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Why Young Have Brittle Bones: आजकल 20 साल की उम्र में हड्डियां कमजोर होने लगी हैं. इसके लिए क्या कारण हैं और किस तरह से युवा ऑस्टियोपेनिया की गंभीर बीमारी से बच सकते हैं. आइए इसके बारे में जानते हैं.
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हड्डियों की कमजोरी क्यों.
Why Young Have Brittle Bones: आमतौर पर लोग जब 50 साल से ज्यादा के होते हैं तो उनमें हड्डियों की कमजोरी थोड़ी-बहुत होने लगती है. हालांकि पहले के जमाने में 70 साल के लोगों की हड्डियां भी बहुत मजबूत होती थी लेकिन आजकल आपको जानकर हैरानी होगी कि 20 साल के बच्चे की हड्डियां भी कमजोर होने लगी है और वे ऑस्टियोपोरोसिस का इलाज कराने के लिए डॉक्टर के पास आने लगे हैं. टीओआई की खबर में बेंगलुरु में सत्य साई ऑर्थोपेडिक मल्टी स्पेसिएलिटी अस्पताल के डॉ. महेश एमएन कहते हैं कि मैं अपने जीवन में पहली एक बार 20 साल की मरीज को देखकर दंग रह गया. वे सुस्ती, हड्डियों में दर्द और मामूली फ्रेक्चर की शिकायत लेकर मेरे पास आई थी. जांच में पाया गया कि उस 20 साल की लड़की को ऑस्टोपेनिया है. इस बीमारी में हड्डियां बेहद कमजोर होने लगती है. यह आमतौर पर बुजुर्गों को होने वाली बीमारी है.
बचपन में फिजिकल एक्टिविटी की कमी
डॉ. महेश एमएन ने बताया कि ऑस्टियोपोनिया हमने अपने कैरियर में 40 साल से कम की महिला में आज तक नहीं देखा था लेकिन अब ऐसा होने लगा है. आखिर इसका कारण क्या है. डॉ. महेश एमएन ने बताया कि मुख्य रूप से पोषक तत्वों की कमी यंग एज में हड्डियों की कमजोरी का मुख्य कारण है. इसके अलावा बचपन में फिजिकल एक्टिविटी की कमी इस बीमारी को और अधिक बढ़ा देती है. आज के बच्चे मोबाइल में ज्यादा व्यस्त रहते हैं. बाहर के खेल बहुत कम खेलने लगे हैं. पहले के बच्चे ऐसा नहीं थे. भर दिन बाहर ही शारीरिक गतिविधियों वाले खेल खेलते थे. वहीं आजकल के बच्चे खाने में अक्सर बाहर के पिज्जा-बर्गर, मोमोज आदि का सेवन करते हैं जिनमें पोषक तत्वों का बहुत अभाव होता है और इसमें नमक की मात्रा भी बहुत कम होती है. इससे कैल्शियम सही से नहीं मिलता. बाहर कम खेलने के कारण विटामिन डी की भी अक्सर कमी रहती है.
साइलेंट डिजीज है ऑस्टियोपेनिया
सबसे बड़ी बात यह है कि यह बीमारी बचपन से लोगों में होने लगी है लेकिन लोगों का इसका पता भी नहीं चलता. एक तरह से यह साइलेंट डिजीज है जिसका पता नहीं चलता और अचानक एक दिन हड्डियों में फ्रेक्चर हो जाता है. इसमें बहुत अधिक थकान और कमजोरी रहती है. हमेशा सुस्ती बनी रहती है. हड्डियों में दर्द होते रहता है. हड्डियों में ऑस्टियोपेनिया लड़कों की तुलना में लड़कियों में ज्यादा होती है. वहीं अगर बचपन से ही स्मोकिंग और अल्कोहल के आदि हो जाते हैं, तो उसे भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा रहता है.
ऑस्टियोपेनिया हो न, इसके लिए क्या करें
डॉ. महेश एमएन कहते हैं कि हमें यह पता लगाना चाहिए कि इस बीमारी के होने का कारण क्या है. इसके बाद इसकी जड़ पर चोट करनी चाहिए. हम जानते हैं कि यदि हमारे भोजन में हड्डियों के लिए आवश्यक पोषक तत्व जैसे कि कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्नीशियम, पोटैशियम, विटामिन डी और विटामिन बी 12 की कमी होगी तो हमारी हड्डियां कमजोर होने लगेगी. इसके कारणों को तलाशें. जैसे कि यदि आप बाहर की चीजें खाएंगे तो इनमें ये सब नहीं मिलेंगे. इसलिए घर का ताजा बना खाना खाएं. खाने में हरी पत्तीदार सब्जियां, ताजे फल का ज्यादा सेवन करना चाहिए. कैल्शियम के लिए डेयरी प्रोडक्ट का भी सीमित मात्रा में सेवन करें. वहीं अंडे में संपूर्ण पोषक तत्व मौजूद होता है. एक सबसे बड़ी बात यह है कि अगर शरीर में विटामिन डी की कमी होगी तो कितना भी कैल्शियम लें यह शरीर को मिलेगा नहीं. इसलिए हर दिन सूरज की रोशनी में कम से कम 15 से 20 मिनट तक रहें. इसके बाद भोजन का असर तभी होगा जब आपके मसल्स में हरकतें होंगी. इसलिए हर रोज एक्सरसाइज से शरीर का थकाएं. चाहे जैसे भी हो शरीर से पसीना निकालें.
February 20, 2025, 14:25 IST
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