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गाजीपुर: उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के कुंवर वीरेंद्र सिंह को लोग प्यार से ‘कुश’ भी बुलाते हैं. वह अपनी मां से बेहद लगाव रखते थे, लेकिन कैंसर के कारण मां का निधन हुआ और वीरेंद्र अंदर से टूट गए. मां के जाने के बाद उनकी जिंदगी में सूनापन और दर्द भर गया. इसी दर्द के बीच उन्हें एक ऐसा मकसद मिला, जिसने उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी.
एक दिन वीरेंद्र ने जिलाधिकारी आवास के पास बहते नाले में एक अज्ञात शव देखा. शव का पोस्टमार्टम हो चुका था और अंतिम संस्कार होना था. जिस रिक्शे वाले को उस शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाना था उसने पैसा न मिलने से शव को नाले में फेंक दिया था. इसी घटना को वीरेंद्र ने अपनी जिंदगी का मकसद बना लिया. उन्होंने प्रशासन से शव के अंतिम संस्कार की अनुमति मांगी और पूरे हिंदू रीति-रिवाज से उसका अंतिम संस्कार किया.
1,800 लावारिस शवों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार
वीरेंद्र सिंह ने पिछले 12 सालों में 1,800 से अधिक लावारिस शवों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया है. उनका कहना है, “मेरे पास इतना समय नहीं कि मैं भूत-प्रेत जैसी चीजों के बारे में सोचूं।” वह हर शव का श्मशान घाट पर बाकायदा रजिस्ट्रेशन कराते हैं और पुलिसकर्मियों और अपने कुछ सहयोगियों के साथ अंतिम संस्कार करते हैं. वीरेंद्र बताते हैं कि शवों को 72 घंटे तक मोर्चरी में रखा जाता है ताकि परिजन शव की शिनाख्त कर सकें. अगर कोई परिजन नहीं आता तो वह खुद शव का अंतिम संस्कार करते हैं.
हालांकि, उनके इस काम में कई चुनौतियां भी आती हैं. कई बार शव इतने खराब हालत में होते हैं कि लोग उन्हें छूने से कतराते हैं. कभी सिर कटा होता है तो कभी पैर. समाज के कुछ लोग उनके इस काम को अच्छा भी नहीं समझते. खासकर जब किसी मुस्लिम शव का हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार होता है तब लोग ज्यादा बुरा मानते हैं, लेकिन वीरेंद्र इन बातों को नजरअंदाज कर सिर्फ इंसानियत के फर्ज को निभाते हैं.
वीरेंद्र के काम को मिला सम्मान
वीरेंद्र सिंह के इस निस्वार्थ सेवा भाव को समाज ने भी पहचाना है. उनके इस कार्य के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें सम्मानित किया है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत समेत देश की कई अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों ने भी वीरेंद्र सिंह को उनके सराहनीय योगदान के लिए सम्मानित किया है.
वीरेंद्र सिंह मानते हैं कि यह सेवा भगवान द्वारा उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारी है और वह इसे पूरी निष्ठा के साथ निभाते हैं. उनका कहना है, “यह कोई नौकरी नहीं है, यह मेरा धर्म है।”
Tags: Ghazipur news, Local18
FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 22:05 IST
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