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प्रेग्नेंसी हर महिला के लिए खास होती है. हर मां चाहती है कि उसका बच्चा हेल्दी पैदा हो और नॉर्मल डिलीवरी के दौरान किसी तरह की दिक्कत ना हो. आज कई प्रेग्नेंट महिलाएं इसके लिए लमाज क्लासेज का सहारा ले रही हैं.

लमाज क्लास नॉर्मल डिलीवरी का बन रही राज!  इससे क्या लेबर पेन को मैनेज करना मुमकिन है? किन महिलाओं के लिए ये ठीक नहींलमाज क्लासेज से प्रेग्नेंट महिलाओं को मेंटली और फिजिकली मजबूत बनाया जाता है (Image-Canva)

हाइलाइट्स

  • लमाज क्लास नॉर्मल डिलीवरी को आसान बनाती है.
  • लो-रिस्क प्रेग्नेंसी वाली महिलाओं के लिए लमाज क्लास फायदेमंद है.
  • हाई ब्लड प्रेशर या जुड़वां प्रेग्नेंसी में लमाज क्लास नहीं लें.
Benefits of lamaze classes: जब महिला मां बन रही होती है तो वह हमेशा चाहती है कि उसकी डिलीवरी सुरक्षित और कम दर्द वाली हो. वह खुद को बेबी बर्थ के लिए दिमागी तौर पर तैयार करना चाहती है ताकि वह बच्चे को नॉर्मल डिलीवरी से जन्म दे सके. बेबी बर्थ एक नैचुरल प्रोसेस है और इसे लमाज क्लास आसान बनाने में मदद करती है.

लमाज क्लास प्रेग्नेंसी को बनाए आसान
लमाज क्लास एक तरह की चाइल्डबर्थ प्रिपरेशन टेक्नीक है, जिसे 1950 में फ्रेंच आब्स्टिट्रिशन डॉ. फरनान्ड लमाज ने बनाया. इसका मकसद महिलाओं को लेबर के दौरान दर्द को मैनेज करने के लिए फिजिकल और मेंटल तौर पर तैयार करना था. इसमें ब्रीदिंग एक्सरसाइज, रिलैक्सेशन, पोजिशनिंग और बेबी केयर की जानकारी दी जाती है ताकि बेबी बर्थ आसान रहे. यह क्लासेज प्रेग्नेंसी के आखिरी 3 महीनों में दी जाती है ताकि नॉर्मल डिलीवरी हो सके.

महिलाएं बनती हैं मजबूत
लमाज एक्सपर्ट डॉ. शिल्पा श्रीवास्तव कहती हैं कि जब एक महिला पहली बार मां बन रही होती है तो बेबी की डिलीवरी उसके लिए नया एक्सपीरियंस होता है. कई बार महिलाएं लेबर पेन से घबरा जाती हैं. लमाज क्लासेज में महिलाओं के स्ट्रेस को दूर किया जाता है ताकि उनकी प्रेग्नेंसी हेल्दी रहे. इस दौरान उन्हें ऐसी एक्सरसाइज कराई जाती हैं ताकि उनकी पेल्विक मसल्स मजबूत बनें जैसे डक वॉक, स्क्वैट. उन्हें डिलीवरी के समय किस तरह सांस लेना है ताकि दर्द कम हो और गर्भ में पल रहे बच्चे तक ऑक्सिजन ज्यादा से ज्यादा पहुंचे, फॉल्स पेन, कॉन्ट्रैक्शन, लेबर पेन क्या होता है, इसकी पहचान कैसे करें, अलग-अलग डिलीवरी पोजिशन कौन-सी होती हैं, बेबी होने के बाद ब्रेस्टफीडिंग कैसे कराएं, इन सब चीजों की जानकारी दी जाती है.

लमाज क्लास से लेबर के समय होने वाले दर्द को मैनेज करना आसान होता है (Image-Canva)

महिला खुद अपने शरीर को समझने लगती है
लमाज क्लासेस में सिखाई गई ब्रीदिंग और रिलैक्सेशन तकनीक से महिलाएं लेबर के समय घबराती नहीं हैं, जिससे डिलीवरी के दौरान कॉम्प्लिकेशन कम होते हैं. इन क्लासेस में पति या परिवार का कोई सदस्य भी शामिल होता है, जिससे महिला को इमोशनल और फिजिकल सपोर्ट मिलता है. महिला खुद अपने शरीर और दर्द को समझती है, वह बेबी बर्थ के दौरान आत्मविश्वास से भरी होती है और लेबर स्मूद होता है, जिससे सर्जरी की संभावना कम होती है. लमाज क्लासेज में प्रेग्नेंसी से जुड़े समाज के मिथकों को भी दूर किया जाता है. इस दौरान महिलाओं को बेबी के साथ गोल्डन आवर और स्किन टु स्किन टच के बारे में जानकारी दी जाती है ताकि वह अपने साथ-साथ बच्चे की भी अच्छे से केयर कर सकें. 

इन महिलाओं को लमाज से बचना चाहिए
लमाज क्लासेज प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए सौगात है लेकिन यह उनके लिए ही है जिनकी प्रेग्नेंसी लो-रिस्क है. अगर प्रेग्नेंसी में हाई ब्लड प्रेशर या जेस्टेशनल डायबिटीज है,  डॉक्टर ने पहले से सी-सेक्शन की सलाह दी हो,  जुड़वां या मल्टीपल प्रेग्नेंसी हो, पिछली बार सिजेरियन हो और VBAC (Vaginal Birth After Cesarean) की अनुमति न हो या प्लेसेंटा प्रिविया हो (प्लेसेंटा सर्विस से 2 सेंटीमीटर से कम हो) तो ऐसे मामलों में यह क्लासेज नहीं दी जातीं. यह क्लासेज डॉक्टर की सलाह के बाद ही लेनी चाहिए. 

Aishwarya Sharma

Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU…और पढ़ें

Active in journalism since 2012. Done BJMC from Delhi University and MJMC from Jamia Millia Islamia. Expertise in lifestyle, entertainment and travel. Started career with All India Radio. Also worked with IGNOU… और पढ़ें

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लमाज क्लास नॉर्मल डिलीवरी का बन रही राज! किन महिलाओं के लिए ये ठीक नहीं

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