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India vs Pakistan: चैंपियंस ट्रॉफी से पहले इसके संभावित नतीजों की चर्चा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान में होने वाली बेईमानी के चर्चे भी खूब शेयर किए जा रहे हैं.

अंपायर उंगली ऊपर करके बताते थे- अल्लाह कहां है… भारतीय दिग्गज ने सुनाए पाकिस्तान में अंपायरिंग के किस्से

पाकिस्तान क्रिकेट एक जमाने में खराब अंपायरिंग के लिए बदनाम था.

हाइलाइट्स

  • पाकिस्तान 19 फरवरी से आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी की मेजबानी करेगा.
  • इससे पहले पाकिस्तान में होने वाली खराब अंपायरिंग चर्चा में आ गई है.
  • मोहिंदर अमरनाथ ने सुनाए पाकिस्तान की पक्षपातपूर्ण अंपायरिंग के किस्से.

नई दिल्ली. भारतीय टीम गुरुवार से इंग्लैंड के खिलाफ वनडे सीरीज खेलेगी. तीन मैचों की यह सीरीज चैंपियंस ट्रॉफी से ठीक पहले हो रही है. चैंपियंस ट्रॉफी पाकिस्तान की मेजबानी में हो रही है, जिसका कई कारणों से बेसब्री से इंतजार है. एक तरफ इसके संभावित नतीजों की चर्चा है तो दूसरी तरफ पाकिस्तान में होने वाली बेईमानी के चर्चे भी खूब शेयर किए जा रहे हैं. एक ऐसा ही किस्सा मोहिंदर अमरनाथ ने सुनाया. जिमी ने कटाक्ष करते हुए कहा कि पाकिस्तान में अंपायर कभी बेईमानी नहीं करते. चैंपियंस ट्रॉफी 19 फरवरी से खेली जानी है.

मोहिंदर अमरनाथ ने हाल ही में जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान दौरे पर खेल और अंपायरिंग से लेकर शराब तक के किस्से सुनाए. मोहिंदर अमरनाथ ने इस दौरान पाकिस्तान के अंपायरों पर चुटकी लेते हुए कहा कि वे बिल्कुल पक्षपात नहीं करते थे. बॉलर अपील करते थे और पूछते थे कि अल्लाह कहां हैं तो अंपायर उंगली ऊपर करके बताते थे- ऊपर. इस तरह बल्लेबाज आउट हो जाते थे.’

दरअसल, पाकिस्तान में अंपायरिंग में पक्षपात को दो भाग में देखा जा सकता है. एक घरेलू अंपायरों का जमाना और दूसरा न्यूट्रल अंपायरों की एंट्री, जो 1989 में होती है. न्यूट्रल अंपायरों से पहले पाकिस्तान में पक्षपात अंपायरिंग की बात होने पर हमेशा जावेद मियांदाद का नाम लिया जाता था. 1970-80 के दशक में यह बात कही जाती थी कि जावेद को पाकिस्तान में कभी भी एलबीडब्ल्यू नहीं दिया जाता. यह बात पूरी तरह तो नहीं लेकिन काफी हद तक सही मालूम पड़ती है.

जावेद मियांदाद ने अपने टेस्ट करियर में 124 मैच खेले. यानी सुनील गावस्कर से एक टेस्ट मैच कम. अगर इन दोनों बैटर्स को एलबीडब्ल्यू आउट दिए जाने के आंकड़े देखें तो तस्वीर काफी हद तक साफ हो जाती है. मियांदाद अपने टेस्ट करियर में 32 बार एलबीडब्ल्यू हुए, लेकिन पाकिस्तान में ऐसा सिर्फ 8 बार देखने को मिला. जबकि देश – विदेश में उनके खेले गए टेस्ट मैचों में ज्यादा अंतर नहीं था. उन्होंने विदेश में 64 टेस्ट मैच खेले, जिनमें 24 बार एलबीडब्ल्यू हुए और देश में 60 टेस्ट में से सिर्फ 8 बार. इन 8 मौकों में भी 4 न्यूट्रल अंपायरिंग शुरू होने के बाद आए.

दूसरी ओर, सुनील गावस्कर अपने 125 टेस्ट के करियर में 17 बार एलबीडब्ल्यू आउट हुए. इनमें से 10 बार यानी आधे से ज्यादा बार उन्हें अपनी सरजमीं पर एलबीडब्ल्यू करार दिया गया. यानी गावस्कर को विदेश से ज्यादा देश में एलबीडब्ल्यू दिया गया, जो भारत में बेहतर अंपायरिंग का सबूत है.

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अंपायर उंगली ऊपर करके बताते- अल्लाह कहां है! पाकिस्तान में अंपायरिंग के किस्से

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