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Antibiotic Use Hearing Loss: अगर आप एंटीबायोटिक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सतर्क हो जाएं. एक अध्ययन में दावा किया गया है कि अगर एंटीबायोटिक का बहुत ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो इससे सुनने की क्षमता परमानेंट …और पढ़ें

कान में बहरापन ला सकता है एंटीबायोटिक.
Antibiotic Use Hearing Loss: कान हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग है. इसका मुख्य काम आवाज को सुनना है लेकिन इसके अलावा भी हमारे कान के कई काम हैं. कान के तीन भाग होते हैं. बाहरी कान ध्वनि तरंगों को इकट्ठा करता है और उन्हें ईयर ड्रम तक पहुंचाता है. मध्य कान में ये तरंगें तीन छोटी हड्डियों द्वारा कंपन में बदल जाती हैं. आंतरिक कान इन कंपन को विद्युत संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक भेजता है, जिससे हम ध्वनि को पहचान पाते हैं. सुनने के अलावा कान का वेस्टिबुलर सिस्टम शरीर का संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है. कान का सीधा संबंध दिमाग से होता है, इसलिए यह दिमाग को भी प्रभावित करता है. ऐसे में कानों को बचाना बहुत जरूरी है. इसलिए यह जानना जरूरी है कि आपको बिना मतलब एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना है. अगर आपको बहुत ज्यादा एंटीबायोटिक को खाने की आदत है तो संभल जाएं क्योंकि इससे आपकी सुनाई देने की क्षमता पूरी तरह से खत्म हो सकती है.
परमानेंट बहरपान का खतरा
इंडियाना यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसीन के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया है कि एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से एमिनोग्लायकोसाइड की बीमारी हो जाती है. इस बीमारी में कान की कोशिकाओं अपने आप मरने लगती है. अगर यह यह ज्यादा दिनों तक जारी रहे तो कान की कोशिकाएं पूरी तरह से मर जाती है और एक समय ऐसा आता है जो सुनने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो जाती है. यह स्थायी और अस्थायी दोनों रूप में सामने आ सकता है. अध्ययन में कहा गया कि एंटीबायोटिक कान के सेल्स में दखलअंदाजी करते हैं और इससे सुनाई को संभव बनाने वाली कोशिकाओं में ऑटोफेजी की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. ऑटोफेजी की प्रक्रिया में कोशिकाएं टूटने लगती है और खुद के कंपोनेंट से दोबारा इसे रिसाइकिल कर देती है. लेकिन इस मामले में रिसाइकिल करने के बदले वे मरने लगती है. यही कारण है कि इससे स्थायी रूप से सुनने की क्षमता खत्म हो सकती है.
कान को सही रखने के लिए क्या करें
कान को सुरक्षित रखने के लिए सबसे पहला नियम यह है कि ज्यादा शोर वाली आवाज के पास न रहें. तेज आवाज कान के लिए सबसे बड़ा दुश्मन है. करीब 60 प्रतिशत लोगों का कान इसलिए खराब हो जाता है क्योंकि वह बहुत ज्यादा शोर में रहता है. कान में किसी तरह की चीज को अंदर न करें. चाहे वह कॉटन स्वैब हो या माचिश की तीली किसी भी परिस्थिति में कान में डालें. यह कान को डैमेज कर सकता है. कान में पानी भी न जाने दें. ज्यादा तनाव लेने से भी कान खराब हो सकता है. वहीं कान की जांच भी समय-समय पर कराते रहें और अंत में रिसर्च के हिसाब से बिना मतलब या लंबे समय तक एंटीबायोटिक का इस्तेमाल न करें.
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