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Mohinder amarnath on rohit sharma and virat-kohli: कभी चयनकर्ताओं को बंच ऑफ जोकर्स कहने वाले मोहिंदर अमरनाथ का मानना है कि विराट कोहली-रोहित शर्मा पर कोई मजबूत सिलेक्टर ही फैसला ले सकता है.
हाइलाइट्स
- कोहली-रोहित पर मजबूत चयनकर्ता ही फैसला ले सकता है.
- सीनियर खिलाड़ियों में भूख कम हो जाती है: अमरनाथ
- बिशन सिंह बेदी को बताया सबसे बेहतरीन कप्तान
जयपुर. क्या विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे सीनियर खिलाड़ियों में रन की भूख कम हो रही है. वर्ल्ड कप 1983 के सेमीफाइनल और फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच रहे मोहिंदर अमरनाथ को ऐसा ही लगता है. अमरनाथ कहते हैं कि जब आप काफी सीनियर होते हैं तो बहुत भूख नहीं रह जाती, चुस्ती नहीं रहती. ऐसे में चयनकर्ताओं की भूमिका बढ़ जाती है. इससे भी फर्क पड़ता है कि चयनकर्ताओं में कितना अनुभव है और उनमें क्या योग्यता है.
कभी सेलेक्टर्स को बंच ऑफ जोकर्स कहने वाले मोहिंदर अमरनाथ कहते हैं, ‘चयनकर्ता हमेशा ही बेहतरीन खिलाड़ी को बनाना चाहिए. अगर ऐसा नहीं होगा तो वे मजबूत फैसले नहीं ले पाएंगे. रोहित शर्मा, विराट कोहली के बारे में क्या करना है, यह कोई मजबूत सिलेक्टर ही फैसला ले सकता है.’ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में एक सेशन में मोहिंदर अमरनाथ ने चयनकर्ताओं से जुड़ा पुराना किस्सा भी सुनाया. उन्होंने कहा, ‘एक वक्त पर अमरनाथ नाम के साथ ही बीसीसीआई को दिक्कत थी. मेरे पिता से भी थी और फिर इसी नाम की वजह से हमसे हुई. अगर हमारा सरनेम दूसरा होता, तो हमें टीम से ड्रॉप नहीं किया जाता.’
बिशन सिंह बेदी सबसे बेहतरीन कप्तान
मोहिंदर अमरनाथ ने कहा कि बिशन सिंह बेदी सबसे बेहतरीन कप्तान थे. वे खिलाड़ियों के लिए लड़ते थे. ऐसे ही इमरान खान बेहतरीन कप्तान थे. यू हैव टू सेट एन एग्जांपल. अगर सभी खिलाड़ी 2 राउंड लगा रहा है. तो कप्तान 3 लगाएगा. अमरनाथ ने साथ ही कहा, ‘सचिन, विराट और सुनील गावस्कर में से किसी को चुनना होगा तो मैं सनी को चुनूंगा.’
तब अंग्रेजी बोलना तो अपराध था…
मोहिंदर अमरनाथ ने कहा, ‘मैं जहां पढ़ा, वहां अंग्रेजी बोलना तो अपराध ही था. मैं हिंदी में लिखता था और बाद में उसे ट्रांसलेट करता था. उन्होंने कहा कि मेरे पिता जानते थे कि हम क्रिकेटर बन गए, तो हम क्या बन जाएंगे. वे हमेशा ऐसे ही ट्रीट करते थे. चोट लगती थी, तो यह नहीं कि आराम करो. वे कहते थे कि बर्फ लगाओ और खेलने जाओ.’ उन्होंने कहा, ‘मेरे भाई मुझसे दो साल बड़े थे. वे दसवीं में और मै आठवीं में. परीक्षा हुई, मैं नौवीं में आ गया और वे दसवीं में ही थे. फिर परीक्षा हुई.अब मैं भी दसवीं में और वे भी दसवीं में ही. साफ है कि हमारे घर में ही पढ़ाई से ज्यादा क्रिकेट का माहौल था.’
अगला मैच खेलने को लेकर हमेशा डाउट रहता था
मोहिंदर अमरनाथ ने कहा कि वे हमेशा डाउट में रहते थे कि अगला मैच खेलेंगे या नहीं. लेकिन चुनौती हमेशा आपको तैयार करती है. वैसे भी दो मैच में गलत खेला और आप बाहर. लेकिन कई खिलाड़ियों को ज्यादा मौके मिलेंगे. जिमी नाम से पॉपुलर रहे अमरनाथ ने कहा, ‘लेकिन इसने मुझे तैयार होने के मौके दिए. अपनी कमजोरियों पर काम करने के मौके दिए. मैं अपने पिता से बताता था कि यह दिक्कत हुई. कोई होना चाहिए जिसपर आपको भरोसा हो. मैं लकी था कि भारत के लिए खेल पाया. आपके पास जुनून है, तो आप कुछ भी पा सकते हैं.’
पिता ने आक्रामक क्रिकेटर बनाया
उन्होंने बताया कि बिशन बेदी ने वेस्टइंडीज के खिलाफ एक टेस्ट में दोनों ईनिंग घोषित कर दी थी.वे नहीं चाहते थे कि कोई खिलाड़ी चोटिल हो. क्रिकेट में तकनीक और ट्रेनिंग काफी इंपोर्टेंट है. मेरे पिता स्टार थे. उन्होंने ट्रेन किया कि अगर बड़ा बल्लेबाज बनना है तो आपको तेज गेंदबाजी का सामना करना होगा. उन्होंने सिखाया कि आक्रामक बनो. मोहिंदर ने कहा कि हमारे वक्त कुछ खिलाड़ी सिर्फ शॉपिंग के लिए जाते थे. कैमरा टांग कर, हॉलीडे पर जाते थे. साउथ से थे कुछ प्लेयर थे, जो ऐसा करते थे.
भाई ने कराई मोहिंदर की पिटाई
मोहिंदर के भाई राजेंद्र अमरनाथ ने भी कुछ किस्से सुनाए. उन्होंने कहा, ‘अगर बचपन में मैंने मोहिंदर को पिटाई नहीं करवाई होती तो यह क्रिकेटर नहीं बल्कि, एक्टर होते. उन्होंने कहा कि मेरी वजह से ही आज ये क्रिकेटर बने हैं. मुझे लगता है कि अगर 1983 में मोहिंदर भारतीय टीम के सदस्य नहीं होते तो शायद इंडिया वर्ल्ड कप भी नहीं जीत पाता.’
Delhi,Delhi,Delhi
January 31, 2025, 16:27 IST
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