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इन दिनों बाजार में नकली आलू धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं, जो देखने में भले ही असली जैसे लगते हों, लेकिन सेहत के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं. इन आलुओं में केमिकल और रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे लीवर, किडनी और पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि लोग खरीदारी करते समय सतर्क रहें. आइए जानते हैं नकली आलू की पहचान करने के पांच आसान और कारगर तरीके.

अक्टूबर 2024 का समय था, जब उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की थी. इसमें 21 क्विंटल (₹56,000) रंगीन नकली आलू जब्त किए गए थे. एक क्विंटल आलू पर व्यापारी 400 रुपए अतिरिक्त लाभ कमाने के लिए आम जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे थे. तब यह जानना जरूरी हो गया कि आखिर असली आलू की पहचान कैसे करें?

वैसे, नकली आलू की पहचान करना बहुत आसान है. असली आलू में एक प्राकृतिक सुगंध यानी खुशबू आती है, जबकि नकली आलू को सूंघने पर केमिकल युक्त गंध आती है. नकली आलू को हाथ में उठाने पर इसका रंग हाथ में लग जाता है, लेकिन असली आलू में ऐसा कुछ नहीं होता है.

नकली आलू को पहचानने के लिए आलू को बीच से काटकर देखा जा सकता है. असली आलू का रंग अंदर और बाहर से लगभग एक जैसा होता है, जबकि नकली आलू का अंदरूनी रंग अलग हो सकता है. इतना ही नहीं, असली आलू का छिलका पतला होता है और उस पर लगी मिट्टी रगड़ने पर भी आसानी से नहीं निकलती, जबकि नकली आलू इससे अलग होता है.

अगर आलू नकली होता है तो वह अक्सर पानी में तैरता है, क्योंकि उस पर हल्के केमिकल्स लगे होते हैं. वहीं असली आलू भारी और ठोस होता है, इसलिए वह पानी में डूब जाता है. नकली आलू को कई तरीकों से पहचाना जा सकता है — जैसे जलाने पर वह धुआं छोड़ सकता है. इसलिए बाजार से आलू खरीदते समय सतर्क रहना जरूरी है.

अगर आप बाजार से आलू खरीदना चाहते हैं, तो इन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. विशेषज्ञों के मुताबिक नकली आलू को रंगने के लिए गेरुआ मिट्टी और खतरनाक केमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है. ये केमिकल्स लीवर और किडनी को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं. ऐसे नकली आलू का लगातार सेवन करने से भूख न लगना, कब्ज, पेट में सूजन और यहां तक कि किडनी फेल जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं.
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