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Prayagraj News: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति का मकसद मृतक कर्मचारी के परिवार को अप्रत्याशित लाभ देना नहीं है, बल्कि आर्थिक संकट से उबारना है. कोर्ट ने चंचल सोनकर की याचिका खारिज कर दी, क्योंकि …और पढ़ें

अनुकंपा नौकरी का मकसद घर में चूल्हा जलता रहे… मालामाल बनाना नहीं: हाईकोर्ट

Allahabad High Court News: अनुकंपा नौकरी को लेकर हाईकोर्ट का अहम फैसला

हाइलाइट्स

  • अनुकंपा नियुक्ति का मकसद आर्थिक संकट से उबारना है.
  • कोर्ट ने चंचल सोनकर की याचिका खारिज कर दी.
  • पारिवारिक आय 60% से कम होने पर ही अनुकंपा नियुक्ति.

गौरव पांडे/प्रयागराज. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि मृतक आश्रित नियमावली के तहत अनुकंपा नियुक्तियों का मकसद मृतक कर्मचारी के परिवार को अप्रत्याशित लाभ पहुंचाना या रोजगार देना नहीं है. नियोक्ता को अचानक वित्तीय संकट में आए परिवार की आर्थिक स्थिति का आंकलन करना होता है, ताकि घर की रसोई की आग जलती रहे.

कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा नियुक्ति देने में अति उदार दृष्टिकोण नहीं अपनाया जा सकता, क्योंकि इससे ऐसी नियुक्तियों के लिए द्वार खुल जाएंगे और अपॉइंटमेंट में योग्यता पीछे छूट जाएगी. कोर्ट ने बैंक द्वारा परिवार की वित्तीय स्थिति मजबूत होने के आधार पर आश्रित की नियुक्ति की अर्जी खारिज करने के आदेश में कोई गलती नहीं पाई. जस्टिस अजय भनोट ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए बैंक के इनकार के बाद हाई कोर्ट में दायर याचिका खारिज कर दी.

ये है मामला
याचिकाकर्ता चंचल सोनकर के पति प्रयागराज में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारी थे. उनका अंतिम वेतन 1,18,800.14 रुपये था. 17 नवंबर 2022 को याचिकाकर्ता के पति की मृत्यु हो गई. इसके बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया गया. बैंक प्रबंधन ने 24 जुलाई को अर्जी निरस्त कर दी कि पारिवारिक मासिक आय मृतक के अंतिम वेतन के 75 प्रतिशत से कम नहीं है. कोर्ट ने कहा कि कर्मचारी की मृत्यु के कारण अचानक वित्तीय संकट से निपटने के लिए परिवार को अनुकंपा नियुक्तियां प्रदान की जाती हैं. बैंक कर्मचारियों की अनुकंपा नियुक्ति योजना, 2022 के खंड 5 के इस प्रावधान को जिसमें कहा गया है कि कोई परिवार तभी अनुकंपा नियुक्ति का हकदार होगा, जब सभी स्रोतों से परिवार की आय मृतक के अंतिम प्राप्त कुल वेतन के 60 प्रतिशत से कम हो.

कोर्ट ने कही ये बात
कोर्ट ने कहा कि लोक पदों पर नियुक्ति की पारदर्शी प्रक्रिया है. खुली प्रतियोगिता के जरिए आरक्षण नियमानुसार नियुक्तियां की जाती हैं. मृतक आश्रित नियुक्ति नियमावली इसका अपवाद है. यह सिर्फ कर्मचारी के परिवार पर अचानक आई आर्थिक विपत्ति से उबारने की व्यवस्था है. यह नियुक्ति का अधिकार सृजित नहीं करती.

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