[ad_1]
Last Updated:
Woman Control PCOS: चंडीगढ़ की एक 20 साल की महिला ने बच्चेदानी की गंभीर बीमारी PCOS को हंसते-हंसते ठीक कर लिया. इसके लिए उन्होंने कुछ खास नहीं बल्कि सिर्फ डायट में बदलाव करके ऐसा कमाल किया.

पीसीओएस.
Woman Control PCOS: पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट चंडीगढ़ के डॉक्टर एक खास अध्ययन कर रहे हैं. इस अध्ययन के तहत महिलाओं को बच्चेदानी से संबंधित बीमारी PCOS को बिना दवाई ठीक करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. अध्ययन के तहत जैसे ही कोई महिला डॉक्टर के पास इस तरह की समस्या लेकर आती हैं, उन्हें एक खास तरह की शिक्षा दी जाती है. 20 साल की एक लड़की जब पीसीओएस की समस्या लेकर आई तो उन्हें सबसे पहले नोटबुक में लिखने के लिए कहा गया. इसमें उन्होंने लखा कि मैं वजन कम करना चाहती हूं. इसके लिए मैं रोज हेल्दी फूड खाउंगी और एक्सरसाइज करूंगी. इसके बाद इस लड़की से इसी बात को जोर से बोलने के लिए कहा गया. हैरानी की बात यह है कि ऐसा करने के बाद मरीज ठीक हो रहे हैं.
पीसीओएस में प्रीमेच्योर अंडे रिलीज होते है
इंडियन एक्सप्रेस की खबर में इस अध्ययन का हिस्सा रही एडिशनल प्रोफेसर डॉ. रमा वालिया कहती हैं कि हम मरीज में सकारात्म सोचने की शक्ति और हेल्दी लाइफस्टाइल के लिए प्रेरित करते हैं. पीसीओएस यानी पोलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम में अंडाशय समय से पहले प्रीमेच्योर अंडे को रिलीज कर देता है. इससे ओवरी से खून रिसता रहता है और इसमें भंयकर दर्द होता है. वास्तव में जब महिला के शरीर में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन बढ़ जाता है तब पीरियड गड़बड़ होने लगते हैं और फिर यह परेशानी होती है. बढ़ा हुआ वजन, तनाव और खराब डाइट इसके कारण होते हैं. चंडीगढ़ के पोस्टग्रेजुएट अस्पताल में इस बीमारी से पीड़ित महिलाओं को इन्हीं तीनों चीजों पर काबू करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.
पढ़ी-लिखी महिलाएं ज्यादा शिकार
डॉ. रमा वालिया ने बताया कि हम यह मरीज को बताते हैं कि आप हेल्दी डाइट लें, रोज एक्सरसाइज करें और तनाव को भगा दें. इस तरह की सकारात्मक सोच से उन्हें प्रोत्साहित करते हैं. दरअसल, 20-25 साल की उम्र में लड़कियां अपनी बॉडी को लेकर खुद ही कई तनाव से गुजर रही होती हैं. अगर उनमें इस तरह की सकारात्मक सोच को विकसित किया जाए तो इससे बीमारी को खत्म करना आसान हो जाता है. हम इसे ही इलाज का हिस्सा बनाना चाहते हैं. डॉ. वालिया ने बताया कि पीसीओएस में बॉडी के इमेज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. मरीज में पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं, चेहरे पर कील-मुहांसे आ जाते है, चेहरे पर बाल निकलने लगते हैं और वजन बढ़ने लगता है. ऐसे में उन्हें प्यार से समझाने की जरूरत है. उन्हें हम प्रोत्साहित कर पहले लिखाते हैं और फिर उसे पढ़ाते हैं. इससे मनोवैज्ञानिक रूप से वह मजबूत होती हैं. इस तरीकों में कुछ दवाइयों को शामिल कर मरीज को हेल्दी लाइफस्टाइल बनाने के लिए प्रेरित किया जाता है. इस अध्ययन में यह हैरान करने वाली बातें सामने आई है कि 25 साल से कम उम्र की ज्यादा पढ़ी-लिखी महिलाएं इसके ज्यादा शिकार हो रही हैं.
डाइट में इस तरह का बदलाव
पीजीआई चंडीगढ़ में डायटीशियन एचओडी डॉ. नैंसी सहनी बताती हैं कि आज की कम उम्र की लड़कियों में डाइट बहुत खराब हो गई है. रिफाइंड फूल और हाई प्रिजर्वेटिव्स वाले फूड प्रोडक्ट्स पीसीओएस के लिए जिम्मेदार होते हैं. ऐसे में हम उन्हें ताजी चीजें खाने की सलाह देते हैं. खासकर सीजनल सब्जियां और ताजे फल. ज्यादातर लड़कियों के टिफिन में आजकल ब्रेड रहने लगा जो इस बीमारी को बढ़ा रही है. ऐसे में खान-पान को सही बनाना होगा. भोजन में घर का बना खाना, साबुत अनाज, सीजनल सब्जियां, हरी पत्तीदार सब्जियां, सीड्स, फल आदि को शामिल करना होगा.
February 18, 2025, 17:37 IST
[ad_2]
Source link