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HMPV से आखिर हमें कितना डरने की जरूरत है, डॉ. समीर भाटी ने किया इसका डिकोड, संकट पर सनसनी की जरूरत नहीं

Dr Sameer Bhati on HMPV: माना जा रहा है कि चीन में सांसों से संबंधित एक वायरस ने वहां के हेल्थ सिस्टम को पूरी तरह हिला दिया है. इसका नाम HMPV (मानव मेटान्यूमोवायरस) है. एचएमपीवी ने भारत में भी दस्तक दे दी है. इस बीमारी को लेकर लोग खौफ में हैं. कुछ इसकी तुलना कोविड-19 से कर रहे हैं. हालांकि भारत सरकार ने लोगों से अपील की है कि इसको लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है. इसके मामलों में वृद्धि से कोविड जैसा प्रकोप नहीं होगा.लेकिन एक्सपर्ट की मानें तो यह कोई नई बीमारी नहीं है. फिर सवाल उठता है कि आखिर ये बीमारी आई कहां से और ये कितनी पुरानी है. इसे लेकर न्यूज 18 ने हेल्थ एक्सपर्ट डॉ समीर भाटी से बात की.

कितना खतरनाक है यह
डॉ. समीर भाटी ने बताया कि HMPV सामान्य इंफ्लूएंजा जैसी ही होती है. इसमें भी सामान्य सर्दी-जुकाम होता है. यह सांसों से संबंधित वायरस है जो लंग्स और श्वास नली में इंफेक्शन पैदा करता है. यह सामान्य तौर पर ऐसी स्थितियां पैदा करती है जो सामान्य सर्दी या फ्लू में होता है.पहले से ऐसी बीमारियों या एलर्जी से ग्रस्त लोगों में इस वायरस का संक्रमण आम बात है. यह सांस से संबंधित परेशानियां ही पैदा करता है. सामान्य तौर पर यह अपर रिस्पारेटरी ट्रैक्ट या कभी-कभी लोअर रिस्पाइरेटरी ट्रैक्ट को संक्रमित करता है. इसमें भी सर्दी-जुकाम होता है. सामान्य तौर पर इसका बहुत ज्यादा गंभीर लक्षण सामने नहीं आता. हालांकि कुछ मामलों में यह गंभीर हो सकता है. छोटे बच्चे और बुजुर्गों में यह ज्यादा होता है. यह सेल्फ लिमिटिंग वायरस है जो कुछ दिनों में शरीर में अपना चक्र पूरा कर खत्म हो जाता है. चूंकि यह नया वायरस नहीं है और इसके बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं. इसलिए अब तक यह देखा गया है कि इसका कोई खास नया स्ट्रैन सामने नहीं आया है. यानी यह अपना रूप बहुत कम बदलता है और बदलता भी है तो कोरोना जितना खतरनाक है. कोरोना बिल्कुल नया वायरस था और उसके बारे में हम बहुत कुछ नहीं जानते थे.

कहां से शुरू हुई यह बीमारी
डॉ. समीर भाटी ने बताया कि HMPV नया नहीं है. यह 25 साल पुराना है. यानी 25 साल पहले इस वायरस की पहचान कर ली गई थी. 2001 में इसका पहला केस नीदरलैंड में आया था. 2005 में इसे अमेरिका में भी पहचाना गया और 2006 में इसे भारत में भी देखा गया. इसलिए यह नया वायरस नहीं है. इसके बारे में हम बहुत कुछ जानते हैं.

कितना संक्रामक है यह बीमारी
डॉ. समीर भाटी ने बताया कि यह बीमारी संक्रामक तो है लेकिन यह कहना मुश्किल है यह कोरोना जितना संक्रामक है. चूंकि यह वायरस सेल्फ लिमिटिंग है और यह ज्यादा म्यूटेट भी नहीं करता, इसलिए इसका सीमित प्रसार है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे बचने की जरूरत नहीं है.

कैसे बचें इसके संक्रमण से
डॉ. समीर भाटी के मुताबिक सरकार ने जो गाइडलाइंस जारी की है, उसी के मुताबिक हमें इससे बचना चाहिए. अगर कहीं यह मामला है तो वहां मास्क लगाना जरूरी है. चूंकि कोरोना की तरह ही एक इंसान से दूसरे इंसान में जा सकता है, इसलिए एक दूसरे से संपर्क में सतर्कता बरतने की जरूरत है. चाहे कोई भी सांसों से संबंधित इंफेक्शन हो, इसमें खांसते समय टिशू पेपर या रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए. हमेशा हाईजीन का ख्याल रखना चाहिए. किसी भी चीज को छूने से पहले हाथ धोना चाहिए. खासकर उन जगहों पर जहां इस रिस्पायरेटरी इंफेक्शन का खतरा ज्यादा है.

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