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Sanjay Kapoor Property Dispute: दिल्ली हाईकोर्ट में संजय कपूर की 30,000 करोड़ की संपत्ति पर करिश्मा कपूर के बच्चों समायरा और कियान ने हिस्सेदारी मांगी है. उन्होंने प्रिया कपूर पर वसीयत में हेरफेर का आरोप लगाया …और पढ़ें

30 हजार करोड़ की जंग! करिश्मा कपूर के बच्चों को मिलेगा हक या सबकुछ जाएगा प्रिया के पास? क्या कहता है कानून
दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट में दिवंगत उद्योगपति और सोना कॉमस्टार के चेयरमैन संजय कपूर की संपत्ति को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है. बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चे समायरा और कियान ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए अपने पिता की करीब 30,000 करोड़ रुपये की संपत्ति में बराबर हिस्सेदारी की मांग की है. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार (10 सितंबर) को एक अहम आदेश देते हुए दिवंगत उद्योगपति संजय कपूर की पत्नी प्रिया कपूर को निर्देश दिया है कि वे अपने पति की सभी निजी संपत्तियों का पूरा विवरण कोर्ट में पेश करें. यह मामला बॉलीवुड अभिनेत्री करिश्मा कपूर के बच्चों द्वारा दायर किए गए एक वाद से जुड़ा है. करिश्मा कपूर और संजय कपूर के तलाक के बाद, बच्चों ने अपने पिता की निजी संपत्तियों में हिस्सेदारी की मांग की है. इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया.

संजय कपूर का जून 2025 में हुआ था निधन

संजय कपूर का निधन जून 2025 में हुआ था. उनकी मौत के समय वे अपनी तीसरी पत्नी प्रिया कपूर के साथ विवाहित थे, जिनसे उनका एक बेटा भी है. इससे पहले संजय की शादी करिश्मा कपूर से हुई थी, जिनसे उनके दो बच्चे समायरा और कियान हैं.

बच्चों का आरोप
करिश्मा कपूर के बच्चों का आरोप है कि उनकी सौतेली मां प्रिया कपूर ने पिता की वसीयत (Will) में हेरफेर कर पूरी संपत्ति पर कब्जा करने की कोशिश की है. उनका कहना है कि प्रिया ने अपने सहयोगियों दिनेश अग्रवाल और नितिन शर्मा के साथ मिलकर वसीयत को सात हफ्तों तक छुपाकर रखा और 30 जुलाई 2025 को परिवार की बैठक में इसे पेश किया.
बच्चों का आरोप है कि यह वसीयत असली नहीं है, बल्कि फर्जी तरीके से तैयार की गई है. उन्होंने कहा कि न तो उन्हें वसीयत की असली कॉपी दिखाई गई और न ही उसकी कोई प्रति दी गई. शुरुआत में प्रिया ने दावा किया था कि कोई वसीयत है ही नहीं और संजय कपूर की सारी संपत्ति आर.के.फैमिली ट्रस्ट के अधीन है. लेकिन बाद में उन्होंने 21 मार्च 2025 की तारीख वाली वसीयत पेश की और इसे असली बताया. इसी बात से बच्चों को संदेह हुआ कि वसीयत में गड़बड़ी है.

कानूनी चुनौती आसान नहीं
एडवोकेट शिस्बा चावला ने कहा कि किसी भी वसीयत को अदालत में जाली साबित करना आसान नहीं होता. वसीयत अपने आप में एक मजबूत कानूनी दस्तावेज होती है. इसे चुनौती देने वाले पक्ष को ठोस सबूत देने पड़ते हैं. जैसे कि दस्तखत नकली हैं, दस्तावेज धोखाधड़ी से तैयार किया गया है या गवाहों की भूमिका संदिग्ध है. बिना पुख्ता सबूतों के वसीयत को जाली साबित करना मुश्किल होता है. इस मामले की अगली सुनवाई 9 अक्टूबर 2025 को होगी. मामले में वादी पक्ष की ओर से करिश्मा कपूर अपने दोनों बच्चों की पैरवी कर रही हैं. वहीं प्रतिवादी पक्ष में प्रिया कपूर और उनका बेटा, संजय कपूर की मां तथा एक महिला शामिल हैं, जो खुद को वसीयत का निष्पादक (executor) बता रही हैं.

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30 हजार करोड़ की जंग..करिश्मा कपूर के बच्चों को मिलेगा हक? क्या कहता है कानून

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