[ad_1]
नई दिल्ली. लेखक-गीतकार जावेद अख्तर अपनी मुखरता के लिए जाने जाते हैं. हर मुद्दे पर बिना हिचकिचाहट या डर के वो अपनी राय रखते हैं और उसको लेकर कई बार ट्रोल्स के निशाने पर भी आ जाते हैं. जावेद अख्तर खुद नास्तिक हैं और अक्सर संगठित धर्म के खिलाफ बोलते नजर आते हैं. हाल ही में उन्होंने धर्म के मामले पर चर्चा की और इसकी तुलना शराब से की.
दो पैग व्हिस्की वास्तव में फायदेमंद
उन्होंने कहा, दिन में दो पैग व्हिस्की वास्तव में फायदेमंद होते हैं. समस्या तब आती है जब लोग सिर्फ दो पैग पर रुक नहीं पाते. जावेद कई दशकों से शराब से दूर हैं और उन्होंने अक्सर इस बात पर अफसोस जताया है कि उन्होंने अपने जीवन के कई साल शराब में बर्बाद कर दिए.
शराब और धर्म में बहुत समानता है
दिया दूध-व्हिस्की का उदाहरण
उन्होंने आगे कहा, ‘अगर कोई व्यक्ति दो गिलास दूध पीता है तो यह ठीक है. लेकिन अगर वह दो गिलास व्हिस्की पीता है, तो यह ठीक नहीं है. लोग कभी दो पर नहीं रुकते? वे दूध के साथ अति नहीं करते, लेकिन वे व्हिस्की और धर्म के साथ अति करते हैं. यह हानिकारक हो जाता है. कुछ कैंसर कोशिकाएं आपको पतला रखेंगी, लेकिन वे बढ़ेंगी और आपको मार देंगी.’
विश्वास और मूर्खता में क्या अंतर है
व्हिस्की से रम में जब रमें जावेद साहब
मिड-डे के साथ एक बातचीत में, उन्होंने बताया था कि व्हिस्की उन्हें बहुत पसंद थी, लेकिन जब उन्होंने छोड़ी तो इससे उन्हें एलर्जी हो गई. ‘फिर सोचा कि मुझे केवल बीयर पीनी चाहिए. मैं एक ही बार में 18 बोतल बीयर पी जाता था. फिर मुझे लगा कि यार यह क्या पेट फूला रहा है तो, मैंने इसे छोड़ दिया और रम पीना शुरू कर दिया’.
जब गीतकार ने कहा- मैं आनंद के लिए पीता था
अरबाज खान के शो पर, उन्होंने कहा कि वह आनंद के लिए पीते थे, न कि इसलिए कि वह अपने दुखों को डुबोना चाहते थे. जावेद साहब ने कहा था, ‘मैं इसलिए पीता था कि मैं आनंद लेता था, यह एक सुख था. मैं इसमें कोई दुख नहीं डुबो रहा था. मगर मुझे एक बात समझ में आई, अगर मैं ऐसे ही पीता रहा तो 52-53 की उम्र तक मुझे मर जाना चाहिए, इतना पीने के साथ मेरी उम्र इससे ऊपर नहीं होनी चाहिए. हालांकि, अब जावेद साहब शराब से कोसो दूर हैं.
[ad_2]
Source link