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Agricultural News: यूपी में मिर्जापुर के किसानों ने गंगा की रेतीली जमीन पर खरबूजे की खेती कर बंपर कमाई कर रहे हैं. यहां कम लागत और कम पानी में भी अच्छी पैदावार होती है. किसान कमलाकांत बिंद ने बताया कि एक बीघा म…और पढ़ें

खरबूजे की खेती
हाइलाइट्स
- मिर्जापुर में गंगा किनारे खरबूजे की खेती से बंपर कमाई हो रही है.
- एक बीघे में 1500 रुपये का बीज और 30 किलो खाद लगता है.
- बिना सिंचाई के भी खरबूजे की खेती संभव है.
मिर्जापुर: गंगा के किनारे अक्सर गर्मी के मौसम में जमीन रेतीली हो जाती है. रेतीली जमीन को देखकर किसान खेती नहीं करते हैं. ऐसे में यूपी के मिर्जापुर जिले में किसानों ने गंगा की रेतीली जमीन पर खरबूजे की खेती करके बंपर पैसे कमा रहे हैं. साथ ही बेहद कम खर्च के बाद अच्छी कमाई कर रहे हैं. खरबूज की खेती में लागत और पानी भी कम लगता है. कम सिंचाई और खाद का प्रयोग किए बगैर जबरदस्त पैदावार होती है. साथ ही बाजार में डिमांड भी अधिक रहती है.
मिर्जापुर जिले के कछवां के बरैनी में भारी मात्रा में गंगा के तटीय इलाकों के किसान खरबूजे की खेती करते हैं. यहां गंगा नदी का पानी कम होने के बाद जमीन रेतीली हो जाती है. रेतीली जमीन पर खरबूजे की खेती करके कुछ ही महीने में जबरदस्त कमाई हो जाती है.
किसान ने खेती को लेकर बताया
वहीं, किसान कमलाकांत बिंद ने लोकल 18 से बताया कि एक बीघा में खरबूजे की खेती किए हुए हैं. एक बीघे में 1500 रुपये का बीज लगता है. करीब 30 किलो खाद लगता है. अगर कोई दिक्कत नहीं हुई तो लागत छोड़कर 30 हजार रुपये बीघा की कमाई हो जाती है. जहां अक्टूबर महीने में बीज का रोपण किया जाता है.
बिना सिंचाई के भी खेती संभव
किसान कमलाकांत ने बताया कि अक्टूबर माह में रोपण होने के बाद मार्च महीने की आखिरी में पैदावार शुरू हो जाता है. करीब 2 महीने तक पैदावार होती है. गर्मी के दिनों में डिमांड अधिक रहती है. यही वजह है कि लागत के बाद 30 हजार रुपये का फायदा हो जाता है. बाजार में 20 से 30 रुपये किलो की दर से बिक्री होती है. खरबूजे का पैदावार किसी भी जमीन पर हो सकती है. बलुआ जमीन के साथ किसी भी जमीन पर पैदावार की जा सकती है. इस खेती से किसान बंपर कमाई करते हैं.
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