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Agency:News18 Uttar Pradesh
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Varanasi Naga Sadhu Snan : बाबा विश्वानाथ की पूजा-आराधना के बिना महाकुंभ का शाही स्नान शैव संप्रदाय के नागा साधुओं के लिए अधूरा माना जाता है. महाशिवरात्रि का अमृत स्नान नागा संन्यासी काशी में करेंगे.
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काशी में नागा साधुओं का आगमन हुआ शुरू
हाइलाइट्स
- महाकुंभ के बाद नागा साधु काशी में अमृत स्नान करेंगे.
- काशी में नागा साधुओं का जमघट और भक्तों की भीड़.
- महाशिवरात्रि का स्नान कर नागा साधु हिमालय जाएंगे.
वाराणसी. प्रयागराज में लगे महाकुंभ के तीन शाही स्नान पूरे हो चुके हैं और चौथे स्नान की तैयारियां जोरों पर हैं. उधर, माघ पूर्णिमा के स्नान से पहले अब महादेव की नगरी काशी में भी नागा साधुओं का जमघट लगने लगा है. वाराणसी के हरिश्चंद्र, हनुमान घाट और शिवाला घाट पर नागा साधुओं ने अपना डेरा लगा लिया है. काशी आए नागा साधुओं को देखने के लिए घाटों पर भीड़ भी उमड़ रही है.
परंपरा के अनुसार, शैव संप्रदाय से जुड़े नागा साधु बंसत पंचमी के शाही स्नान के बाद माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि का अमृत स्नान बाबा विश्वनाथ के नगरी काशी में करते है. गंगा में स्नान के बाद वो बाबा विश्वनाथ को जल अर्पण कर लौट जाते हैं.
काशी में इन दिनों नागा साधुओं के जमघट के साथ देश-विदेश से पहुंचे भक्तों की अच्छी खासी भीड़ घाटों पर नजर आ रही है. उधर, नागा साधु भस्म लगाए भगवान भोले की भक्ति में रमे दिख रहे हैं.
देश में कुल 14 अखाड़े हैं. इनमें से कई प्रमुख अखाड़ों के मुख्यालय काशी में है. इसमें श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा, श्री पंचदशनाम आवाहन अखाड़ा, महानिरंजनी अखाड़ा, पंच अटल अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा और आनंद अखाड़ा शामिल हैं.
शैव संप्रदाय के आराध्य
संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती बताते हैं कि शैव संप्रदाय के आराध्य देवाधिदेव महादेव हैं. काशी उनकी प्रिय नगरी है जहां खुद बाबा विश्वानाथ विराजमान हैं. ऐसे में उनकी पूजा-आराधना के बिना महाकुंभ का शाही स्नान शैव संप्रदाय के नागा संन्यासियों के लिए अधूरा माना जाता है. इसलिए अंतिम महाशिवरात्रि का अमृत स्नान नागा साधु काशी में करते हैं और फिर वो हिमालय और उत्तराखंड का रुख कर ‘अदृश्य’ हो जाते हैं.
Varanasi,Uttar Pradesh
February 07, 2025, 19:54 IST
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