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saif ali khan news update: बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान के हमलावर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता का सेक्शन 109 नहीं जोड़ने पर कई कानूनी जानकारों ने इसका विरोध किया है. असल में यह सेक्शन हत्या के प्रयास का है और जा…और पढ़ें

सैफ अली खान के हमलावर पर क्यों नहीं लगाया BNS का सेक्शन 109, क्या बांग्लादेशी शरीफुल उम्रकैद की सजा से बच जाएगा?

सैफ अली खान पर हमला करने वाले पर नहीं लगा हत्या के प्रयास का सेक्शन

हाइलाइट्स

  • सैफ पर हमला करने वाले पर डकैती का केस।
  • कानूनी जानकारों ने IPC की धारा 109 न लगाने पर उठाए सवाल।
  • हत्या के प्रयास का मामला कमज़ोर होने की आशंका व्यक्त की।

मुंबई. सैफ अली खान के घर में घुसकर उन पर हमला करने वाले आरोपी शरीफुल इस्लाम शहजाद मोहम्मद रोहिल्ला अमीन फकीर उर्फ बिजॉय दास के खिलाफ मुंबई पुलिस ने केस कई धाराओं में दर्ज किया है. पर मुंबई पुलिस के एक सेक्शन नहीं लगाने के बाद से अब कई सवाल खड़े होने लगे हैं. कानून के जानकारों का कहना है कि आखिर मुंबई पुलिस ने आखिर ऐसा क्यों किया है.

सैफ अली खान पर हमला करने वाले आरोपी के खिलाफ पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 311 (डकैती या डकैती के प्रयास के साथ हत्या या गंभीर चोट पहुंचाने का प्रयास) इस सेक्शन में आरोपी को 7 साल तक की सजा हो सकती है, सेक्शन 312 (घातक हथियार के साथ डकैती या डकैती का प्रयास) इस सेक्शन में भी 7 साल तक की सजा हो सकती है और 331 (4) (6) (7) (घर में घुसपैठ) के तहत मामला दर्ज. सेक्शन 331 में दोषी साबित होने पर 14 साल तक की सजा का प्रवाधान है. पुलिस जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी शरीफुल फकीर बांग्लादेशी नागरिक है इसलिए विदेशी अधिनियम, 1946 और विदेशी आदेश, 1948 के तहत भी धाराएं जोड़ी गईं.

किस सेक्शन को जोड़ा जा सकता है
एडवोकेट प्रणव बधेका ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 109 को भी मुंबई पुलिस द्वारा लागू किया जा सकता है. हमले कि एफआईआर के अनुसार, जैसा कि मीडिया रिपोर्टों में देखा गया है, गर्दन और रीढ़ की हड्डी के क्षेत्रों में लगातार चाकू मारने से गंभीर चोटें आईं और हथियार रीढ़ की हड्डी में फंसा रह गया. यह चोट गंभीर और ‘बड़ी’ थी जैसा कि डॉक्टरों ने कहा और पुलिस को हत्या के प्रयास का आरोप लगाने पर विचार करना चाहिए था.

क्या है सेक्शन 109
भारतीय न्याय संहिता की धारा 109 के तहत, यदि कोई व्यक्ति ऐसी मंशा या जानकारी के साथ कोई कार्य करता है और ऐसी परिस्थितियों में कि यदि वह उस कार्य से मृत्यु का कारण बनता है, तो वह हत्या का दोषी होगा. इस अपराध के लिए उसे 10 साल की कैद की सजा दी जाएगी, और यदि पीड़ित को चोट लगती है, तो अपराधी को आजीवन कारावास या 10 साल की सजा हो सकती है.

वरिष्ठ वकील सतीश मानेशिंदे ने कहा कि पुलिस को इस मामले में हत्या के प्रयास का सेक्शन भी जोड़ना चाहिए, क्योंकि आमतौर पर कोई चोर इतनी बार चाकू नहीं मारता. चाकू के वारों की संख्या और गंभीर चोटें आधा दर्जन हैं और हत्या के प्रयास का संकेत देती हैं. दोनों वकीलों और अन्य आपराधिक कानून के विशेषज्ञों ने कहा कि मामले में हत्या के प्रयास का आरोप जोड़ने की भी आवश्यकता है, क्योंकि यदि किसी कारण से डकैती का आरोप साबित नहीं होता है, तो मामला कमजोर हो सकता है.

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सैफ अली खान के हमलावर पर क्यों नहीं लगाया BNS का सेक्शन 109?

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