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Agency:News18 Uttar Pradesh

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Saharanpur Praimary School: सरकारी स्कूलों में लोग अपने बच्चों को पढ़ाने से बचते हैं. इसका बड़ा कारण सरकारों औऱ सरकारी टीचरों की लापरवाही है.

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सहारनपुर के इस सरकारी स्कूल के आगे फेल हैं प्राइवेट स्कूल, ये है खासियत

योगी के इस स्कूल के बच्चों की फर्राटेदार इंग्लिश सुनकर हर कोई करता है तारीफ

सहारनपुर: सरकारी स्कूलों में शिक्षा के स्तर को देखते हुए लोग यहां अपने बच्चों को पढ़ाने से बचते हैं. ऐसे में उनके पास प्राइवेट स्कूल ही एकमात्र सहारा होते हैं. हालांकि, उत्तर प्रदेश सरकार बीते कुछ समय से शिक्षा को लगातार बढ़ावा दे रही है और सरकारी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा को उच्च स्तरीय करने के प्रयास में जुटी है. सरकारी स्कूलों के बारे में लोगों की राय है कि यहां सही से पढ़ाई नहीं हो पाती और इसी कारण लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना पसंद करते हैं लेकिन, यूपी का एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जो बच्चों को कई प्राइवेट स्कूलों से बेहतर शिक्षा दे रहा है. वहां के बच्चों का टैलेंट देख लोग हैरत में पड़ जाते हैं.

हम बात कर रहे हैं सहारनपुर के मल्हीपुर में स्थित प्राइमरी स्कूल की. यहां के बच्चे बेहतरीन शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं और इंग्लिश मीडियम स्कूलों के बच्चों को अपनी फर्राटेदार इंग्लिश से पीछे भी छोड़ रहे हैं. बच्चों के फर्राटेदार इंग्लिश बोलने का श्रेय प्राइमरी स्कूल में शिक्षा दे रहे सभी टीचर्स को जाता है. सहारनपुर के बड़े अधिकारी भी समय-समय पर इस प्राइमरी स्कूल का निरीक्षण करते रहते हैं और इन बच्चों की फर्राटेदार इंग्लिश को सुनकर तारीफ भी करते हैं. ऐसा नहीं है कि बच्चे इंग्लिश में ही बात करते हैं. बच्चे शुद्ध हिंदी और हिंदी से इंग्लिश को सेकंडों में ट्रांसलेट कर देते हैं.

बच्चे हिंदी को इंग्लिश में सैकड़ो में कर लेते हैं ट्रांसलेट
स्कूल की छात्रा वंशिका ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि जब उन्होंने स्कूल में एडमिशन लिया था तो उनको उम्मीद नहीं थी कि उनको इतनी अच्छी शिक्षा दी जाएगी. वह मात्र कक्षा 7 में है लेकिन उसके बावजूद भी इंग्लिश मीडियम के बच्चों से इंग्लिश टू इंग्लिश बात करती है. यहां तक की उनके माता-पिता और रिश्तेदार भी उनकी इस हाई-फाई इंग्लिश को सुनकर हैरान हैं. उनको भी अपनी पढ़ाई को देखकर नहीं लगता कि वह सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं. उन्हें महसूस होता है कि वह किसी अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल से शिक्षा ले रहे हैं.

अध्यापिका सोनल पुंडीर ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि इंग्लिश एक फॉरेन लैंग्वेज है. उनको बच्चों के साथ रेगुलर मेहनत करनी पड़ती है. उन्होंने यह भी कहा कि हर टीचर को बच्चों के साथ रेगुलर मेहनत करनी भी चाहिए. बच्चों को अच्छे से इंग्लिश सिखाने के लिए अच्छा माहौल मिलना जरूरी है जो कि उनको निरंतर दिया जाता है और आज उनको अपने बच्चों को देखकर गर्व महसूस होता है. पांचवी से छठी क्लास का बच्चा 12वीं के बच्चों से भी अच्छी हाई-फाई इंग्लिश बोल लेता है साथ ही अन्य बच्चों को भी इंग्लिश में अच्छे से समझा सकता है.

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सहारनपुर के इस सरकारी स्कूल के आगे फेल हैं प्राइवेट स्कूल, ये है खासियत

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