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लखनऊ. देश में सोने की कीमतें रोज़ नए रेकॉर्ड बना रही हैं, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आज़ादी के बाद से अब तक सोने की कीमतें कितनी बढ़ी हैं और किस प्रधानमंत्री के वेतन के मुकाबले सोने का भाव क्या रहा है? आज़ादी के शुरुआती दौर में जब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सत्ता में आए, तब उनका मासिक वेतन महज़ 3,000 रुपए था. उस वक्त 10 ग्राम सोना सिर्फ 88.62 रुपए में मिलता था. यानी नेहरू अपने वेतन से करीब 340 ग्राम सोना खरीद सकते थे.
अब अगर बात करें मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, जिनका मासिक वेतन करीब 1.66 लाख रुपए है, तो वह इससे सिर्फ 18.4 ग्राम सोना ही खरीद सकते हैं. वर्तमान में 10 ग्राम सोने की कीमत 90,000 रुपए से भी ऊपर पहुंच गई है. यह तुलना दिखाती है कि जहां प्रधानमंत्री का वेतन 55 गुना बढ़ा है, वहीं सोना 1015 गुना महंगा हो चुका है. यह असमानी वृद्धि दर्शाती है कि देश की अर्थव्यवस्था में महंगाई और सोने की मांग ने कैसे वर्षों में नया आकार लिया है.
1952 में सोने की कीमत थी इतनी
1952 में जब नेहरू देश के पहले आम चुनाव में जीतकर प्रधानमंत्री बने, तब सोने का भाव 76 रुपए प्रति 10 ग्राम था. 1957 में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के समय सोना 90 रुपए प्रति तोला था. 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान सोने की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव हुआ, जो 82 से 121.65 रुपए प्रति 10 ग्राम तक गया.
1947 से लेकर 2025 तक के प्रमुख प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में सोने की कीमतें (प्रति तोला) :
जवाहरलाल नेहरू (1947) – ₹88.62
गुलज़ारीलाल नंदा (1964) – ₹63
लाल बहादुर शास्त्री (1966) – ₹84
गुलज़ारीलाल नंदा (1966) – ₹84
इंदिरा गांधी (1977) – ₹486
मोरारजी देसाई (1979) – ₹937
चरण सिंह (1980) – ₹1330
इंदिरा गांधी (1984) – ₹1970
राजीव गांधी (1989) – ₹3,140
वी.पी. सिंह (1990) – ₹3,200
चंद्रशेखर (1991) – ₹3,466
पी.वी. नरसिंह राव (1996) – ₹5,160
अटल बिहारी वाजपेयी (1996) – ₹5,160
एच डी देव गौड़ा (1997)- ₹4,725
इंदर कुमार गुजराल (1998)- ₹4,045
अटल बिहारी वाजपेई (2004) – ₹5,850
डॉ. मनमोहन सिंह (2014) – ₹28,006
नरेंद्र मोदी (2019) – ₹35,220
नरेंद्र मोदी (2024) – ₹75,600
नरेंद्र मोदी (2025) – ₹90,000
78 वर्षों में सोने की कीमतों में लगभग 1015 गुना की वृद्धि
पिछले 78 वर्षों में सोने की कीमतों में लगभग 1015 गुना की वृद्धि हुई है, जहां 1947 में एक तोला सोना आम आदमी की पहुंच में था, वहीं अब यह एक लग्ज़री बन चुका है. सोने की बढ़ती कीमतों के पीछे कई कारण हैं. वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, डॉलर में गिरावट, महंगाई दर में वृद्धि, और भू-राजनीतिक तनावों की वजह से सोने के भाव बढ़े हैं. निवेशक भी सोने को सुरक्षित विकल्प मानते हैं. इसके चलते इसकी मांग बढ़ रही है और कीमतें आसमान छू रही हैं. उधर, इस महंगाई का बाजार पर भी असर पड़ा है. लोग मजबूरी में कम कीमत के गहने खरीद रहे हैं. ज़्यादातर लोग हल्की ज्वैलरी की डिमांड कर रहे हैं. हालांकि, निवेश के लिए लोग अब भी गोल्ड पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रहे हैं. वहीं ग्राहकों की पसंद के अनुसार व्यापारियो को भी अपनी ज्वैलरी की डिज़ाइन में बदलाव करने पड़ रहे हैं और 18 कैरेट और 22 कैरेट गोल्ड की डिमांड ज़्यादा है.
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