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Prayagraj News: सीतापुर जेल में बंद सपा के कद्दावर नेता आजम खान से जुड़े डूंगरपुर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगी.आजम खान ने इस मामले में निचली अदलात द्वारा सुनाई गई 10 साल की सजा को चुनौती द…और पढ़ें

10 साल की सजा रहेगी बरकरार, या आजम खान को मिलेगी राहत, HC का फैसला आज
10 साल की सजा रहेगी बरकरार, या आजम खान को मिलेगी राहत, HC का फैसला आजPrayagraj News: आजम खान को 10 साल की सजा मामले में फैसला आज
प्रयागराज. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री मोहम्मद आजम खान से जुड़े चर्चित डूंगरपुर मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट बुधवार अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाएगा. जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ दोपहर 2 बजे इस मामले में अपना निर्णय सुनाएगी. कोर्ट ने 12 अगस्त 2025 को दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. आजम खान ने रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत द्वारा 30 मई 2024 को सुनाई गई 10 साल की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी.
यह मामला रामपुर के डूंगरपुर बस्ती से संबंधित है, जहां अगस्त 2019 में अबरार नाम के एक व्यक्ति ने आजम खान, सेवानिवृत्त पुलिस क्षेत्राधिकारी (सीओ) आले हसन खान और ठेकेदार बरकत अली के खिलाफ थाना गंज में मुकदमा दर्ज कराया था. शिकायतकर्ता अबरार ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2016 में आजम खान, आले हसन खान और बरकत अली ने उनके साथ मारपीट की, उनके घर में तोड़फोड़ की और जान से मारने की धमकी दी. इसके अलावा, उनके मकान को भी ध्वस्त कर दिया गया था. इस मामले में रामपुर की एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने 30 मई 2024 को आजम खान को 10 साल और ठेकेदार बरकत अली को 7 साल की सजा सुनाई थी. इस फैसले के खिलाफ आजम खान और बरकत अली दोनों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में आपराधिक अपील दायर की थी.

कोर्ट में क्या हुई बहस?

12 अगस्त 2025 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं. आजम खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने दलील दी कि शिकायतकर्ता अबरार ने घटना के तीन साल बाद 2019 में प्राथमिकी दर्ज की, जो संदिग्ध है. उन्होंने कहा कि अबरार ने देरी का कारण आजम खान का कैबिनेट मंत्री के रूप में रसूख बताया, लेकिन 2017 के बाद आजम खान मंत्री नहीं थे, फिर भी प्राथमिकी दो साल बाद दर्ज हुई. वकील ने निचली अदालत के फैसले को गैरकानूनी बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की. वहीं, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने अपील का विरोध करते हुए कहा कि निचली अदालत का फैसला कानून के अनुरूप है. उन्होंने जोर दिया कि अभियोजन पक्ष ने अपने आरोपों को मजबूती से साबित किया है और आजम खान का आपराधिक इतिहास भी इस मामले में विचारणीय है.

डूंगरपुर प्रकरण का पृष्ठभूमि

डूंगरपुर बस्ती को खाली कराने के दौरान कई विवाद सामने आए थे. शिकायतकर्ताओं ने लूट, चोरी और मारपीट जैसे अपराधों के तहत रामपुर के गंज थाने में कुल 12 मामले दर्ज कराए थे. इनमें से एक मामले में आजम खान और उनके सहयोगियों पर गंभीर आरोप लगे थे. इस प्रकरण में सपा सरकार के दौरान 2016 में डूंगरपुर बस्ती के मकानों को कथित तौर पर जेसीबी से तोड़ा गया था, जिसके बाद वहां आसरा कॉलोनी बनाई गई थी.

फैसले का इंतजार

आजम खान वर्तमान में जेल में हैं और इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला उनके लिए महत्वपूर्ण है. जस्टिस समीर जैन की एकल पीठ द्वारा आज दोपहर 2 बजे सुनाए जाने वाले फैसले पर सभी की नजरें टिकी हैं. यह फैसला न केवल आजम खान और बरकत अली की अपील पर असर डालेगा, बल्कि डूंगरपुर प्रकरण से जुड़े अन्य मामलों के लिए भी एक मिसाल कायम कर सकता है.

Amit Tiwariवरिष्ठ संवाददाता

Principal Correspondent, Lucknow

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