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चार धाम दर्शन अब अलीगढ़ में 2 से 28 फरवरी तक आयोजित किए जा रहे हैं. इस खास प्रदर्शनी में लकड़ी का मंदिर मुख्य आकर्षण है, जो दर्शकों को एक दिव्य अनुभव देने वाला है. जानें कैसे आप बिना दूर जाए इस पवित्र यात्रा का…और पढ़ें
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अलीगढ़ नुमाइश में मौजूद चार धाम मंदिर.
हाइलाइट्स
- अलीगढ़ में 150 साल पुरानी नुमाइश में चार धाम दर्शन का आयोजन.
- 2 से 28 फरवरी तक चलने वाली नुमाइश में लकड़ी का मंदिर आकर्षण.
- चार धाम दर्शन के लिए सिर्फ 50 रुपये का टिकट.
अलीगढ़: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर में हर साल लगने वाली ऐतिहासिक नुमाइश एक बार फिर से सज चुकी है. लगभग 150 सालों से चली आ रही इस परंपरा को राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी भी कहा जाता है. इस बार अलीगढ़ की ये नुमाइश धार्मिक आस्था का खास केंद्र बनी हुई है. पहली बार यहाँ श्रद्धालुओं के लिए चार धाम दर्शन का अनोखा आयोजन किया गया है, जहां सिर्फ 50 रुपये के टिकट पर आप चारों धामों के दर्शन कर सकते हैं. 2 फरवरी से शुरू होकर यह नुमाइश 28 फरवरी तक चलेगी. हर साल लोग इस नुमाइश का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं.
चार धाम का भव्य मंदिर
अलीगढ़ की इस 150 साल पुरानी राजकीय औद्योगिक एवं कृषि प्रदर्शनी (नुमाइश) में इस बार धार्मिक रंग देखने को मिल रहा है. 2 फरवरी से 28 फरवरी तक चलने वाली इस नुमाइश में खास तौर पर चार धाम का एक अस्थायी मंदिर बनाया गया है. नुमाइश मैदान में बना यह मंदिर 80 फीट चौड़ा और 70 फीट ऊँचा है. लकड़ी से बने होने के कारण यह मंदिर जितना खूबसूरत है, उतना ही मजबूत भी. इसे बनाने में 20 से ज़्यादा मज़दूरों ने दिन-रात मेहनत की है.
इस मंदिर में श्रद्धालुओं को यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ जैसे पवित्र धामों की एक झलक देखने को मिल रही है. एक साथ 200 से 300 लोग इस मंदिर में दर्शन कर सकते हैं. चार धाम के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को सिर्फ 50 रुपये का टिकट लेना होगा. यह कीमत इसलिए कम रखी गई है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस पुण्य के भागी बन सकें. दर्शन सुचारू रूप से और सुरक्षित तरीके से हो सकें, इसके लिए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं.
लकड़ी से निर्मित अनोखा मंदिर
इस अस्थायी मंदिर की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह से लकड़ी से बनाया गया है. आम तौर पर ऐसे ढाँचे प्लास्टिक, लोहे या पत्थर से बनाए जाते हैं, लेकिन लकड़ी के इस्तेमाल ने इसे एक अलग ही आकर्षण दिया है. मंदिर के निर्माण के बाद इसमें देवी-देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित की गई हैं.
समय के साथ-साथ इस नुमाइश ने भी खुद को बदला है और कई नए रंग अपनाए हैं. हर साल यहां नए कार्यक्रम और आकर्षण जोड़े जाते हैं. पिछले साल जहां वैष्णो देवी और केदारनाथ धाम के मॉडल प्रस्तुत किए गए थे, वहीं इस साल चार धाम दर्शन का यह अनोखा आयोजन किया गया है. चार धाम के पीछे की कहानी ग्वालियर के सुनील कुमार खराटे ने रची है, जो इस पूरे आयोजन के प्रमुख आयोजक हैं. उन्होंने बताया कि यह उनका 126वाँ प्रोजेक्ट है. इससे पहले वे कई जगहों पर चार धाम मॉडल का निर्माण कर चुके हैं. उनका कहना है कि इस नुमाइश में लोगों का चार धाम को लेकर काफ़ी उत्साह देखने को मिल रहा है.
Aligarh,Uttar Pradesh
February 18, 2025, 17:07 IST
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