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नई दिल्लीः सुनील दत्त और नरगिस की शादी 1958 में हुई थी. कपल के तीन बच्चे हैं – संजय दत्त, प्रिया दत्त और नम्रता दत्त. नरगिस का निधन बहुत जल्दी हो गया और हाल ही में एक इंटरव्यू में प्रिया ने खुलासा किया कि जब उनकी मां का देहांत हुआ था, तब वो सिर्फ 14 साल की थीं. नरगिस का निधन कैंसर के कारण हुआ था. अभिनेत्री मुस्लिम थीं और उन्होंने एक हिंदू व्यक्ति सुनील से शादी की. लेकिन प्रिया ने अब खुलासा किया है कि वो हिंदू रीति-रिवाजों के बजाय मुस्लिम दाह संस्कार चाहती थीं.

नरगिस मरने के बाद मां की कब्र के बगल में रहना चाहती थीं
नरगिस मरने के बाद खुद को अपनी मां के बगल में दफनाने की ख्वाहिश रखती थीं. प्रिया ने खुलासा किया कि मां ने दो सप्ताह में सात सर्जरी करवाईं थीं. संजय दत्त की बहन ने विक्की लालवानी के साथ एक इंटरव्यू में बताया कि, उन्हें इतना खून बहता रहा कि उन्हें उसे बार-बार खोलना पड़ा और सर्जरी करनी पड़ी. आखिरकार, यह एक ऐसे प्वाइंट पर पहुंच गया जहां उन्हें अब और टांके नहीं लगाए जा सकते थे. उन्हें उसे टेप से बांधना पड़ा. इसलिए, बहुत कुछ हुआ. हम अपने माता-पिता दोनों को ऐसी स्थिति में देखने के लिए बहुत छोटे थे. यह आपके पूरे जीवन को बदल देता है. आप अचानक बड़े हो जाते हैं और आप 15 साल की लड़की से अधिक नहीं रह जाते. हम बड़े हो गए थे जब ऐसा हुआ.’

नरगिस नहीं देख सकीं संजय दत्त की रॉकी
उन्होंने कहा, ‘जब मेरी मां अस्पताल में थीं, तब मेरे पिता खाना नहीं खा रहे थे. वे लगातार धूम्रपान कर रहे थे, चिंतित थे. इसलिए, हमें उनका ख्याल रखना था और यह सुनिश्चित करना था कि वे खा रहे हैं, क्योंकि हम उन्हें खो भी नहीं सकते थे.’ प्रिया ने कहा कि यह संजय दत्त के लिए कठिन समय था क्योंकि वो उनकी पहली फिल्म देखने के लिए वहां नहीं थीं. उन्होंने कहा, ‘मां ने कहा था कि फिल्म की रिलीज में देरी नहीं होनी चाहिए. उन्होंने कहा था कि वे स्ट्रेचर पर भी फिल्म देखने आएंगी. लेकिन संजय की पहली फिल्म की रिलीज़ से 3-4 दिन पहले ही उनका निधन हो गया. संजय के लिए यह बहुत दुखद था कि वे उनकी पहली फिल्म देखने और उनके करियर को उड़ान भरते देखने के लिए मौजूद नहीं थीं.’

नरगिस के अंतिम संस्कार के लिए पुजारियों की राय
प्रिया ने आगे बताया, ‘बाद में रॉकी का प्रीमियर हुआ और हमने मां के लिए पापा के बगल में एक सीट खाली रखी. उनका अंतिम संस्कार एक बहुत ही अवास्तविक दृश्य था. बेशक, मेरे पिता के पास हर जगह से पुजारी आए थे जो उनके लिए प्रार्थना करने आए थे. उन्होंने कहा, ‘कई लोगों ने मुझे बताया कि उनकी शादी एक हिंदू से हुई थी, इसलिए उनका अंतिम संस्कार हिंदू तरीके से होना चाहिए.’ लेकिन उन्होंने कहा, ‘नहीं, उनकी इच्छा थी कि उन्हें दफनाया जाए और हम उनकी इच्छा के अनुसार सब कुछ करेंगे.’

हरिद्वार गई थी नरगिस की मिट्टी
लिहाजा जब नरगिस का निधन हुआ, तो उन्होंने मुस्लिम तरीके से दफनाने पर जोर दिया. प्रिया ने कहा, ‘मेरी मां चाहती थी कि उन्हें उनके पारिवारिक कब्रिस्तान में दफनाया जाए. फिर, हम पिताजी के साथ मिट्टी लेके हरिद्वार भी गए. जब ​​हम उनका पार्थिव शरीर घर लाए, तो वहां बहुत सारे मीडियाकर्मी थे और एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं. मैंने जरूर कुछ कहा होगा, क्योंकि पापा हमें एक कमरे में ले गए और हमसे कहा कि अगर हम रोना और चीखना चाहते हैं, तो हमें उनके साथ ऐसा करना चाहिए, लेकिन बाहर, हमें अपना संयम बनाए रखना चाहिए.’ जानकारी के लिए आपको बता दें कि नरगिस दत्त का अंतिम संस्कार हिंदू और मुस्लिम दोनों रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था. हालांकि, उन्हें हिंदू धर्म के अनुसार घाट पर ले जाया गया, लेकिन आग से डर के कारण उन्हें मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार दफना दिया गया था.

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