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WAVES 2025 समिट में शाहरुख खान ने एक ऐसा बयान दिया जिसने सभी को चौंका दिया! उन्होंने खुलासा किया कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक गंभीर संकट से जूझ रही है – और इसका हल छोटे शहरों में छुपा है. उन्होंने थिएटर की गिराव…और पढ़ें

WAVES 2025 में शाहरुख ने दिया जवाब!…(फोटो साभार- file photo)
हाइलाइट्स
- शाहरुख ने छोटे शहरों में सस्ते थिएटर्स खोलने का सुझाव दिया.
- ओटीटी प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव से सिनेमा हॉल में दर्शक कम हो रहे हैं.
- शाहरुख ने WAVES 2025 के आयोजन के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया.
नई दिल्ली : बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान ने गुरुवार को मुंबई में आयोजित वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES) 2025 में हिस्सा लिया और हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सामने आ रहे संकट पर बेबाकी से अपनी राय रखी. उन्होंने इस अवसर पर बताया कि इंडस्ट्री को मौजूदा हालात से उबारने के लिए कौन-कौन से कदम उठाने की जरूरत है.
शाहरुख ने कहा कि फिल्मों के असली दर्शक छोटे शहरों और कस्बों में हैं, लेकिन वहां थिएटरों की भारी कमी है. उन्होंने सुझाव दिया कि इंडस्ट्री को बचाने के लिए हमें इन इलाकों में ज्यादा से ज्यादा सस्ते थिएटर्स खोलने चाहिए. शाहरुख ने आगे कहा- अभी के थिएटर्स काफी महंगे हैं और सिर्फ बड़े शहरों में मौजूद हैं. इससे आम दर्शक सिनेमा से दूर होता जा रहा है.’
चीन के मॉडल को अपनाएं
उन्होंने चीन का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां पर बड़ी संख्या में थिएटर्स बनाए गए हैं, जिससे वहां फिल्में देखने का चलन बढ़ा है. शाहरुख ने कहा कि भारत भी चीन के मॉडल को अपनाकर अपने थिएटर इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत कर सकता है.
शाहरुख ने यह भी स्वीकार किया कि ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल मनोरंजन के बढ़ते प्रभाव के चलते सिनेमा हॉल में लोगों को लाना आज के दौर में बहुत बड़ी चुनौती बन गया है. उन्होंने माना कि फिल्म बनाना अब पहले से ज्यादा खर्चीला हो चुका है.
WAVES 2025 और प्रधानमंत्री मोदी की सराहना
शाहरुख खान ने समिट के आयोजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया. उन्होंने कहा- ये बहुत अच्छी बात है कि WAVES की पहल खुद माननीय प्रधानमंत्री की ओर से हुई है. वरना, फिल्म इंडस्ट्री के लोग तो हमेशा कहते हैं – ‘हमको इंडस्ट्री का दर्जा कब दोगे?’”
उन्होंने कहा कि इस तरह के आयोजन फिल्म इंडस्ट्री के लिए एक नई उम्मीद लेकर आते हैं, खासकर तब जब ये क्षेत्र बदलाव और चुनौतियों से गुजर रहा है. शाहरुख खान के विचार इस बात को दर्शाते हैं कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को जीवित रखने के लिए अब नीतिगत बदलावों और जमीनी स्तर पर ठोस कार्य की जरूरत है.
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