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उत्तराखंड के कुमाऊं में चावल का हलवा “चावल की साई” त्योहारों पर विशेषकर फूलदेई में बनता है. यह गुड़ और चावल से तैयार होता है और सांस्कृतिक धरोहर है.

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स्वाद में लाजवाब है ये चावल का हलवा, उत्तराखंड के इस खास पर्व पर होता है….

टेस्टी चावल का हलवा 

हाइलाइट्स

  • चावल का हलवा कुमाऊं में त्योहारों पर बनाया जाता है.
  • गुड़ और चावल से तैयार होता है चावल का हलवा.
  • फूलदेई त्योहार पर विशेष रूप से बनता है चावल का हलवा.

बागेश्वर: उत्तराखंड अपनी खास और पारंपरिक पकवानों के लिए जाना जाता है. खासकर यहां के मीठे व्यंजन त्योहारों के मौसम में बड़े चाव से बनाए जाते हैं और खाए जाते हैं. इनमें से एक खास व्यंजन है चावल का हलवा, जिसे स्थानीय भाषा में “चावल की साई” कहा जाता है. यह कुमाऊं क्षेत्र में कड़ी पसंद किया जाता है और खासतौर पर फूलदेई के त्योहार के दौरान इसे बनाया जाता है. इस हलवे का महत्व त्योहारों के दौरान और भी बढ़ जाता है.

चावल का हलवा बनाने की विधि
बागेश्वर के स्थानीय जानकार रमेश पर्वतीय ने लोकल 18 से खास बातचीत में बताया कि, चावल का हलवा बनाने का तरीका बहुत आसान है. सबसे पहले चावल को बारीक पीस लिया जाता है. फिर इस पीसे हुए चावल में गुड़ मिलाया जाता है. इसके बाद इसे कढ़ाई में घी डालकर धीमी आंच पर तब तक भूना जाता है जब तक हलवा पूरी तरह से क्रंची न हो जाए. हलवे का रंग भूरा होने तक इसे भूनना होता है. ये हलवा बूंदी के दानों जैसा दिखाई देता है, लेकिन इसका स्वाद उससे कहीं अधिक लाजवाब होता है. कुछ लोग इसे दिवाली के दिन भी बनाते हैं.

स्वाद और महत्व
चावल का हलवा स्वाद में बेहद मीठा और खुशबूदार होता है. यह गुड़ और चावल के मिश्रण से तैयार किया जाता है, जो इसके स्वाद को और बढ़ा देता है. कुमाऊं क्षेत्र के लोग इसे विशेष अवसरों पर बनाते हैं और फिर इसे परिजनों और मेहमानों के बीच परोसते हैं. खासकर फूलदेई जैसे त्योहारों पर यह व्यंजन घर-घर में बनाया जाता है. त्योहारों के समय इस हलवे का महत्व बढ़ जाता है क्योंकि यह न केवल स्वाद में मीठा होता है, बल्कि यह सांस्कृतिक परंपरा का भी हिस्सा है.

चावल का हलवा एक सांस्कृतिक धरोहर
चावल का हलवा बनाने की यह विधि उत्तराखंड की पुरानी परंपराओं को जीवित रखे हुए है. यह कुमाऊंनी व्यंजन प्रेमियों के दिलों में खास जगह बनाए हुए है. इसे इस तरह भी देखा जा सकता है कि चावल का हलवा न केवल उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, बल्कि यह उस क्षेत्र के लोगों की मिठास और आतिथ्य की भावना को भी दर्शाता है.

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स्वाद में लाजवाब है ये चावल का हलवा, उत्तराखंड के इस खास पर्व पर होता है….

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