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Indian Railway News: रेल में सफर करते हुए आरपीएफ ने 10 बच्चों को अकेले सफर करते हुए देखा तो कुछ शक हुआ. इसके बाद आरपीएफ उन बच्चों के पास गई और उनसे पूछा कि तुम्हारे साथ कौन है और तुम कहां से आ रहे हो. फिर बच्चो…और पढ़ें

आरपीएफ ने ट्रेन में सफर करते हुए 10 बच्चों को पकड़ा है.
बंगारपेट. बिहार से ट्रेन में चढ़े 10 लड़के और उन्हें नहीं पता यह सफर उनका अच्छा नहीं रहने वाला है. असल में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) ने जब ट्रेन में छापा मारा तो 10 लड़के उसे दिखाई दिए जिनके साथ कोई बड़ा शख्स नहीं था. जब उनसे पूछताछ की गई जो खुलासे रेलवे पुलिस के सामने हुए हैरान रह गई.
बताया जा रहा है कि बुधवार सुबह करीब 11.30 बजे आरपीएफ की टीम ने चलती काजीरंगा एक्सप्रेस में छापा मारा. आरपीएफ की टीम ने जब हर डिब्बे की जांच शुरू की तो उन्हें मानव तस्करी की सूचना मिली. आरपीएफ हेड कांस्टेबल सतीश कुमार ने जब एक डिब्बे में 10-15 साल की उम्र के 10 बच्चों को देखा, जो बिना किसी बड़े व्यक्ति के सफर कर रहे थे.
सतीश ने बच्चों से पूछा कि वे कौन हैं और उनका अभिभावक कहां है? बच्चों ने बताया कि वे बिहार के अररिया जिले से आए हैं और कर्नाटक के मालूर में एक मदरसे में उच्च शिक्षा प्राप्त करने जा रहे हैं. उन्होंने सतीश को बताया कि जो व्यक्ति उन्हें लाया था, वह मालूर के लिए टिकट खरीदने गया था.
जब आरपीएफ को लगा कुछ गड़बड़ है…
गुवाहाटी और बेंगलुरु के बीच चलने वाली इस ट्रेन से आरपीएफ की टीम को बच्चे मिलने से कुछ गड़बड़ महसूस हुई तो कांस्टेबल सतीश ने सभी बच्चों को प्लेटफॉर्म पर लाया जहां आरपीएफ इंस्पेक्टर सुरेश ने उनसे पूछताछ की. बच्चों ने अधिकारी को बताया कि जो व्यक्ति उन्हें लाया था, उसने वादा किया था कि वे मदरसे में इंजीनियरिंग और मेडिकल कोर्स सहित उच्च शिक्षा जारी रख सकते हैं. लेकिन जब कोई उन्हें लेने नहीं आया, तो सुरेश ने सभी बच्चों को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया, जहां उन्हें आश्रय प्रदान किया गया है.
अब क्या करेगी आरपीएफ
सुरेश ने कहा कि आरपीएफ उस व्यक्ति को खोजने की कोशिश कर रहे हैं जिसने बच्चों को बिहार से लाया था. कोलार की जिला बाल संरक्षण अधिकारी, नागरत्ना, जो सीडब्ल्यूसी, केजीएफ की भी प्रभारी हैं ने कहा कि बच्चों को गुरुवार को समिति के सामने पेश किया गया. हालांकि, वे नई जगह और भाषा की समस्या के कारण जानकारी प्रदान नहीं कर सके.
बच्चों के बारे में जानकारी बिहार और असम की बाल कल्याण समितियों को भेज दी गई है और जब वे जवाब देंगे, तो उन्हें उनके संबंधित स्थानों पर वापस भेजने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
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