold investment, Investment and return, Investment scheme, Investment tips, Personal finance

[ad_2]

Source link

Author

Write A Comment