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Churu Special Bhaiji Peda Recipe: राजस्थान के चूरू शहर में स्थित “भाईजी पेड़े” की दुकान करीब 80 साल पुरानी मिठाई परंपरा को आज भी ज़िंदा रखे हुए है. डूंगर जी धुत द्वारा शुरू की गई इस दुकान की पहचान अब दो अलग-अलग…और पढ़ें

हाइलाइट्स

  • भाईजी के पेड़े 80 साल से चूरू की पहचान हैं.
  • गाय के शुद्ध दूध से बने पेड़े देश-विदेश में मशहूर हैं.
  • केसर पेड़े की कीमत 421 रुपये प्रति किलो है.

चुरू. धोरों का शहर चूरू जहां अपनी तीखी सर्दी और तपती गर्मी के लिए जाना जाता है, वहीं यहां के “भाईजी के पेड़े” भी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. दूध और मावे से बने ये पेड़े आज से करीब 80 साल पहले पहली बार बनाए गए थे. चूरू के मुख्य बाजार झारिया मोरी में स्थित यह दुकान आज भी मिठाई प्रेमियों की पहली पसंद बनी हुई है. इस दुकान की शुरुआत डूंगर जी धुत ने की थी, जिन्हें लोग स्नेह से ‘भाईजी’ कहकर पुकारते थे. तभी से यह दुकान “भाईजी पेड़े वाले” के नाम से प्रसिद्ध हो गई. वर्षों से चले आ रहे इस स्वाद और परंपरा को अब सुनील प्रजापत संभाल रहे हैं. सुनील बताते हैं कि उनके पेड़े केवल राजस्थान में ही नहीं, बल्कि देश के कोने-कोने और विदेशों तक भी भेजे जाते हैं.

”भाईजी पेड़े” की खासियत इसकी सादगी और शुद्धता में छिपी है. देसी घी, शुद्ध दूध और पारंपरिक विधि से बनाए गए यह पेड़े मुंह में जाते ही घुल जाते हैं. न कोई दिखावटी चमक, न कोई आधुनिक पैकेजिंग, सिर्फ स्वाद और परंपरा का मेल ही इन पेड़ों को खास बनाता है. “भाईजी के पेड़े” अब भी पुराने ज़माने की मिठास और अपनापन लिए हुए हैं, जो हर उम्र के लोगों को पसंद आते हैं. वर्षो पुरानी इस दुकान पर आज भी लोग दूर-दराज से पेड़े लेने आते हैं. अपने स्वाद के लिए मशहूर इन पेड़ों की दीवानगी सात समंदर पार भी है.

भाईजी के नाम से चल रही है दो दुकानें

झारिया मोरी पर वर्षों पहले ”भाईजी पेड़े” की दुकान की स्थापना डूंगर जी धुत ने की थी. उनके यहां काम करने वाले सीताराम प्रजापत ने पेड़े बनाने की यह कला सीखी. इसके बाद, यहां दूध देने वाले तेजपाल सैनी ने डूंगर जी धुत उर्फ भाईजी को हाथ बंटाने के लिए अपने बेटे गोपीराम सैनी को उनके पास छोड़ दिया. वर्ष 1985 में भाईजी के देहांत के बाद, आज उनकी सिखाई हुई उसी पारंपरिक कला के दम पर यह मिठाई परंपरा जारी है. वर्तमान में यह दुकान दो हिस्सों में संचालित हो रही है, जिन्हें सुनील प्रजापत और राकेश सैनी चला रहे हैं.

421 रूपए किलो है केसर पेड़े की कीमत

”भाईजी पेड़े” की दुकान चलाने वाले सुनील प्रजापत बताते हैं कि उनके पेड़ों का स्वाद आमतौर पर बिकने वाले साधारण पेड़ों से इसलिए खास है कि गाय के शुद्ध दूध से मिलने वाले मावे से बनाते हैं. खास बात यह है दूध से मावा खुद निकालते हैं. मावा में कम चीनी मिलाकर सिकाई करने के बाद फिर घुटाई करते हैं. इसके बाद फिर से सिकाई करते हैं. इसके अलावा यहां स्पेशल केसर पेड़े भी बनाए जाते हैं. कम चीनी के पेड़ों के दाम जहां 360 रुपए किलो है, तो स्पेशल केसर पेड़ों के दाम 421 रुपए प्रति किलो है. यहां से पेड़े राजस्थान के अलावा देश-विदेश में भेजे जाते हैं. इसकी एक और खासियत यह है कि यहां बनने वाले पेड़े जल्द खराब नहीं होते हैं.

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स्वाद और परंपरा का मिशाल है ‘भाईजी पेड़ा’, 80 वर्षो से कायम है क्रेज

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