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Agency:News18 Uttar Pradesh
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Sonbhadra: चने की फली में इन दिनों एक रोग लगने की संभावना रहती है जिसमें इसकी पत्तियां पूरी तरह मुरझा जाती हैं, इसे उकठा रोग कहते हैं. इससे बचाव के लिए आपको ये उपाय समय रहते करने चाहिए.
![चने की फली में लग रहे हैं कीड़े तो तुरंत कर लें ये उपाय वर्ना सूख जाएगा पौधा! एक्सपर्ट ने बताए बचाव के तरीके चने की फली में लग रहे हैं कीड़े तो तुरंत कर लें ये उपाय वर्ना सूख जाएगा पौधा! एक्सपर्ट ने बताए बचाव के तरीके](https://images.news18.com/ibnkhabar/uploads/2025/02/HYP_4959319_cropped_05022025_200320_img_20250205_200311_waterm_1.jpg?impolicy=website&width=640&height=270)
चने की खेती में इस समस्या से हैं परेशान तो जानें समाधान
हाइलाइट्स
- चने की फसल को उकठा रोग से बचाने के उपाय.
- बीजोपचार से उकठा रोग का प्रभाव कम किया जा सकता है.
- रोग के लक्षण दिखने पर कवकनाशी का छिड़काव करें.
सोनभद्र. फसलों में कीट व रोगों का प्रकोप हर मौसम में देखने को मिलता है, लेकिन सर्दियों में तापमान कम रहने से फसलों में कीट व रोग लगने की ज्यादा संभावना रहती है. अगर समय पर इन कीटों व रोगों पर नियंत्रण नहीं किया जाए तो उत्पादन में कमी आ जाती है. यही नहीं, कई बार इन कीटों व रोगों की वजह से पूरी की पूरी फसल चौपट हो जाती है. इसलिए इसका समय रहते नियंत्रण करना बहुत ही जरूरी हो जाता है.
चने की फली पर लगने वाला रोग
आज हम बात करेंगे चने की फसल पर फली छेदक कीट व झुलसा रोग के प्रबंधन पर. इस समय देश के कई भागों में चने की फसल लगी हुई है. रबी फसलों में गेहूं के बाद चना ही सबसे महत्वपूर्ण फसल माना गया है. इसके बाजार में भाव भी अच्छे मिलते हैं.
चने की फसल को मुख्य रूप से उकठा रोग नुकसान पहुंचाता है. इस रोग का प्रकोप इतना भयावह है कि पूरा खेत इसकी चपेट में आ जाता है. इस रोग का प्रमुख कारक फ्यूजेरियम ऑक्सीस्पोरम प्रजाति साइसेरी नामक फफूंद है. यह मिट्टी और बीज से होने वाला रोग है. यह रोग पौधे में फली लगने तक किसी भी अवस्था में हो सकता है.
धीरे-धीरे फैलता है पूरे खेत में
उकठा रोग के लक्षण शुरुआत में खेत में छोटे-छोटे हिस्सों में दिखाई देते हैं और धीरे-धीरे पूरे खेत में फैल जाते हैं. इस रोग में पौधे की पत्तियां सूख जाती हैं, उसके बाद पूरा पौधा मुरझाकर सूख जाता है. ग्रसित पौधे की जड़ के पास चीरा लगाने पर उसमें काली-काली संरचना दिखाई पड़ती है.
क्या है उपाय
उकठा रोग की रोकथाम के लिए बुआई अक्टूबर के अंत या नवंबर के पहले हफ्ते में कर देनी चाहिए. कार्बेन्डाजिम 2.5 ग्राम या कार्बोक्सिन + 2 ग्राम थीरम या 2 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी + 1 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार करें. इससे फसल पर इस रोग का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा.
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
इस बारे में उप जिला कृषि अधिकारी हरेंद्र सिंह ने बताया कि फसल में उकठा रोग की शुरुआत होने पर कवकनाशी का सही मिश्रण और सुरक्षा उपाय अपनाने चाहिए. रोग के लक्षण दिखने पर कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. 0.2 प्रतिशत घोल का पौधों की जड़ में छिड़काव करें.
उकठा रोग कई दलहन फसलों में लगता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, जिस खेत में यह रोग फैल चुका हो, उसमें कुछ सालों तक अरहर की खेती नहीं करनी चाहिए. अगर आप चने की खेती कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान रखने से दोगुनी पैदावार हासिल कर सकते हैं.
Sonbhadra,Uttar Pradesh
February 06, 2025, 07:09 IST
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