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Famous Kulfi: झारखंड के हजारीबाग की श्री बहरू कुल्फी का नाम शहर का बच्चा-बच्चा जानता है. 70 साल पुरानी कुल्फी के स्वाद में आज भी कोई बदलाव नहीं है. इस कुल्फी के दीवाने विधायक से लेकर मंत्री और विदेशी भी हैं..

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70 साल पुरानी कुल्फी, इस शहर में 3 पीढ़ियां चख चुकीं मिठास, सांसद-मंत्री खड़े होकर लेते हैं स्वाद

कुल्फी 

हाइलाइट्स

  • हजारीबाग की श्री बहरू कुल्फी 70 साल पुरानी है
  • सांसद, मंत्री और विदेशी भी इस कुल्फी के दीवाने हैं
  • कुल्फी तीन प्रकार की होती है, कीमत 30-50 रुपये

हजारीबाग: गर्मी की आहट के साथ हजारीबाग में कुल्फी के दीवाने स्वाद लेने के लिए कुल्फी के ठेलों पर पहुंचने लगे हैं. इस शहर में क्या बच्चे, क्या बड़े हर उम्र के लोग कुल्फी का स्वाद जमकर उठाते हैं. लेकिन, इन सबके बीच झंडा चौक पर स्थित ‘श्री बहरू कुल्फी’ स्टॉल की बात कुछ अलग है. गर्मी की हर शाम यहां भीड़ दिख जाएगी. यहां 70 साल पुराना स्वाद आज भी बरकरार है.

70 साल पुरानी मिठास बना रही दीवाना
श्री बहरू कुल्फी के उमेश गोप बताते हैं कि इस स्टॉल की शुरुआत उनके पिता स्व. डोमन गोप ने 1955 में की थी. उनके पिता हल्का ऊंचा सुनते थे, जिस कारण से लोग उन्हें बहरू के नाम से पुकारते थे. आगे चल कर उन्होंने इसी शब्द को दुकान का नाम बना दिया. 1955 से आज तक कुल्फी बनाने की पुरानी विधि अपनाई जा रही है, जिससे इसका स्वाद दशकों से जस का तस है. यही कारण है कि जो भी एक बार यहां की कुल्फी खा लेता है, वह लौटकर आता है.

शुद्धता-गुणवत्ता का खास ध्यान
आगे बताया, यहां शुद्धता और गुणवत्ता के कारण आज तक लोग इस कुल्फी को खूब पसंद करते हैं. गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए बाजार के बजाय घर के ही दूध का प्रयोग किया जाता है. यही कारण है कि लोग इसे खूब पसंद करते हैं. विदेश के लोग भी इसका स्वाद चख चुके हैं. मंत्री, सांसद, विधायक भी ठेले पर आकर कुल्फी का स्वाद लेते हैं. इसे पैक करवा कर भी घर ले जाते हैं.

तीन तरह की कुल्फी
दुकान पर तीन तरह की कुल्फी मिलती है. जो कीमत और सामग्री के अनुसार अलग-अलग है. पहली 30 रुपये वाली कुल्फी है, यह बिना मलाई की होती है. दूसरी 40 रुपये वाली कुल्फी है, इसमें मलाई की मात्रा होती है. यह ज्यादा गाढ़ी और स्वादिष्ट लगती है. तीसरी 50 रुपये वाली कुल्फी है, इसमें मलाई के साथ-साथ ड्राई फ्रूट्स भी रहते हैं. इस कारण इसका स्वाद जबरदस्त होता है.

ऐसे होती है तैयार
आगे बताया, कुल्फी बनाने के लिए सर्वप्रथम गाय के दूध को लकड़ी के चूल्हे के ऊपर पकाया जाता है. जब दूध पक जाता है, तब इसमें चीनी या गुड़ मिलाया जाता है. फिर इसमें इलायची, ड्राई फ्रूट आदि मिलकर कुल्फी के बॉक्स में पैक किया जाता है. इसे जमने के लिए दे दिया जाता है.

पीढ़ियों से चख रहे स्वाद
70 साल पुराने इस स्वाद को लोग पीढ़ियों से पसंद करते आ रहे हैं. हजारीबाग के हुडहुडु के रहने वाले विकास यादव कहते हैं कि वह सप्ताह में कम से कम दो बार इस कुल्फी का स्वाद लेने आते हैं. इस कुल्फी का सुझाव उनके पिता ने दिया था. वह आज दोस्तों और परिचितों को इसका स्वाद लेने का सुझाव देते हैं.

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70 साल पुरानी कुल्फी, 3 पीढ़ियां चख चुकीं मिठास, सांसद-मंत्री लेते हैं स्वाद

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