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Disadvantages Of Brown Rice: ब्राउन राइस में आर्सेनिक अधिक होता है, जो दिमाग और दिल पर बुरा असर डालता है. इसमें सफेद चावल से 24% ज्यादा आर्सेनिक होता है. विशेषज्ञ विविधता और सही पकाने की सलाह देते हैं.

व्हाइट से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है ब्राउन राइस, जानिए क्यों? (Canva)
हाइलाइट्स
- ब्राउन राइस में सफेद चावल से 24% अधिक आर्सेनिक होता है.
- आर्सेनिक बच्चों के दिल और दिमाग पर नकारात्मक असर डालता है.
- विशेषज्ञ विविधता और सही पकाने की सलाह देते हैं.
Disadvantages Of Brown Rice: देश और दुनिया आए दिन तरह-तरह के शोध सामने आते हैं. लेकिन, कुछ रिसर्च की हकीकत हमें डरा सकती है. एक ऐसी शोध वाइली ऑनलाइन लाइब्रेरी में प्रकाशित हुई है. इस रिसर्च में पाया गया कि, सफेद से ब्राउस राइस अधिक नुकसानदायक हैं. क्यों कि, ब्राउन राइस में आर्सेनिक की मात्रा काफी अधिक होती है. जी हां, आर्सेनिक एक ऐसा रासायनिक तत्व है जो इंसानी शरीर के लिए जहर है. यह दिमाग और दिल पर नकारात्मक असर डालता है. एक नई शोध बताती है कि ब्राउन राइस में विषैले रसायन की मात्रा 50 फीसदी से अधिक होती है, इसलिए सेवन करने से पहले ऐहतियात बरतनी चाहिए. लेकिन आखिर ऐसा होता क्यों है? क्यों इसमें जहरीले तत्व की मात्रा ज्यादा होती है? रिसर्च रिपोर्ट इसका भी खुलासा करती है.
रिसर्च का दावा
इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने चावल के नमूनों के आंकड़ों का विश्लेषण किया और पाया कि ब्राउन राइस में व्हाइट राइस यानी सफेद चावल की तुलना में 24% अधिक आर्सेनिक और 40% अधिक इन-ऑर्गेनिक आर्सेनिक (जो एक ज्ञात कैंसरकारी पदार्थ है) मौजूद रहता है.
क्या कहती है रिसर्च
अध्ययन यह भी बताती है कि “पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों में ब्राउन राइस से आर्सेनिक के हानिकारक प्रभाव का खतरा हो सकता है,” क्योंकि वे वयस्कों की तुलना में अपने शरीर के वजन के सापेक्ष अधिक भोजन खाते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक बचपन में आर्सेनिक के संपर्क में आने से युवा वयस्कों के कोग्नेटिव डेवलपमेंट पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मृत्यु दर में वृद्धि होती है.
अब सवाल उठता है कि ब्राउन राइस जहरीला क्यों? ब्राउन चावल में आर्सेनिक का स्तर अधिक होता है, क्योंकि यह विषैला तत्व अनाज की बाहरी परतों में जमा हो जाता है, जो इसमें बरकरार रहता है, वहीं व्हाइट राइस से प्रोसेसिंग के दौरान इसे हटा दिया जाता है. इसका सीधा मतलब है कि ब्राउन चावल में फाइबर और पोषक तत्वों के साथ ही आर्सेनिक की मात्रा भी कम नहीं है.
एक्सपर्ट की सलाह
विशेषज्ञ इसे लेकर जरूरी सलाह भी देते हैं. उनके मुताबिक इससे पूरी तरह परहेज नहीं करना चाहिए बल्कि विकल्पों में विविधता लाने पर जोर देना चाहिए. खाना पकाने के ऐसे तरीकों को अपनाना चाहिए जिससे आर्सेनिक की मात्रा को कम किया जा सके. वह तरीका चावल को अच्छी तरह से धोना और उसे अतिरिक्त पानी में पकाना हो सकता है. विशेष रूप से छोटे बच्चों के लिए पकाते समय इसका ध्यान दिया जाना चाहिए.
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