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मेलबर्न क्रिकेट मैदान से. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट के दूसरे दिन जब भारतीय बल्लेबाजी की पहली पारी की शुरुआत हुई तो जरूरत से ज्यादा दबाव टॉप ऑर्डर पर था. खासकर, कप्तान रोहित शर्मा पर जिनके लिए मौजूदा दौर उनके करियर के सबसे मुश्किल इम्तिहान से कम नहीं दिख रहा है. अगर कभी कोई आंकड़ा किसी बल्लेबाज के संघर्ष की कहानी को सिर्फ कुछ शब्दों में बयां कर सकता है तो शायद ये कि ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाजी कप्तान पैट कमिंस ने इस बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के दौरान भारतीय कप्तान से ज्यादा रन बटोरे हैं.
अगर बात सिर्फ रोहित के फॉर्म की होती तो शायद टीम इंडिया के खेल पर बहुत ज़्यादा असर नहीं पड़ता क्योंकि अक्सर जब एक बल्लेबाज मुश्किल चुनौती से गुजर रहा होता है तो बाकी बैटर मिलकर उसकी कमियां तात्कालिक तौर पर ढक देते हैं. लेकिन, पर्थ टेस्ट की दूसरी पारी को छोड़ दिया जाए तो साथी ओपनर यशस्वी जायसवाल का बल्ला भी बड़ी पारी के लिए तरसता दिखा है. तसल्ली की बात ये है कि मेलबर्न में मुंबई का ये युवा बल्लेबाज फिर से पर्थ वाली लय और आक्रामकता को वापस पाते दिखा है और उनका अर्धशतक इसी बात की गवाही देता है.
खराब शॉट पर विकेट गंवा रहे भारतीय बैटर
केएल राहुल जिन्हें शायद ओपनर के रोल से नहीं हटाया जाना चाहिए था उन्होंने तीसरे नंबर पर अपने आदर्श राहुल द्रविड़ की शैली में ही बल्लेबाजी की. केएल द्रविड़ की ही तरह अलटीमेट टीममैन हैं और कभी भी इस बात कि शिकायत नहीं करते हैं कि आखिर अच्छा खेल दिखाने के बावजूद उन्हें बल्लेबाजी क्रम में ऊपर-नीचे क्यों किया जाता है. राहुल मेलबर्न में कमिंस की एक बेहद खूबसूरत गेंद पर आउट हुए लेकिन इस सीरीज में ज़्यादातर बल्लेबाज अच्छी गेंदों की बजाए खराब शॉट के चलते ज़्यादा आउट हुए हैं.
शुभमन गिल पर भी बढ़ता जा रहा दबाव
इतना ही नहीं शुभमन गिल जिन्हें इस मैच में खेलने का मौका नहीं मिला वो बीच टेस्ट के दौरान नेट्स में बल्लेबाजी का अभ्यास करते दिखे. गिल को पता है कि ओपनर के तौर पर जब उनसे संघर्ष हुआ तो 2023 में वेस्टइंडीज दौरे पर जायसवाल को आजमाया गया और तब से लेकर अब तक मुंबई के बल्लेबाज ने हर किसी को अफना मुरीद बनाया है. गिल जानते हैं कि उन्होंने 2021 के गाबा टेस्ट में जो 91 रनों की पारी खेली थी उसके बाद से एशिया के बाहर उनके बल्ले से कोई अर्धशतक नहीं निकला है और ये आंकड़े कतई उनके जैसे बेहद प्रतिभाशाली बल्लेबाज के आंकड़े नहीं हो सकते हैं.
रोहित-गिल से ज्यादा चिंता ऋषभ की फॉर्म की
रोहित और गिल से भी ज़्यादा किसी एक और बल्लेबाज को अपनी फॉर्म से चिंता होगी तो वो हैं ऋषभ पंत. दिल्ली के इस बल्लेबाज ने अपने बेहद छोटे से टेस्ट करियर में महेंद्र सिंह धोनी जैसे दिग्गज को पछाड़ते हुए खुद को सबसे महान विकेटकीपर-बल्लेबाज के तौर पर भारतीय इतिहास में खुद को दर्ज करा चुके हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह है कि लगातार दो ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर उनके बल्ले का जलवा. ऑस्ट्रेलियाई टीम ने रोहित, कोहली की ही तरह पंत के लिए भी जबरदस्त होमवर्क किया है और काफी हद तक वो सीरीज में उनको खामोश करने में काफी हद तक सफल रहे हैं. ये सही बात है कि पंत के लिए बड़ी पारी खेलना या फिर चिर-परिचित आक्रामक अंदाज को नहीं दिखाए जाने की सबसे बड़ी वजह ये भी है कि वो एकदम सी नई गेंद के सामने ही कमिंस और स्टार्क जैसे गेदंबाजों का सामना करते हैं. पिछले दो दौरों पर पंत जब जब बल्लेबाजी करने आते थे तब चेतेश्वर पुजारा अपने बल्ले से नई गेंद की धार कुंद कर चुके होते थे. टॉप ऑर्डर की निरंतर नाकामी के चलते पंत को अपने खेल में एक सीनियर खिलाड़ी जैसी जिम्मेदारी वाला भाव लाने की भी आवश्यकता पड़ी है जिसके चलते उनकी स्वाभाविक स्वच्छंदता पर ख़ासा असर पड़ा है.
नीतीश का सेलेक्शन डिफेंसिव अप्रोच
यही वजह है कि बल्लेबाज़ी क्रम को मज़बूत बनाए रखने के लिए या यूं कहें कि बिखरते हुए से बचने के लिए नीतीश रेड्डी और वाशिंगटन सुंदर जैसे बल्लेबाज़ी ऑलराउंडर को टीम में जगह मिली. वनडे क्रिकेट या फिर टी20 के लिए ये रणनीति बिल्कुल सटीक है लेकिन टेस्ट क्रिकेट एक निर्दयी फॉर्मेट हैं. ये हमेशा खिलाड़ियों से ये मांग करता है कि या तो गेंद से या सिर्फ बल्ले के दम पर वो इतना कुछ योगदान कर पाएं जिससे कि उनकी टीम को जीत की राह आसान हो. पूर्व टेस्ट खिलाड़ी संजय मांजरेकर ने मैच से पहले ही ये कहा था कि रेड्डी को लगातार चौथा टेस्ट खिलाना भारत के सुरक्षात्मक नजरिये की ही दर्शाता है. और इतिहास गवाह है कि डिफेंसिव नज़रिये से टीमों ने ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीत हासिल नहीं की है. टीम इंडिया की ही पिछली दो सीरीज जीत की बात करें तो वो बेहद आक्रामक माइंड सेट से खेली गयी लेकिन अजीब बात ये है कि इस सीरीज में 1-0 की बढ़त के बावजूद ऑस्ट्रेलिया पर उस अंदाज़ में हमला नहीं बोला गया जिसकी जरूरत थी.
सिराज की फॉर्म बढ़ा रही बुमराह पर दबाव
यह तर्क जरूर दिया जा सकता है कि बल्ल्बाज़ों के संघर्ष के अलावा गेंदबाज़ी में जसप्रीत बुमराह पर बहुत ज़्यादा निर्भरता ने भी टीम को काफी परेशान किया है. आकाशदीप और हर्षित राणा ने तीसरे सीमर के तौर पर प्रभावशाली स्पेल डाले हैं भले ही उनके विकेट इस बात को ना दिखा पाते हों. लेकिन, पिछली दो सीरीज में शानदार गेंदबाज़ी करते हुए जीत में अहम भूमिका निभाने वाले मोहम्मद सिराज का एकदम से अपनी लय खो देना किसी भी कप्तान-कोच के लिए बड़ी समस्या हो सकती है. आंकड़ों के लिहाज से सिराज के पास मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी के बाद कुल 13 विकेट हैं लेकिन 35 टेस्ट के अनुभवी गेंदबाज से जिस तरह के शानदार खेल की उम्मीद की जाती है , हैदराबाद का ये गेंदबाज उन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया है. ख़ासतौर पर, मोहम्मद शमी जैसे बेहद अनुभवी गेंदबाज की गैरमौजूदगी में सिराज से बेहतर खेल की उम्मीद की जा रही थी.
मेलबर्न में ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी
तमाम आलोचनाओं के बावजूद इतना तो जरूर कहा जा सकता है कि सीरीज अब भी 1-1 की बराबरी पर है. मेलबर्न के पांचवें दिन अगर कोई एक टीम सीरीज जीत की दावेदार बन सकती है तो ऐसा सिर्फ मेजबान नहीं सोचेंगे. जिस तरह से सफलता स्थायी नहीं होती है, संघर्ष भी स्थायी नहीं होता है और ये क्रिकेट का मूलभूत स्वभाव है. उम्मीद यही की जा सकती है कि दौरे के आखिरी दस दिनों में दिग्गज बल्लेबाज़ों और गेंदबाज़ों ने अपनी लय पकड़ ली तो वो दौरे के पहले 6 हफ्तों की नाकामी के किस्सों को आसानी से भुला देने में कामयाब हो सकते हैं.
Tags: Border Gavaskar Trophy, India vs Australia, Rohit sharma, Team india
FIRST PUBLISHED : December 27, 2024, 12:51 IST
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