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Saharanpur Latest News: सहारनपुर के शिवालिक वन क्षेत्र में वन विभाग ने ‘मिशन भगीरथ’ के तहत सूखे कुओं को पुनर्जीवित करने की पहल की है. इस योजना से जानवरों को पानी मिलेगा और पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत होगा.

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वन्यजीवों को मिलेगी राहत! ब्रिटिशकालीन कुएं बुझाएंगे जंगली जानवरों की प्यास

ब्रिटिशकालीन कुओं को पुनर्जीवन देने के लिए शुरू हुआ मिशन भागीरथी

हाइलाइट्स

  • शिवालिक जंगल में सूखे कुएं पुनर्जीवित होंगे.
  • मिशन भगीरथ से जानवरों को पानी मिलेगा.
  • यह मॉडल वन्यजीव संरक्षण में मदद करेगा.

सहारनपुर: जहां एक तरफ चिलचिलाती गर्मी में इंसान बेहाल हैं, वहीं जंगलों में रह रहे बेजुबान जानवरों के लिए भी पानी का संकट गहराता जा रहा है. लेकिन अब उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के शिवालिक वन क्षेत्र से एक राहत भरी खबर आई है. यहां वन विभाग ने ‘मिशन भगीरथ’ के तहत ब्रिटिशकालीन सूखे कुओं को फिर से जीवन देने की अनोखी पहल शुरू की है. इस अभियान का मकसद सिर्फ पानी मुहैया कराना नहीं, बल्कि जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र को भी मजबूत करना है.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले का बड़ा हिस्सा शिवालिक पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है. यहां जंगली जानवरों की आवाजाही आम बात है, लेकिन इन दिनों भीषण गर्मी के चलते जंगल में रहने वाले जानवरों को पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में वन विभाग ने एक अनोखी और सराहनीय पहल की है, जिसे ‘मिशन भगीरथ’ नाम दिया गया है.

कैसे काम करेगा ‘मिशन भगीरथ’?
शिवालिक वन प्रभाग की प्रभागीय वनाधिकारी श्वेता सेन ने बताया कि इस योजना में गुरुत्वाकर्षण प्रवणता के सिद्धांत (Gravity Flow Method) को अपनाया गया है. इसका मतलब है कि वॉटर टैंकों को ऊंचाई पर स्थापित किया गया है, जिससे पानी अपने आप पाइपों के जरिए नीचे बने टैंकों और तालाबों में पहुंचेगा.

इस पूरी व्यवस्था से न सिर्फ जानवरों को पीने के लिए पानी मिलेगा, बल्कि पानी भरे छोटे तालाबों में वे स्नान भी कर सकेंगे. यह पूरी व्यवस्था वर्ष भर पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करती है, जिससे गर्मियों में होने वाली जल समस्या से हमेशा के लिए राहत मिल सकेगी.

वन्यजीवों के लिए वरदान बन सकता है यह मॉडल
प्रभागीय वनाधिकारी ने कहा कि इंसानों की तरह ही जानवरों को भी गर्मी में जल संकट झेलना पड़ता है. लेकिन जंगल के भीतर कोई नल या टंकी नहीं होती, ऐसे में ‘मिशन भगीरथ’ एक क्रांतिकारी कदम साबित हो सकता है. यह मॉडल पारंपरिक जल स्रोतों और आधुनिक तकनीक का बेहतरीन मिश्रण है.
उनका कहना है कि यह पहल केवल जंगली जानवरों की प्यास बुझाने तक सीमित नहीं है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की दिशा में भी यह एक बड़ी उपलब्धि है. आने वाले समय में यह मॉडल भारत के अन्य वन क्षेत्रों के लिए भी एक आदर्श बन सकता है.

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वन्यजीवों को मिलेगी राहत! ब्रिटिशकालीन कुएं बुझाएंगे जंगली जानवरों की प्यास

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