[ad_1]
Last Updated:
World Malaria Day 2025: हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस सेलिब्रेट किया जाता है. यह दिन मलेरिया के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है. मलेरिया का कहर बारिश के दौरान ज्यादा देखने को…और पढ़ें

हर साल 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है.
हाइलाइट्स
- डॉक्टर्स की मानें तो मलेरिया बारिश के मौसम में अधिक फैलता है.
- मलेरिया के लक्षणों में तेज बुखार, ठंड, पसीना और सिरदर्द शामिल हैं.
- मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरों से बचाव करें और पानी जमा न होने दें.
Malaria Prevention Tips: हर साल बारिश के मौसम में मलेरिया का कहर देखने को मिलता है. उत्तर भारत के कई हिस्सों में मलेरिया के कारण लोगों की मौत तक हो जाती है. मलेरिया एक मौसमी और खतरनाक बीमारी है, जिसे लेकर लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के आंकड़ों की मानें तो भारत में हर साल मलेरिया के करीब 1.50 करोड़ मामले सामने आते हैं और इनमें से 20 हजार लोगों की जान चली जाती है. मलेरिया मच्छरों से फैलने वाली बीमारी है और इसे रोका जा सकता है. वर्ल्ड मलेरिया डे के मौके पर डॉक्टर्स से जानेंगे कि मलेरिया क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है.
ग्रेटर नोएडा के फोर्टिस हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की एडिशनल डायरेक्टर डॉ. प्रमिला बैथा ने बताया कि मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, जो प्लास्मोडियम नामक पैरासाइट के कारण होती है. यह पैरासाइट एनोफीलीस नामक मच्छर से इंसानों में फैलता है. मलेरिया से संक्रमित होने पर तेज बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द और थकान जैसे लक्षण नजर आते हैं. अगर सही समय पर मलेरिया का इलाज न किया जाए, तो स्थिति गंभीर हो सकती है. मानसून और उसके बाद का समय मलेरिया के फैलाव के लिए सबसे संवेदनशील होता है. लोगों को इस दौरान मलेरिया से बचने की कोशिश करनी चाहिए.
डॉक्टर बैथा के मुताबिक पिछले एक साल में उनकी ओपीडी में मलेरिया के करीब 40 मरीज आए, जिनमें से 90 प्रतिशत से अधिक मामले पी. विवैक्स मलेरिया के थे. यह मलेरिया का एक टाइप है, जिनमें हल्का बुखार आता है, लेकिन इसके रोगाणु शरीर के लिवर में छिपे रह सकते हैं और कई महीनों बाद दोबारा एक्टिव होकर बीमारी को लौटा सकते हैं. यह संक्रमण बार-बार हो सकता है. दूसरी ओर पी. फाल्सीपेरम मलेरिया का ज्यादा गंभीर टाइप होता है, जो ब्रेन, किडनी और अन्य अंगों को प्रभावित कर सकता है. इस तरह के संक्रमण का सही समय पर इलाज न हो, तो यह जानलेवा भी हो सकता है.
नोएडा के मैश मानस हॉस्पिटल के सीनियर कंसंल्टेंट डॉ. नमन शर्मा ने बताया कि मलेरिया दो टाइप का होता है. पहला प्लास्मोडियम विवैक्स (पी. विवैक्स) और दूसरा प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (पी. फाल्सीपेरम). ज्यादातर लोग पी. विवैक्स मलेरिया का शिकार हो जाते हैं. उनके अस्पताल में हाल ही में आए मलेरिया के लगभग 25 प्रतिशत मरीजों को भर्ती करना पड़ा. समय पर मलेरिया की जांच न होने से मरीजों की हालत बिगड़ जाती है. मलेरिया से बचने के लिए मच्छरों से बचाव करें, नालियों व गड्ढों में पानी जमा न होने दें, कूलर और पानी की टंकियों को हर दो दिन में साफ करें और सूर्यास्त के बाद खिड़कियां बंद रखें.
लुधियाना के मैश प्रो-लाइफ अस्पताल के इंटरनल मेडिसिन के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. सुखप्रीत सिंह ने बताया कि पिछले 6 से 12 महीनों के दौरान उनके अस्पताल में मलेरिया के कुल 6 मामले सामने आए, जिनमें से 5 पी. विवैक्स और 1 पी. फाल्सीपेरम का था. बुखार के मरीजों में से केवल 5 प्रतिशत से भी कम में मलेरिया की आशंका होती है और पुष्ट मामले 1 प्रतिशत के आसपास होते हैं. उत्तर भारत में मलेरिया का सबसे सामान्य प्रकार पी. विवैक्स है, जिसे अक्सर इसके हल्के लक्षणों के कारण अनदेखा कर दिया जाता है. लेकिन समय पर जांच और इलाज न होने पर यह भी गंभीर रूप ले सकता है.
[ad_2]
Source link