[ad_1]
Last Updated:
AMU: एएमयू की ऐतिहासिक बाउंड्री वॉल इन दिनों जर्जर हालत में है. करीब 148 साल पहले कॉलेज के संस्थापक ने इसका निर्माण कराया था. आने वाली पीढ़ी के लिए इस विरासत का बचा रहना जरूरी है.

148 साल पुरानी AMU की ऐतिहासिक बाउंड्री वॉल बदहाल, हेरिटेज की अनदेखी पर उठे सवाल
हाइलाइट्स
- AMU की 148 साल पुरानी बाउंड्री वॉल जर्जर हालत में है.
- बाउंड्री वॉल का निर्माण सर सैयद अहमद खान ने कराया था.
- धरोहर की अनदेखी के लिए भवन विभाग, संपत्ति विभाग जिम्मेदार हैं.
अलीगढ़. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) की 148 साल पुरानी ऐतिहासिक बाउंड्री वॉल इन दिनों जर्जर हालत में है. इस दीवार का निर्माण विश्वविद्यालय के संस्थापक सर सैयद अहमद खान की “अपनी मदद आप” योजना के तहत हुआ था. इस योजना के अंतर्गत उन्होंने लोगों से आर्थिक सहयोग मांगा था और वादा किया था कि जो कोई 25 रुपये का दान देगा, उसका नाम कॉलेज की बाउंड्री वॉल पर पत्थर में उकेरा जाएगा.
250 रुपये दान करने वालों का नाम कक्षाओं और हॉल पर, 500 रुपये दान करने वालों का नाम स्ट्रेची हॉल पर और 1000 रुपये देने वालों का नाम सबसे ऊपर पत्थर पर दर्ज किया जाएगा. इस पहल में लगभग 268 लोगों ने हिस्सा लिया था, जिनमें मुसलमानों के साथ-साथ गैर-मुस्लिम भी शामिल थे.
हुई अनदेखी का शिकार
AMU के पूर्व प्रवक्ता और विश्वविद्यालय के इतिहास के जानकार डॉक्टर राहत अबरार का कहना है कि हम अपनी तारीख (इतिहास) को खुद ही खत्म कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह बाउंड्री वॉल मोहम्मडन एंग्लो-ओरिएंटल (MAO) कॉलेज के समय की है, जिसकी स्थापना 1877 में हुई थी. यह कॉलेज 1920 में एक कानून के तहत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में बदला गया था. डॉक्टर अबरार ने दुख जताते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक धरोहर की देखभाल आज पूरी तरह से अनदेखी का शिकार है.
नष्ट हो रही है धरोहर
उन्होंने कहा कि AMU देश का एकमात्र शैक्षणिक संस्थान है, जहां सबसे अधिक ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं. इसमें 1803 का पैरो हाउस, 1877 का स्ट्रेची हॉल, 1876 का जहूर हुसैन हॉल और MAO कॉलेज की चारदीवारी शामिल हैं. मगर अब यह धरोहर देखभाल की कमी और जागरूकता की कमी के चलते धीरे-धीरे खत्म हो रही है.
कौन है जिम्मेदार
डॉ. राहत अबरार ने कहा कि यह चारदीवारी सिर्फ एक दीवार नहीं है, बल्कि इतिहास का वह पन्ना है जिसमें सर सैयद की दूर की सोच और लोगों की भागीदारी दर्ज है. उन्होंने कहा कि आज न तो नई पीढ़ी और न ही विश्वविद्यालय के अधिकारी इस विरासत के महत्व को समझ पा रहे हैं. भवन विभाग, संपत्ति विभाग और हेरिटेज सेल इस अनदेखी और खराब हालत के लिए जिम्मेदार हैं.
कैसे खड़े होते हैं संस्थान
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मुसलमान आज भी शैक्षिक विकास की दिशा में सर सैयद के ‘स्व-सहायता’ के सिद्धांत का पालन कर सकते हैं. AMU इस बात का एक बेहतरीन उदाहरण है कि एकता, मेहनत और दूर की सोच से कैसे शैक्षणिक संस्थान खड़े किए जा सकते हैं.
[ad_2]
Source link