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देवरिया: कुछ बच्चे इतने टैलेंटेड होते हैं कि उनकी उम्र और उनके कारनामे देखने वाले आश्चर्य में पड़ जाते हैं. ऐसे टैलेंट बहुत ही कम बच्चों में देखने को मिलते हैं. कोई बच्चा/बच्ची छोटी उम्र में ऐसा आर्ट बना देंगे कि अपनी आंखों पर भरोसा नहीं होगा. इसी तरह एक बच्चा छोटी उम्र में ही महान कवियों में शामिल होने की तरफ बढ़ रहा है. बच्चे का नाम अर्णव पाण्डेय है. इसके पिता वरुण पाण्डेय आजमगढ़ के निवासी हैं, लेकिन अर्णव का जन्म देवरिया में हुआ. अर्णव अभी वहीं रहता है.

अर्णव की मां सरकारी टीचर हैं. उसके माता-पिता ने उसे शुरू से ही ज्ञान और रचनात्मकता की ओर प्रेरित किया जिससे वह इतनी छोटी उम्र में ही महान कवियों की श्रेणी में शामिल होने की ओर बढ़ रहा है. अर्णव जब सिर्फ तीन साल का था तभी उसने पहली बार कविता बनाने की कोशिश की. उसके पिता खुद एक लेखक और कवि हैं, लेकिन अर्णव के जन्म के बाद ही उन्होंने कविता लिखना शुरू किया था. जब उन्होंने अपने नन्हे बेटे को पहली बार शब्दों की तुकबंदी करते सुना, तो उन्हें विश्वास हो गया कि यह बच्चा असाधारण प्रतिभा का धनी है.

अर्णव की सबसे खास बात यह है कि वह बिल्कुल तुरंत-तुरंत कविता बना सकता है. कोई भी विषय दिया जाए वह चंद सेकेंड में उस पर तुकबंदी करके एक सुंदर कविता सुना सकता है. उसका यही टैलेंट उसे दूसरों से अलग बनाता है.

स्कूल में सबसे लोकप्रिय छात्र
अर्णव सेठ जयपुरिया स्कूल में पढ़ता है जहां उसके दोस्त, शिक्षक और प्रधानाचार्य तक उसकी कविताओं के मुरीद हैं. जब भी कोई खास अवसर होता है अर्णव से कविता सुनाने की फरमाइश की जाती है. सुबह की प्रार्थना सभा में अक्सर उसे मंच पर बुलाया जाता है और वह बिना किसी तैयारी के कविता सुना देता है.

एक दिन हिंदी के शिक्षक ने उसे चुनौती दी “अर्णव, अगर मैं कहूँ कि बारिश पर एक कविता सुनाओ, तो तुम सुना सकते हो?” अर्णव मुस्कुराया और बिना रुके बोल पड़ा-

“टिप-टिप बूंदें गिरे जमीन पर,
धरती ले नयी अंगड़ाई,
मेंढक गाए तान सुरीली,
किसान की मुस्कान आई.”

इस कविता पर पूरी कक्षा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी और टीचर भी दंग रह गए.

टीवी चैनलों पर छाया नन्हा कवि
अर्णव की लोकप्रियता सिर्फ स्कूल तक ही सीमित नहीं है. जब उसके कविता पाठ के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए तो कई टीवी चैनलों ने उसका इंटरव्यू लिया. वह दूरदर्शन समेत कई प्रमुख न्यूज़ चैनलों में आ चुका है. बड़े साहित्यकार भी उसकी प्रतिभा को देखकर चकित रह जाते हैं. कोई भी विषय हो देशभक्ति से लेकर प्रकृति, दोस्ती, खेल और माता-पिता सहित किसी भी विषय पर अर्णव झटपट कविता बना देता है.

क्रिकेट का भी शौक
अर्णव को क्रिकेट खेलने का भी बहुत शौक है. जब वह कविता नहीं लिख रहा होता तब वह अपने दोस्तों के साथ बैट-बॉल लेकर मैदान में उतर जाता है. उसका सपना है कि वह बड़ा होकर एक क्रिकेटर और कवि, दोनों बने.

अर्णव का सपना
अर्णव कहता है, “मैं चाहता हूं कि मेरी कविताएं दुनिया भर के लोग सुनें और मैं क्रिकेट में भारत का नाम रोशन करूं.” उसकी लगन, मेहनत और अद्भुत प्रतिभा देखकर उसके माता-पिता, शिक्षक और दोस्त सभी उसे खूब प्रोत्साहित करते हैं. शायद आने वाले दिनों में अर्णव का नाम भारत के बड़े कवियों और क्रिकेटरों में शुमार हो.

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