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कभी-कभी ज़िंदगी में ऐसे मोड़ आते हैं, जो किसी फिल्मी चमत्कार से कम नहीं लगते. गुजरात के सूरत जिले की 63 वर्षीय जैबुन्निशा एम. की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जहां दांतों का इलाज बन गया सुनने की शक्ति लौटाने का जरिया. करीब बीस सालों से जैबुन्निशा एक ऐसी दुनिया में जी रही थीं, जहाँ कोई भी आवाज़ उनके कानों तक नहीं पहुंचती थी. पिछले 10 वर्षों से हालत इतनी बिगड़ चुकी थी कि सबसे महंगे हियरिंग एड्स भी बेअसर हो चुके थे. वो धीरे-धीरे समाज से कटने लगी थीं. न किसी शादी-ब्याह में जातीं, न मेल-मुलाक़ात करतीं. यहां तक कि पड़ोसी तक उन्हें घमंडी समझने लगे थे – उन्हें नहीं पता था कि जैबुन्निशा सुन ही नहीं सकती थीं.

कोक्लियर सर्जरी से पहले हुआ करिश्मा
टीओटी के खबर के मुताबिक, उनकी बेटी तहेज़ीब, जो दुबई में रेडियोलॉजिस्ट हैं, और दूसरी बेटी अमेरिका में डेंटिस्ट, मिलकर उनकी कोक्लियर इम्प्लांट सर्जरी की तैयारी कर रही थीं. जुलाई में ऑपरेशन होना तय था. सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था, लेकिन तभी एक दिन अचानक कुछ ऐसा हुआ जिसने सबको चौंका दिया.
जैबुन्निशा बताती हैं, “मैं घर पर बैठी थी कि अचानक कुछ आवाज़ें सुनाई देने लगीं. पहले मुझे लगा शायद भ्रम हो, लेकिन जब मैंने अपने पति को बताया और पड़ोसियों के यहां जाकर पुष्टि की, तो हमें यकीन हो गया – मैं सच में सुन पा रही हूं!”

दांतों का इलाज बना सुनने का कारण?
इस ‘चमत्कार’ से कुछ हफ्ते पहले जैबुन्निशा ने फुल माउथ डेंटल इम्प्लांट कराया था. साथ ही टेम्पोरोमैंडिबुलर जॉइंट (TMJ) थेरैपी और नर्व डिकंप्रेशन जैसे डेंटल ट्रीटमेंट भी हुए. डेंटल इम्प्लांट विशेषज्ञ डॉ. ऋषि भट्ट के मुताबिक, “संभावना है कि जब दांतों की नसों पर दबाव कम किया गया, तो उससे कान से जुड़ी नसों पर भी असर हुआ और सुनने की शक्ति लौट आई.”

ENT सर्जन भी हैरान
ENT विशेषज्ञ डॉ. अशरफ मास्टर ने कहा, “जब हमने ऑडियोग्राम रिपोर्ट देखी, तो उसमें सुधार साफ दिखा. इसलिए कोक्लियर सर्जरी को टाल दिया गया.” डॉक्टर खुद हैरान हैं कि यह साइंटिफिक इंटरवेंशन था या प्राकृतिक चमत्कार.

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रास्‍ते पर लौट आई जिंदगी

अब जैबुन्निशा फिर से परिवार और समाज से जुड़ गई हैं. वो फोन कॉल खुद करती हैं, और उत्साह के साथ शादी-ब्याह में शामिल होने लगी हैं. उनकी बेटी तहेज़ीब बताती हैं, “पहले वो बस बोलती थीं और हम सुनते थे. अब वो हमारी बातें सुनकर हंसती भी हैं और जवाब भी देती हैं.”

पति अब्बास, जो खुद एक डॉक्टर हैं, कहते हैं, “पहले मुझे विश्वास नहीं हुआ, लेकिन अब मैं बस अल्लाह का शुक्र अदा करता हूं. यह विज्ञान भी हो सकता है और दुआ भी.”

इस घटना ने डॉक्टरों और मेडिकल साइंस के जानकारों को भी सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्या यह एक मेडिकल एक्सीडेंट है या नेचुरल हीलिंग का असर? लेकिन जैबुन्निशा के लिए यह एक नया जन्म है – और इसकी वजह बना सिर्फ़ और सिर्फ़ दांतों का इम्प्लांट.

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