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आजमगढ़: यूपी का आजमगढ़ जनपद ऐतिहासिक रूप से प्रदेश के महत्वपूर्ण जिलों में से एक है. इस जिले में महापंडित राहुल सांकृत्यायन, अयोध्या सिंह उपाध्याय ‘हरिऔंध’, कैफी आजमी और शिब्ली नोमानी जैसे कई बड़े-बड़े दिग्गज हस्तियों ने जन्म ले चुके हैं. जिन्हो ने साहित्य, शिक्षा, संगीत से लेकर अदाकारी जैसे कई क्षेत्रों में अपना परचम लहराकर इस जिले का नाम बुलंद किया है.

इसके साथ ही आजमगढ़ ने खेलकूद के क्षेत्र में भी अपनी हम दावेदारी निभाई है. जिले की इस माटी से कई बड़े-बड़े खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित किया है. इसी तरह से आजमगढ़ का एक गांव है. जिसे वॉलीबॉल की धरती कहा जाता है. यहां हर घर में बच्चा-बच्चा वॉलीबॉल का खिलाड़ी निकलता है.

वॉलीबॉल के कई बड़े खिलाड़ियों का है गांव

जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ककरहटा गांव अपने आप में अपनी एक अलग पहचान बनाए हुए हैं. इस गांव को वॉलीबॉल खेल की धरती कहा जाता है. यहां के हर घर का बच्चा वॉलीबॉल खेलने की प्रतिभा में माहिर रहता है. आज भी जिले में अगर वॉलीबॉल के खेल या प्रतिभा की बात होती है तो सबसे पहले ककरहटा गांव का नाम लिया जाता है. इसका सबसे बड़ा कारण है कि यहां के युवा इस खेल को अपनी सबसे पहली पसंद मानते हैं. इस जिले से कई बड़े-बड़े नामी चेहरे वॉलीबॉल खेल में राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मैचों में प्रतिभाग करते हुए जीत हासिल कर चुके हैं.

बर्मा से शुरू हुआ वॉलीबॉल का सफर

आजमगढ़ के इस छोटे से गांव में भारत के लगभग सभी राज्यों की टीमों ने वॉलीबॉल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया है, जिसका जीता जागता सबूत इस गांव में मौजूद यहां का वॉलीबॉल ग्राउंड है, जिसमें खेलते हुए इस गांव की कई पीढ़ियां बीत गई और इस खेल के माध्यम से सिर्फ अपना ही नहीं बल्कि अपने जिले और अपने इस गांव का नाम नाम रोशन किया है. लोकल18 से बातचीत करते हुए इस गांव के निवासी जावेद अहमद डंपी बताते हैं कि सन 1942 में गांव के निवासी इकबाल मरहूम ने बर्मा देश में रहते हुए इस खेल का हुनर सीखा था और इसे अपने गांव ककरहटा की धरती पर लेकर आए.

कई खिलाड़ियों को मिली सरकारी नौकरी

इस गांव के युवाओं खेल का क्रेज बढ़ता गया है. लोग इसे सीखने में दिलचस्पी लेने लगे और समय के साथ यह पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ती चली गई. जावेद डंपी बताते हैं कि इस गांव में सन 2016 में वॉलीबॉल का इंटरनेशनल मैच भी हुआ था, जिसमें देश और विश्व की कई बड़ी-बड़ी वॉलीबॉल की टीमों ने हिस्सा लिया था. टूर्नामेंट की चर्चा सिर्फ जिले ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हुई थी.

इस गांव के निवासी और वॉलीबॉल में नेशनल लेवल तक खेल चुके असद बताते हैं कि गांव के कई युवा वॉलीबॉल खेलते हुए स्पोर्ट्स कोटा के माध्यम से कई सरकारी नौकरियां भी हासिल कर चुके हैं. जिनमें से कुछ आज भी कार्यरत है तो कुछ रिटायर भी हो चुके हैं. इस गांव में आज भी वॉलीबॉल के कई बड़े खिलाड़ी हैं.

अब विलुप्त हो रही गांव की पहचान 

वहीं, समय के साथ-साथ अब इस गांव में इस खेल का क्रेज कम होता जा रहा है. नई पीढ़ी के लोग ऑनलाइन गेमिंग में ज्यादा इंटरेस्ट लेने लगे हैं. अब फिजिकल गेमों में उनकी रुचि लगभग खत्म हो चुकी है, जिसके कारण ककरहटा की पहचान वॉलीबॉल अब धीरे-धीरे यहां से विलुप्त होने लगा है. हालांकि समय-समय गांव के वॉलीबॉल स्टेडियम में कई टूर्नामेंट का आयोजन किया जाता है, जिससे आज भी वॉलीबॉल से इस गांव की पहचान बनी हुई है.

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