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Agency:News18 Uttar Pradesh

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एक रिटायर्ड शिक्षक की पहल ने बलिया के चौरा गांव की तस्वीर बदल दी. जहां कभी अराजकता का माहौल था, वहां अब हर पूर्णिमा को सैकड़ों दीपों से गंगा आरती होती है. इस मुहिम ने न सिर्फ गांव में शांति लाई, बल्कि आसपास के …और पढ़ें

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शिक्षक की पहल! जिस गाँव में कभी थी अशांति, अब वहीं गूंज रही है गंगा आरती

गंगा आरती से बदली गांव की तस्वीर.

हाइलाइट्स

  • रिटायर्ड शिक्षक ने चौरा गांव में गंगा आरती स्थल बनाया.
  • गांव में शांति और सौहार्द बढ़ा, आसपास के लोग भी जुड़ रहे.
  • हर पूर्णिमा को शाम 5 बजे भव्य गंगा आरती होती है.

बलिया: एक रिटायर्ड शिक्षक की पहल ने पूरे गांव की तस्वीर बदल दी. नौकरी से सेवानिवृत्त होने के बाद इस शिक्षक ने गांव में ऐसी अनोखी शुरुआत की, जिसने धीरे-धीरे सैकड़ों लोगों को जोड़ लिया. जिसका असर इतना गहरा हुआ कि अब आसपास के गांवों के लोग भी इस मुहिम से जुड़ने लगे हैं.
बलिया जिले के चौरा गांव में सरयू और गंगा से जुड़ी मगई नदी के किनारे पहले जंगल और झाड़ियां हुआ करती थीं. जहां गांव के कुछ बच्चे बैठकर लड़ाई-झगड़ा करते और माहौल बिगाड़ते थे. लेकिन अब वही जगह एक विशाल गंगा आरती स्थल में बदल गई है. गांववालों का कहना है कि इस पहल से कई फायदे हुए हैं, जहां पहले अशांति थी, अब वहां सकारात्मकता और आध्यात्मिक माहौल बन गया है.

रिटायर्ड शिक्षक की सोच ने बदल दी तस्वीर
रिटायर्ड शिक्षक ब्रह्मानंद पंडित बताते हैं, “सेवानिवृत्ति के बाद मैंने गांव की स्थिति को देखा और महसूस किया कि कुछ बदलाव जरूरी है. इसलिए मैंने अकेले ही मगई नदी के किनारे गंगा आरती शुरू कर दी. धीरे-धीरे कुछ और लोग मेरे साथ जुड़ने लगे, और देखते ही देखते यह संख्या सैकड़ों में बदल गई.”

इस पहल का असर…
अब इस आरती से आसपास के गांवों के लोग भी जुड़ने लगे हैं. ग्रामीणों, जिनमें डॉ. विश्वकर्मा शर्मा और संजय कुमार पांडेय भी शामिल हैं, का कहना है कि इस पहल का जबरदस्त असर हुआ है. गांव में झगड़े खत्म हो गए हैं, लोगों के बीच प्रेम और सौहार्द बढ़ा है, और जो बच्चे गलत रास्ते पर जा रहे थे, उनमें सुधार देखा जा रहा है.

कब होती है गंगा आरती?
इस विशाल गंगा आरती की शुरुआत को अब एक साल पूरा हो गया है. हर पूर्णिमा को बलिया जनपद के नरही थाना क्षेत्र के चौरा गांव में मगई नदी के किनारे शाम 5 बजे यह भव्य आरती होती है. सैकड़ों दीप जलाए जाते हैं और आरती के बाद प्रसाद भी वितरित किया जाता है.
एक शिक्षक की छोटी-सी पहल ने पूरे गांव को एक नई दिशा दी है. जिससे यह बदलाव सिर्फ अध्यात्म का नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार का भी उदाहरण बन चुका है.

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शिक्षक की पहल! जिस गाँव में कभी थी अशांति, अब वहीं गूंज रही है गंगा आरती

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