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Mental Health Drugs & ALS Risk: एक नई स्टडी में पाया गया है कि एंजायटी, डिप्रेशन और नींद की समस्याओं के लिए दी जाने वाली दवाएं लंबे समय तक लेने से खतरनाक न्यूरोलॉजिकल डिजीज ALS का खतरा काफी बढ़ सकता है.

लंबे समय तक खाएंगे ये दवाएं, तो बन जाएंगे दिमागी मरीज ! ऐसे लोगों को खतरा ज्यादा, नई स्टडी में बड़ा खुलासा

एंजायटी, डिप्रेशन और नींद की दवाएं ज्यादा लेना खतरनाक हो सकता है.

हाइलाइट्स

  • मेंटल हेल्थ की दवाएं न्यूरोलॉजिकल डिजीज ALS का खतरा बढ़ा सकती हैं.
  • ALS खतरनाक बीमारी है, जिसमें शरीर की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं.
  • ALS बीमारी के शुरुआती लक्षणों में मानसिक लक्षण पहले नजर आ सकते हैं.
New Study on Anti Anxiety Medicines: आजकल लोगों की जिंदगी काफी भागदौड़ भरी हो गई है, जिसके कारण स्ट्रेस और एंजायटी की समस्या बढ़ रही है. कम उम्र के लोग भी एंजायटी और डिप्रेशन में चले जाते हैं. कई लोगों को स्ट्रेस के चक्कर में नींद भी नहीं आती है और रातभर करवटें बदलते रहते हैं. इन परेशानियों से छुटकारा पाने के लिए लोग एंटी एंजायटी, एंटी डिप्रेशन और स्लीप मेडिसिन्स का सहारा लेते हैं. अगर आप भी लंबे समय से इनमें से कोई दवा ले रहे हैं, तो सावधान होने की जरूरत है. एक हालिया स्टडी में यह पाया गया है कि जो लोग एंजायटी, डिप्रेशन और नींद की दवाएं लेते हैं, उन्हें ऐमायोट्रॉफिक लैटरल स्क्लेरोसिस (Amyotrophic Lateral Sclerosis) नामक गंभीर बीमारी होने का खतरा ज्यादा होता है.

ऐमायोट्रॉफिक लैटरल स्क्लेरोसिस (ALS) एक जानलेवा न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिसमें शरीर की मांसपेशियां धीरे-धीरे काम करना बंद कर देती हैं. इसकी वजह से मरीज को हाथ-पैर हिलाने, चलने, बोलने, निगलने और सांस लेने तक में दिक्कत होने लगती है. यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और इसका सटीक इलाज अब तक नहीं मिला है. JAMA Neurology में प्रकाशित इस रिसर्च में सामने आया है कि चिंता, डिप्रेशन और नींद से जुड़ी कॉमन दवाएं लेने वाले लोगों में ALS का खतरा बढ़ सकता है. इन दवाओं और ALS के बीच एक संबंध हो सकता है. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि ये दवाएं ही बीमारी की सीधी वजह हैं.

TOI की रिपोर्ट के मुताबिक नई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग इन दवाओं का लंबे समय तक इस्तेमाल करते हैं, उन्हें भविष्य में ALS होने का खतरा ज्यादा होता है. अगर किसी को पहले से यह न्यूरोलॉजिकल बीमारी होती है, तो एंजायटी, डिप्रेशन और नींद की दवाएं लेने से बीमारी जल्दी बढ़ती है. इससे लोगों की जिंदगी छोटी हो जाती है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन दवाओं और ALS के बीच का संबंध शायद इसलिए दिखता है, क्योंकि ALS के शुरुआती लक्षणों में ही एंजायटी, नींद की परेशानी और डिप्रेशन शामिल होते हैं. अधिकतर मामलों में ALS नामक न्यूरोलॉजिकल बीमारी का पता देर से चलता है.

अब सवाल है कि क्या एंजायटी, डिप्रेशन और नींद की परेशानी से जूझ रहे लोगों को ये दवाएं बंद कर देनी चाहिए? इस पर हेल्थ एक्सपर्ट्स का साफ कहना है कि कोई भी मरीज अपनी दवा खुद से बंद न करे. अगर किसी को एंजायटी, डिप्रेशन या नींद से जुड़ी समस्या हो, तो पहले डॉक्टर से बात करें. दवाएं अचानक बंद करने से मानसिक और शारीरिक स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती है. इस स्टडी का मतलब यह नहीं है कि मेंटल हेल्थ की दवाएं नुकसानदायक हैं, बल्कि इसका उद्देश्य है कि डॉक्टर और मरीज दोनों सावधानी बरतें. खासकर जब इन दवाओं का लंबे समय तक उपयोग किया जा रहा हो, तब इसे लेकर ज्यादा जागरूक रहें.

अमित उपाध्याय

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. …और पढ़ें

अमित उपाध्याय News18 Hindi की लाइफस्टाइल टीम में सीनियर सब-एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. उन्हें प्रिंट और डिजिटल मीडिया में करीब 8 साल का अनुभव है. वे हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़े टॉपिक पर स्टोरीज लिखते हैं. … और पढ़ें

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लंबे समय तक खाएंगे ये दवाएं, तो बन जाएंगे दिमागी मरीज! नई स्टडी में हुआ खुलासा

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