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Magnesium Deficiency: मैग्नीशियम ऐसा मिनिरल्स है जो शरीर के लिए इलेक्ट्रोलाइट्स तैयार करता है. इलेक्ट्रोलाइट्स के कारण ही हमारे शरीर में इलेक्ट्रिक सिग्नल पास होता है. अगर ये सिग्नल न मिलें तो हम कुछ भी काम नहीं कर सकते. मैग्नीशियम एक जरूरी मिनरल और इलेक्ट्रोलाइट है, जो मांसपेशियों के कार्य से लेकर ऊर्जा उत्पादन तक कई शारीरिक क्रियाओं में भूमिका निभाता है. इसके इतने महत्वपूर्ण कार्यों के बावजूद मैग्नीशियम की कमी आज भी काफी आम है. यहां तक कि विकसित देशों में भी 15-20 प्रतिशत आबादी को मैग्नीशियम की कमी होती है. चूंकि इसके लक्षण हल्के होते हैं, इसलिए इसकी कमी को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं. इसे लोग सिर्फ तनाव या थकान समझ कर छोड़ देते है.लेकिन यह चीजें बीमारी को और गंभीर बना देती है. इसलिए यदि शरीर में ये संकेत दिखें तो तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए. यहां इन 5 संकेतों को जान लीजिए.

इन संकेतों को न करें नजरअंदाज

1. मसल्स में ऐंठन और झटके- अगर आपकी टांगों, पैरों या पलकों में बिना कारण झटके या ऐंठन होती है तो यह मैग्नीशियम की कमी का पहला संकेत हो सकता है. मैग्नीशियम शरीर में कैल्शियम के संतुलन को बनाए रखता है, जिससे मांसपेशियों का संकुचन और आराम ठीक से होता है. जब मैग्नीशियम की मात्रा कम हो जाती है तो मांसपेशियां बिना वजह सिकुड़ने लगती हैं जिससे दर्दनाक ऐंठन, झटके या कंपन हो सकते हैं. अगर आपको अक्सर रात में मांसपेशियों में झटके होते हैं तो मैग्नीशियम की मात्रा की जांच कराएं.

2.लगातार थकान और कमजोरी- अगर आप पर्याप्त आराम के बाद भी हमेशा थका हुआ या कमजोर महसूस करते हैं तो यह सामान्य नहीं है. यह भी मैग्नीशियम की कमी का संकेत हो सकता है. मैग्नीशियम शरीर में ऊर्जा उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है. यह खाने को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है. जब शरीर में मैग्नीशियम की कमी हो जाती है तो कोशिकाएं सही से ऊर्जा नहीं बना पातीं और व्यक्ति को लगातार थकान महसूस होती है. कई बार इसे नींद की कमी या ज्यादा काम समझ लिया जाता है जबकि असली वजह मैग्नीशियम की कमी हो सकती है.

3.अनियमित दिल की धड़कन –अगर मैग्नीशियम की कमी ज्यादा हो जाए तो दिल की धड़कनों अनियमित होने लगती हैं. मैग्नीशियम दिल की इलेक्ट्रिक गतिविधियों को नियंत्रित कर नियमित धड़कन बनाए रखता है. इसकी कमी से दिल की धड़कन तेज या रुक-रुक कर चल सकती है. अगर आपको बार-बार दिल की धड़कन असामान्य लगती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि यह हृदय संबंधी जोखिम को बढ़ा सकता है.

4. मूड में बदलाव और चिंता-मैग्नीशियम मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करता है. बिना कारण चिड़चिड़ापन, चिंता या हल्का डिप्रेशन भी इसकी कमी के लक्षण हो सकते हैं. मैग्नीशियम न्यूरोट्रांसमीटर को नियंत्रित करता है और तनाव प्रतिक्रिया को संतुलित करता है. अगर आपके मूड में बदलाव जीवन की परिस्थितियों से मेल नहीं खा रहे हैं तो मैग्नीशियम की जांच करवाना जरूरी है.

5. भूख में कमी, मतली और उल्टी- अगर आपकी भूख कम हो रही है और इसका कोई साफ कारण नहीं दिख रहा तो यह भी मैग्नीशियम की कमी की निशानी हो सकती है. इसकी कमी से शरीर की मेटाबॉलिक क्रियाएं और ऊर्जा उत्पादन प्रभावित हो सकते हैं जिससे भूख कम लगती है. गंभीर मामलों में जैसे कि हाइपोमैग्नीसीमिया में मतली और उल्टी भी हो सकती है. अगर ये लक्षण बने रहें तो जांच जरूर करवाएं.

मैग्नीशियम की कमी पर ये खाएं
रोजाना के मैग्नीशियम की जरूरत को पूरा करने के लिए पौष्टिक और संतुलित भोजन लें. हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, नट्स, बीज, साबुत अनाज और दालें मैग्नीशियम के अच्छे स्रोत हैं. इसके साथ ही जो लोग नॉन बेजिटेरियन हैं वे मीट, मछली, अंडा, चिकन आदि का भी सेवन कर सकते हैं. अखरोट, बादाम, पिश्ता, सीड्स आदि में ज्यादा मैग्नीशियम होता है. इन चीजों का सेवन रूटीन बना लें.ॉ

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