[ad_1]
Last Updated:
Bollywood Yash Chopra Superhit Movies : बॉलीवुड में जिस तरह हीरो-हीरोइन की जोड़ी फेमस हो जाती है, उसी तरह कई एक्टर्स की जोड़ी भी बहुत पॉप्युलर हुई. इतनी पॉप्युलर हुईं कि जब भी दोनों साथ में आए, सिनेमाघरों में दर्शक टूट पड़े. बॉक्स ऑफिस पर फिल्मों ने जबर्दस्त कमाई की. 70 के दशक में ऐसी ही एक जोड़ी सिल्वर स्क्रीन पर नजर आई थी. तीन साल में इनकी तीन फिल्में रिलीज हुईं. तीनों ही फिल्में यादगार बन गईं. इनके डायलॉग्स, सीन इतने पावरफुल थे कि लोगों के दिल-दिमाग में उतर गए. एक फिल्म तो मस्ट वॉच मूवी की लिस्ट में भी शामिल है. आइये जानते हैं इन तीन फिल्मों के बारे में…….

70 के दशक में मशहूर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर यश चोपड़ा ने खास तरह के सिनेमा के शुरुआत की. उनकी फिल्मों में रोमांस, खूबसूरत सींस की भरमार रहती थी. यश चोपड़ा ने अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के साथ तीन ऐसी फिल्में बनाईं, जो हिंदी सिनेमा में खास स्थान रखती हैं. तीनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज्यादा सफल रहीं. ये फिल्में थीं : दीवार, कभी-कभी और त्रिशूल. तीनों फिल्मों में साथ में काम करने वाले एक्टर अमिताभ बच्चन और शशि कपूर थे. तीनों फिल्मों को यश चोपड़ा ने डायरेक्ट किया था. प्रोड्यूसर गुलशन राय थे. इन तीन फिल्मों में से दो में अमिताभ बच्चन की एंग्री यंग मैन की छवि ही नजर आई थी. उसी को भुनाया गया था.

दीवार, कभी-कभी और त्रिशूल इन तीनों फिल्मों में कई समानताएं हैं. तीनों ही फिल्मों का डायरेक्शन यश चोपड़ा ने किया था. तीनों ही फिल्मों में अमिताभ बच्चन-शशि कपूर की जोड़ी नजर आई थी. दो फिल्मों दीवार-त्रिशूल के प्रोड्यूसर गुलशन राय थे और स्टोरी सलीम-जावेद ने लिखी थी. दीवार-त्रिशूल में अमिताभ बच्चन बड़े भाई की भूमिका में थे, शशि कपूर ने छोटे भाई का रोल निभाया था. रियल लाइफ में शशि कपूर अमिताभ से उम्र में बड़े थे. दो फिल्मों कभी-कभी और त्रिशूल में वहीदा रहमान और राखी ने काम किया था. वहीं दीवार, कभी-कभी में नीतू सिंह ने काम किया.

आइकॉनिक फिल्म दीवार 24 जनवरी 1975 को रिलीज हुई थी. यह हिंदी सिनेमा की 100 मस्ट वॉच फिल्म में शामिल है. दीवार फिल्म से इंस्पायर होकर बॉलीवुड में कई फिल्में बनाई गईं जिनमें दो भाइयों की कहानी दिखाई गई. दीवार फिल्म का डायलॉग ‘मेरा बाप चोर है’, ‘मैं आज भी फेंके हुए पैसे नहीं उठाता’ और ‘मेरे पास मां है’ हर जुबान पर छा गए. दीवार फिल्म ने अमिताभ बच्चन की एंग्री यंगमैन की छवि को और सशक्त किया. फिल्म में परवीन बॉबी, इफ्तिखार खान, मदन पुरी, सत्येन कप्पू और मनमोहन कृष्ण जैसे सितारे भी नजर आए थे. आरडी बर्मन के संगीत से सजे गाने आज भी उतने ही कर्णप्रिय लगते हैं.

‘जंजीर’ के बाद अमिताभ बच्चन की यह दूसरी सबसे सफल फिल्म थी. बिग बी के स्टारडम को नई ऊंचाई दी. अमिताभ नए सुपरस्टार बनकर उभरे. दिलचस्प बात यह है कि प्रोड्यूसर गुलशन राय ने ‘दीवार’ के लिए राजेश खन्ना को साइन किया था लेकिन सलीम-जावेद अमिताभ बच्चन को लेने पर अड़ गए थे. सलीम खान ने अपने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘दीवार फिल्म के लिए राजेश खन्ना को प्रोड्यूसर गुलशन राय ने साइन किया हुआ था. स्टोरी को हमने अमिताभ बच्चन को ध्यान में रखकर लिखा था. हमने अमिताभ को लेने पर जोर दिया. कहा कि अगर ये कहानी आपको बनानी है तो अमिताभ ही काम करेंगे.’

दीवार फिल्म का एक और किस्सा मशहूर है. फिल्म का प्रीमियर जब हुआ तो इसे फ्लॉप फिल्म करार दिया गया था. जब ‘दीवार’ सिनेमाघरों में रिलीज हुई तो इतिहास रच दिया और 100 हफ्तों तक चली थी. 4.25 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया. 1975 में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली चौथे फिल्म थी.

‘दीवार’ फिल्म की सफलता के बाद अगले साल 27 फरवरी 1976 को एक और फिल्म यश चोपड़ा की सिनेमाघरों में आई. दीवार जहां एक्शन ड्रामा थी, वहीं कभी-कभी म्यूजिकल रोमांटिक फिल्म थी. दीवार फिल्म की शूटिंग पूरी होते ही यश चोपड़ा अमिताभ बच्चन और ऋषि कपूर को लेकर कश्मीर गए थे. ‘कभी-कभी’ फिल्म गीतकार साहिर लुधियानवी की जिंदगी से भी इंस्पायर बताई जाती है. यश चोपड़ा और साहिर गहरे दोस्त थे. साहिर लुधियानवी की शायरी की किताब ‘तल्खियां’ में एक कविता थी ‘कभी-कभी’. इसी कविता पर यश चोपड़ा ने फिल्म बनाई और टाइटल भी यही रखा.

संगीतकार खैय्याम ‘कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है’ गाना 1960 के चेतन आनंद की फिल्म ‘काफिर’ के लिए बनाया था. बाद में यह फिल्म बंद हो गई. साहिर लुधियानवी ने चेतन आनंद से परमिशन लेकर यह गाना यश चोपड़ा को दिया था. जब गाना फेमस हुआ तो चेतन ने नोटिस भेजा था. बाद में दोनों पक्षों में समझौता हो गया. ‘कभी-कभी’ की शूटिंग कश्मीर में बहुत ही पारिवारिक माहौल में हुई थी. हर एक्टर अपने परिवार के साथ कश्मीर घूमने गया था. फिल्म में ‘राखी-शशि कपूर’ की शादी के सीन में अमिताभ बच्चन के माता-पिता भी नजर आए थे.

जया बच्चन भी सेट पर रहती थीं और यश चोपड़ा की मदद करती थीं. वहीदा रहमान के पति भी आए थे. फिल्म में सात फेरों में अमिताभ-रेखा के सात लव सींस दिखाए गए थे. फिल्म जब बनकर तैयार हुई तो प्रीमियर देखकर प्रोड्यूसर गुलशन राय ने कहा कि फिल्म नहीं चलेगी. यश चोपड़ा ने ढाई दिन में फिर से कश्मीर में यूनिट लगाई और कहानी में थोड़ा सा फेरबदल किया. फिर भी गुलशन राय डर की वजह से फिल्म के रिलीज के समय महाबलेश्वर चले गए थे.

5 मई 1978 को रिलीज हुई ‘त्रिशूल’ फिल्म ने अमिताभ बच्चन की ‘एंग्री यंगमैन’ वाली करिश्माई छवि और भी सशक्त किया. त्रिमूर्ति फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता भी गुलशन राय थे. डायरेक्टर यश चोपड़ा ही थे. कहानी सलीम-जावेद ने लिखी थी. फिल्म में हमें अमिताभ बच्चन के अलावा, शशि कपूर, संजीव कुमार, हेमा मालिनी, राखी, पूनम ढिल्लों और सचिन पिलगांवकर नजर आए थे. पूनम ढिल्लों की यह डेब्यू मूवी थी. म्यूजिक खैय्याम का था. गीत साहिर लुधियानिवी ने लिखे थे.

त्रिशूल फिल्म बहुत ही पावरफुल फिल्म मानी जाती है. पिता-पुत्र के संबंधों को तल्ख अंदाज में दिखाती है. यह फिल्म भी ट्रेंड सेटर साबित हुई. आगे चलकर पिता-पुत्र के तल्ख संबंधों पर कई फिल्में बनाई गईं. जहां दीवार एक्शन फिल्म थी, कभी-कभी म्यूजिकल रोमांटिक ड्रामा थी तो वहीं त्रिशूल फैमिली एक्शन ड्रामा थी. डायलॉग्स और एक्शन बेजोड़ था. फिल्म में अमिताभ बच्चन के एंबुलेंस वाले फाइट सीन टर्निंग प्वॉइंट बने. फिल्म की सफलता में अहम भूमिका निभाई.

त्रिशूल मूवी में कलाकारों के बीच उम्र का गणित हैरान करने वाला था. फिल्म में संजीव कुमार ने अमिताभ बच्चन और शशि कपूर के पिता की भूमिका निभाई थी. हकीकत में वह शशि कपूर से उम्र में करीब चार साल छोटे थे. शशि कपूर फिल्म मेंअमिताभ के बड़े भाई बने हुए थे. रियल लाइफ में वो उम्र में बड़े थे.
[ad_2]
Source link