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Meerut News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात करें तो मेरठ को क्रिकेट का हब माना जाता है. विभिन्न प्रकार की स्पोर्ट्स सामग्रियां तैयार की जाती है. ऐसे में क्रिकेट टूर्नामेंट में अगर गेंद के उपयोग की बात करें…और पढ़ें

क्रिकेट गेंद फोटो
हाइलाइट्स
- मेरठ को क्रिकेट का हब माना जाता है.
- हर टूर्नामेंट के लिए अलग तरीके से गेंद तैयार होती है.
- गेंद बनाने में 7 दिन का समय लगता है.
विशाल भटनागर/ मेरठ : पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ की बात करें, तो मेरठ को स्पोर्ट्स सिटी के तौर पर भी विश्व में जाना जाता है. यहां पर तैयार होने वाली विभिन्न प्रकार की सामग्री की डिमांड देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में देखने को मिलती है. ऐसे में सभी के मन में यही सवाल रहता है कि क्रिकेट के लिए जो गेंद तैयार की जाती है वह किस नियमावली के तहत तैयार होती है. उन्हें तैयार करने में कितना समय लगता है. इतनी बातों को ध्यान रखते हुए लोकल-18 टीम द्वारा गेंद बनाने वाले व्यापारी से खास बातचीत की गई.
इस तरह तैयार होती है क्रिकेट के लिए गेंद
क्रिकेट की गेंद बनाने वाले स्पोर्ट्स व्यापारी भूपेंद्र सिंह ने लोकल-18 से खास बातचीत करते हुए बताया कि मेरठ में जो क्रिकेट के लिए गेंद तैयार की जाती है. वह सभी ओवरों के हिसाब से ही बनाई जाती है. इनमें 20 ओवर, 40 ओवर और 50 ओवर की गेंद शामिल है. इसी तरह रंग की बात की जाए तो लाल, सफेद और पिंक बॉल बनाई जाती है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1980 में बीसीसीआई द्वारा मेरठ की गेंद को भी मान्यता दी गई थी. उसके बाद से देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक में मेरठ की गेंद सप्लाई हो रही है. इसमें अंतरराष्ट्रीय स्तर के नियमों के अनुसार 133 ग्राम से लेकर 163 ग्राम तक के वजन की गेंद तैयार की जाती है. जिनका उपयोग विभिन्न प्रकार की टूर्नामेंट में किया जाता है.
7 दिन में बनकर तैयार होती है गेंद
स्पोर्ट्स व्यापारी के अनुसार गेंद को तैयार करने के लिए लगभग 10 से 12 कारीगरों को कार्य करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि सबसे पहले लेदर की कटिंग गेंद के आकार में की जाती है. उसके बाद छंटाई, रंगाई, सिलाई सहित विभिन्न प्रक्रियाओं को पूरा करने में लगभग 7 दिन का समय लग जाता है. तब जाकर गेंद की एक खेत तैयार होती है. उन्होंने बताया कि आधुनिक मशीनों के बावजूद भी अंतिम फिनिशिंग कारीगर हाथ से ही करते हैं. क्योंकि इसी क्वालिटी के बदौलत मेरठ की गेंद विश्व में एक विशेष पहचान रखती है. बताते चलें कि मेरठ की नामचीन कंपनियों की गेंद बड़े-बड़े टूर्नामेंट में उपयोग होती है.
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