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बरसात के मौसम की दस्तक के साथ ही पीलीभीत और तराई के जंगलों में कुछ खास किस्म की जंगली सब्ज़ियां उगने लगती हैं, जिनका स्वाद और पौष्टिकता इन्हें खास बना देती है. हालांकि इन सब्ज़ियों को जंगल से निकालना कानूनन अपर…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • पीलीभीत के जंगलों में जंगली सब्जियों की बहार
  • धरती के फूल मशरूम हृदय रोगियों के लिए फायदेमंद
  • कटरुआ और धरती के फूल की बाजार में भारी मांग

पीलीभीत. बरसात की शुरुआत के साथ ही साथ पीलीभीत समय तराई के तमाम जंगलों में कुछ जंगली सब्ज़ियां पाई जाती है. वैसे तो जंगल में घुसकर इन्हें निकलना ग़ैरक़ानूनी है. लेकिन स्वाद और पोषक तत्वों के चलते इन सब्ज़ियों की भरपूर डिमांड रहती है. बरसात के मौसम में पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों में जंगली सब्जियों की बहार आ जाती है. यहां कटरुआ के साथ-साथ एक और जंगली सब्जी “धरती के फूल” भी खूब पाई जाती है, जो असल में एक खास किस्म का मशरूम है.

मटन से महंगी है ये सब्जी
इसका वैज्ञानिक नाम टरमिटोमायसीज है. यह मशरूम दीमक की बांबी पर उगता है और स्वाद में बेहद लाजवाब होता है. जंगलों में दीमक की बांबी अधिक होने की वजह से यह यहां ज्यादा मात्रा में मिलता है. हालांकि, जंगल से इसे निकालना गैरकानूनी है, लेकिन स्वाद और डिमांड के चलते लोग चोरी-छिपे इन्हें निकालते हैं और बाजारों में बेचते हैं. कटरुआ की कीमत 800 से 1200 रुपए किलो और धरती के फूल 500 से 800 रुपए किलो तक बिकते हैं, जो मटन के दामों को भी पीछे छोड़ देता है.

सब्जी में छिपा है पोषक तत्वों का भंडार
जानकारों के अनुसार धरती के फूल नामक यह जंगली सब्ज़ी पोषक तत्वों से भरपूर होती है और इसमें प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है. यह विशेष रूप से हृदय रोगियों और डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए फायदेमंद मानी जाती है. यही स्थिति कटरुआ सब्ज़ी की भी है. हालांकि, कटरुआ और धरती के फूल दोनों को जंगल से निकालना गैर कानूनी है. चूंकि पीलीभीत टाइगर रिजर्व एक संरक्षित वन क्षेत्र है, इसलिए इसमें बिना अनुमति प्रवेश करना और किसी भी प्रकार की वन उपज को बाहर लाना कानूनन अपराध की श्रेणी में आता है. बावजूद इसके, वन विभाग की मिलीभगत से ये सब्जियां खुलेआम बाजारों में बिकती हैं.


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वज़न घटाने से लेकर दिल की सेहत तक, ये जंगली सब्जियां किसी वरदान से कम नहीं

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