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साल 1993 में एक फिल्म आई थी जिसने एक नए-नवेले एक्टर को बॉलीवुड का सुपरस्टार बना दिया था. इस फिल्म ने बॉलीवुड को वो ‘बादशाह’ दिया जो आजतक इंडस्ट्री पर राज कर रहे हैं, लेकिन असल में ये मूवी बाजीगर उन्हें ऑफर ही न…और पढ़ें

1993 की ब्लॉकबस्टर, सपोर्टिंग आर्टिस्ट को मिला सुपरस्टार बनने का मौका, नए नवेले एक्टर के लिए दी थी बड़ी कुर्बानी

इस ब्लॉकबस्टर फिल्म ने नए-नवेले एक्टर को सुपरस्टार बना दिया था.

हाइलाइट्स

  • शाहरुख खान को बाजीगर से पहचान मिली थी.
  • शाहरुख बाजीगर के लिए पहली पसंद नहीं थे.
  • दीपक तिजोरी ने बाजीगर की कहानी अब्बास-मस्तान को सुनाई थी.
नई दिल्ली.  बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख ने अपने करियर की शुरुआत दीवाना से की थी, लेकिन एक्टर को पहचान फिल्म ‘बाजीगर’ से मिली थी. ‘हार के जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं’ और शाहरुख खान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के ‘बाजीगर’ हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि किंग खान ‘बाजीगर’ के लिए पहली पसंद नहीं थे. ये फिल्म असल में बॉलीवुड के एक सपोर्टिंग एक्टर को ऑफर हुई थी जिसने इस नए-नवेले एक्टर के लिए अपना करियर कुर्बान कर दिया. वो एक्टर दीपक तिजोरी हैं जिन्हें ‘आशिकी’ (1990) और ‘जो जीता वही सिकंदर’ (1992) जैसी फिल्मों में ‘बेस्ट फ्रेंड’ के किरदारों के लिए याद किया जाता है.

एक्टर दीपक तिजोरी ने हाल ही में अपने करियर के एक बड़े मिस्ड मौके के बारे में खुलासा किया. एक ऐसा मौका जिसने शाहरुख खान को हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का स्टार बना दिया. इंडिया टुडे के साथ बात करते हुए दीपक कहते हैं कि वो साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म बाजीगर की शुरुआती चरण में शामिल थे, लेकिन वो फिल्म का हिस्सा नहीं बन पाए और बाद में ये फिल्म ब्लॉकबस्टर बन गई.

दीपक तिजोरी ‘बाजीगर’ के लिए पहली पसंद थे

वो कहते हैं, ‘मैंने वास्तव में बाजीगर की कहानी अब्बास-मस्तान को सुनाई थी. वो इसका निर्देशन करने वाले थे, लेकिन बाद में वो शाहरुख खान के पास चले गए’. एक्टर ने बताया कि उन्हें इस बारे में कुछ अजीब ही तरीके से पता चला जब उन्होंने शाहरुख खान के पास वीएचएस टेप पड़ा हुआ देखा तो उन्हें इस बारे में पता चला.

दीपक तिजोरी

शाहरुख खान के दोस्त थे दीपक तिजोरी

दीपक तिजोरी आगे कहते हैं, ‘शाहरुख और मैं दोस्त थे. मैंने उसके पास ‘ए किस बिफोर डाइंग’ का वीएचएस टेप देखा. मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि तुम्हारे डायरेक्टर मेरे पास आए थे. उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तब तक हां न कहूं जब तक तुम न ना कहो’. दीपक तिजोरी कहते हैं कि अब्बास मस्तान ने बाद में उनसे इस बाते के लिए माफी मांग ली थी. उन्होंने कहा था कि वो हीरो के रोल में सूट नहीं कर रहे थे.

दीपक तिजोरी कहते हैं कि उस दौर के रिश्ते काफी अच्छे थे. अगर किसी एक को फिल्म मिलती थी, तो दूसरा खुद ही पीछे हट जाता था. उस वक्त इंडस्ट्री में ज्यादा अपनापन था. लोग एक-दूसरे से जुड़े हुए थे.

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1993 की ब्लॉकबस्टर, सपोर्टिंग आर्टिस्ट को मिला सुपरस्टार बनने का मौका

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