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Paddy Farming Tips : जून का महीना लगभग आधा बीत चुका है. लेकिन मानसून की आहट अभी यूपी में दिखाई नहीं दे रही है. खेतों में धूल उड़ रहा है. ऐसे में धान की रोपाई कब करनी चाहिए इसका सटीक समय महान कृषि वैज्ञानिक घाघ क…और पढ़ें
हाइलाइट्स
- किसान 10 दिनों बाद धान की रोपाई करें.
- पुरवइया हवा खेती के लिए अशुभ मानी जाती है.
- पछुआ हवा खेती के लिए लाभदायक होती है.
बलिया: जून की इस भीषण गर्मी में किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही हैं. सभी जीव-जंतु और किसान आसमान की तरफ उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे हैं कि शायद पछुआ (पश्चिम दिशा से हवा) बहे और अदरा (आद्रा) बरस जाए. यानि बारिश हो जिससे खेती थोड़ी आसान हो जाए. लेकिन पिछले एक हफ्ते से बह रही पुरवइया हवा किसानों के लिए अशुभ संकेत दे रही है. गांवों में बुजुर्ग कह रहे हैं कि अगर इस समय पछुआ हवा बहे तो खेती के लिए अच्छे संकेत होते, लेकिन पुरवइया का बहना सही नहीं है.
महान कवि घाघ की कहावतें आज भी प्रासंगिक
बुजुर्ग किसान मनोज राय ने बताया कि आज भी गांवों में महान कवि और कृषि वैज्ञानिक घाघ की कहावत फेमस है. उन्होंने कृषि, मौसम और ज्योतिष पर बहुत सटीक कहावतें लिखी है जो आज भी प्रासंगिक हैं. घाघ की एक कहावत के अनुसार, ‘रोहिणी बरसे मृग तवे, कुछ-कुछ आद्रा जाए, कहे घाघ-घागिनी से स्वान भात नहीं खाए’. इस कहावत का मतलब है कि रोहिणी नक्षत्र में जब बारिश होती है तो मृगशिरा नक्षत्र का समय गर्म तवे की तरह तपता है. लेकिन जब आद्रा में बारिश होती है तो उपज इतनी ज्यादा होती है कि कुत्ता भी चावल नहीं खाता. यह कहावत बिल्कुल सही होती है.
10 दिनों बाद खेती का सही समय
अभी फिलहाल धान की रोपाई होनी है. अभी 10 दिनों तक मृगशिरा नक्षत्र रहेगा. अगर इस दौरान बारिश न हो और आद्रा में बारिश हो तो बुजुर्गों का मानना है कि किसानों की बल्ले-बल्ले हो सकती है. लेकिन फिलहाल पुरवइया हवा सही नहीं है. अभी मृगशिरा नक्षत्र के दौरान पश्चिम दिशा से तेज हवा चलनी चाहिए.
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