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Lucknow News: यूपी के बदायूं में 39 साल तक वकालत करने वाले उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. उनकी किताब ‘जौ जिला बदाऊं है’ खूब सुर्खियां बटोर रही है. इस किताब की चा…और पढ़ें

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39 साल वकालत, फिर बने UP के राज्य सूचना आयुक्त, जानें कौन हैं स्वतंत्र प्रकाश

स्वतंत्र प्रकाश, राज्य सूचना आयुक्त उ.प्र.

हाइलाइट्स

  • स्वतंत्र प्रकाश की किताब ‘जौ जिला बदाऊं है’ सुर्खियों में है.
  • स्वतंत्र प्रकाश ने 39 साल तक वकालत की.
  • स्वतंत्र प्रकाश मार्च 2024 में राज्य सूचना आयुक्त बने.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त स्वतंत्र प्रकाश की कहानी बहुत ही दिलचस्प है. इनका जन्म 15 अप्रैल 1963 को यूपी के बदायूं जनपद में हुआ. स्वतंत्र प्रकाश की पढ़ाई स्नातक तक बदायूं जनपद से ही हुई. इसके बाद इन्होंने बरेली कॉलेज से अपनी विधि की पढ़ाई पूरी की. स्वतंत्र प्रकाश ने मात्र 20 साल की आयु में ही विधि की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली थी. इसके बाद इन्होंने 39 सालों तक जिला एवं सत्र न्यायालय बदायूं में वकालत की.

बेटे की सफलता में पिता का रहा मुख्य योगदान 

स्वतंत्र प्रकाश ने लोकल 18 से बात करते हुए बताया कि हम सबके जीवन में पिता का बहुत बड़ा योगदान होता है. स्वतंत्र प्रकाश के जीवन में भी उनके पिता सुदर्शन लाल का बहुत बड़ा योगदान रहा है. पिता ने संघर्ष कर बेटे को पढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. स्वतंत्र प्रकाश ने बताया कि पिता का उनके जीवन में एक पिता जैसा नहीं बल्कि एक दोस्त जैसा संबंध रहा है. इनके जीवन में पिता ने जीवन की हर परिस्थिति में एक दोस्त जैसा साथ दिया.

प्रतिभा के चलते बनाए गए राज्य सूचना आयुक्त

स्वतंत्र प्रकाश एक अनुभवी विधिवेत्ता हैं. इनकी इसी प्रतिभा के चलते इनका चयन उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त के रूप में मार्च 2024 हुआ. उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त के पद पर रहते हुए यह अपने विधि ज्ञान का पूरा लाभ आयोग को दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि आदमी छोटी जगह और सामान्य परिस्थितियों में पैदा होकर भी असाधारण परिणाम दे सकता है.

‘जौ जिला बदाऊं है’ किताब बटोर रही सुर्खियां

स्वतंत्र प्रकाश की शुरुआत से ही पढ़ने लिखने में काफी रुचि रही है. इनके लेख और संपादकीय अक्सर विभिन्न अखबारों में प्रकाशित होते रहते हैं. इन्होंने ‘जौ जिला बदाऊं है’ नामक प्रसिद्ध पुस्तक भी लिखी है, जो कि इस समय बाजार में बहुत धड़ल्ले से सुर्खियां बटोर रही है. इस पुस्तक में ऐसे प्रसंग उठाए गए हैं, जिन पर पढ़ने को बहुत कम मिलता है.

इस किताब में जैसे चबूतरों पर होने वाली बातें, जेबकतरे तथा सट्टेबाजी में प्रयोग होने वाले शब्द. जैसे- रमूश आदि लिखे गए हैं. ‘जौ जिला बदाऊं’ नामक पुस्तक में ग्रामीण परिदृश्य का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है. इसमें ग्रामीण परिदृश्य का भोलापन, परंपरा आदि अचंभित कर देती है. इस पुस्तक में परसोना की तवायफ नामक कहानी, अवध की नवाबी शैली के साथ जोड़कर बदायूं को जीवंत करती है.

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39 साल वकालत, फिर बने UP के राज्य सूचना आयुक्त, जानें कौन हैं स्वतंत्र प्रकाश

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