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Baghpat News : बागपत के तिलवाड़ा गांव में डेढ़ दर्जन ट्रेचिंग मशीन से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से खुदाई करवाई जा रही है. एएसआई टीम को खुदाई के दौरान ऐसी दुर्लभ चीजें मिलीं जिन्हें देखकर यकीन नहीं हुआ. पुरा…और पढ़ें

18 ट्रेंचर मशीन से गांव में चल रही थी खुदाई, जमीन के अंदर मिला ‘खजाना’, देखकर नहीं हुआ यकीन

UP News : बागपत के तिलवाड़ा में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से जारी खुदाई में मिली हैरान करने वाली चीज़ें…

मेरठ. बागपत के तिलवाड़ा गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कराए जा रहे उत्खनन में टीम को सिनौली की तरह शाही ताबूत और कई अन्य चीजें मिली हैं. एएसआई टीम यहां मिले प्राचीन अवशेषों को मेरठ लाएगी और रिपोर्ट तैयार करेगी. मेरठ में एएसआई के अधिकारियों ने बताया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने तिलवाड़ा के आला टीले पर 10 दिसम्बर 2024 को उत्खनन कार्य शुरू किया था. टीम ने यहां डेढ़ दर्जन ट्रेंच लगाए. ट्रेंच में शुरुआती उत्खनन हुआ. उसी से बड़ी सफलता मिलने की बात सामने आई है. पुरातत्वविदों को कॉपर निर्मित आयताकार प्लेट, खंजर, बीड्स, मनके, छोटे-बड़े पॉट्स मिले हैं. ये पुरा संपदा सिनौली में मिले पुरा संपदा से काफी मिलती-जुलती होने की बात कही जा रही है. दोनों साइट से मिले मिट्टी, ताम्र निर्मित पात्र की बनावट, नक्काशी-आकृति एक जैसी है. सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि ताबूतनुमा आकृति को माना जा रहा है.

मेरठ में एएसआई सुपरिटेंडेंट विनोद कुमार रावत ने बताया कि बागपत के तिलवाड़ा में उत्खनन के अंतिम चरण में मिले कई रोचक साक्ष्य मिले हैं. बागपत के सिनौली की तर्ज पर रहस्यों से उजागर करने वाले तथ्य मिले हैं. उन्होंने बताया कि यहां 4000 साल पुराना चैंबर सिस्टम मिला जो 2000 बीसी का हो सकता है. इन चैंबर में मानव कंकाल या पशु का कंकाल नहीं मिला है. कॉपर का एक बड़ा मैट डिजाइन मिला है जो हज़ारों साल पुराना है. रावत ने बताया कि लेट हड़प्पा कल्चर को दर्शाती नजर आ रही कई चीज़ें मिली हैं. पॉटरी भी मिली है जो हज़ारों साल पुराना है.

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महाभारतकालीन प्रमाण के पहले की हो सकती चीज़ें
सिनौली से तकरीबन दस किलोमीटर की दूरी पर तिलवाड़ा साइट है. सिनौली की तुलना में फाइंडिंग्स अलग हैं. सिनौली में रथ, मानव कंकाल आदि 2018 के उत्खनन में पाए गए थे. तिलवाड़ा में मिली चीजों को मेरठ सर्किल के ऑफिस लाया जाएगा. टीम यहां पर बैठकर रिपोर्ट तैयार करेगी. उन्होंने बताया कि क ट्रेंच में ताबूत के साथ साथ चारों कोनों पर बड़े-बड़े मिट्टी के पात्र रखे हुए हैं. छोटे सुराहीनुमा पात्र भी हैं. शानदार नक्काशी दिखाई देती है. इसके ऊपर का कॉपर तो समय के साथ नष्ट हो चुका है लेकिन नक्काशी ऐसे ही अभी भी मौजूद है. इसी के बगल में ताबूतनुमा आकृति भी दिखाई दे रही है. इसके नीचे के हिस्से में कॉपर की बड़ा और मोटा पाइप की तरह दिखने वाला ढांचा है. टीम यहां से मिली सामग्री को समेटने में जुट गई है.

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रावत ने बताया कि 2020 में यहां भी उत्खनन हुआ था. हस्तिनापुर में टूरिस्ट को ध्यान में रखते हुए तमाम कार्य कराए जा रहे हैं. हस्तिनापुर में गार्डन भी डेवलेप किया गया है. अमृत कूप की जगह पर भी तमाम कार्य कराए गए हैं. बेबी केयर रुम भी हस्तिनापुर में बनाया गया. अब यहां टूरिस्ट आएगा तो उसे बिलकुल अलग और खूबसूरत हस्तिनापुर नजर आएगा.

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18 ट्रेंचर मशीन से गांव में चल रही थी खुदाई, जमीन के अंदर मिला ‘खजाना’

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