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Shimla mirch ki kheti ke fayde : किस्मों की इस विविधता का सीधा फायदा किसानों को होता है. वे बाजार की मांग के हिसाब से अलग-अलग वैरायटी की खेती कर सकते हैं. गर्मी में देखभाल ज्यादा करनी पड़ती है.

गर्मियों में इन किस्मो को रहती है काफी डिमांड
हाइलाइट्स
- शिमला मिर्च की खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा हो रहा है.
- बाराबंकी के संदीप तीन बीघे में शिमला मिर्च की खेती करते हैं.
- लाल शिमला मिर्च की कीमत हरी से अधिक मिलती है.
Shimla Mirch Farming tips/बाराबंकी. हमारे यहां शिमला मिर्च की खेती व्यापक स्तर पर की जाती है. बाजार में इसकी तीन प्रमुख किस्में- हरी, पीली और लाल शिमला मिर्च उपलब्ध हैं. हालांकि इन तीनों किस्मों का उपयोग एक जैसा ही होता है, लेकिन इनमें कई अंतर हैं. ये अंतर स्वाद, रंग और बनावट में देखने को मिलते हैं. बाजार में इन तीनों किस्मों की कीमतों में भी काफी अंतर होता है. इस विविधता का सीधा फायदा किसानों को मिलता है. वे अपनी जमीन और बाजार की मांग के अनुसार अलग-अलग किस्मों की खेती कर सकते हैं. किसान एक ही खेत में विभिन्न किस्मों की खेती करके जोखिम कम कर सकते हैं. इससे उन्हें नियमित आय के साथ-साथ अच्छा मुनाफा भी मिलता है.
लाल और हरी में फर्क
बाराबंकी जिले के रामनगर तहसील क्षेत्र के नहामऊ गांव के रहने वाले किसान संदीप कुमार पारंपरिक फसलों से हटकर शिमला मिर्च की खेती कर रहे हैं. आज वे करीब तीन बीघे में शिमला की खेती कर रहे हैं. इस खेती से उन्हें एक फसल पर एक से डेढ़ लाख रुपये मुनाफा हो रहा है. Loacl 18 से बातचीत में किसान संदीप बताते हैं कि पहले वे पारंपरिक खेती करते थे. लेकिन इधर तीन-चार साल से सब्जियों की खेती कर रहे हैं, जिसमें टमाटर, आलू, गोभी और शिमला मिर्च शामिल हैं. इस समय वे करीब तीन बीघे में हरी और लाल शिमला मिर्च उगा रहे हैं. लाल शिमला मिर्च थोड़ा महंगा बिकता है. एक बीघे में 15 से 20 हजार रुपये लागत आती है और मुनाफा एक से डेढ़ लाख रुपये तक हो जाता है. गर्मी के मौसम में इसकी देखभाल थोड़ी ज्यादा करनी पड़ती है.
इस विधि से उगाए पौधे
शिमला मिर्च की खेती करने के लिए पहले खेत में गोबर और वर्मी कंपोस्ट की खाद डालकर गहरी जुताई करते हैं. उसके बाद मेड़ बनाते हैं. फिर उन मेड़ों पर पन्नी बिछा दी जाती है. पन्नी में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर छेद कर पौधे को लगाया जाता है. उसके तुरंत बाद इसकी सिंचाई कर देते हैं. पौधा लगाने के महज दो महीने बाद फल निकलना शुरू हो जाते हैं. अब इसे बाजारों में बेच सकते हैं.
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