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बारिश के मौसम में आयुर्वेद के अनुसार वात और पित्त दोष बढ़ने से पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है. हल्का, गर्म और ताजा भोजन करें. साफ-सफाई, हल्का व्यायाम और गुनगुने पानी से नहाना फायदेमंद है.

बारिश में उभर जाता है जोड़ों का दर्द? जान लें कितने तापमान में खाना चाहिए खाना, सर्दी-जुकाम का भी नहीं रहेगा डर

हाइलाइट्स

  • हल्का, गर्म और ताजा भोजन करें.
  • गुनगुने पानी से नहाना फायदेमंद है.
  • हल्का व्यायाम और साफ-सफाई जरूरी है.

बारिश का मौसम जहां मन को सुकून देता है, वहीं सेहत के लिहाज से यह समय कई तरह की चुनौतियां भी लेकर आता है. आयुर्वेद के अनुसार इस मौसम में वात और पित्त दोष का प्रभाव शरीर पर बढ़ने लगता है, जिससे पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है और बीमारियों की संभावना भी बढ़ जाती है. ठंडी और नम हवा शरीर की प्राकृतिक गर्मी को कम कर देती है, जिससे थकान, जोड़ों में दर्द, अपच, गैस और त्वचा से जुड़ी समस्याएं उभर सकती हैं. यही वजह है कि इस मौसम में खानपान और दिनचर्या को लेकर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए ताकि शरीर में संतुलन बना रहे और रोगों से बचाव हो सके.

आयुर्वेद में ‘ऋतुचर्या’ यानी मौसम के अनुसार जीवनशैली अपनाने की परंपरा है. इसमें बताया गया है कि कैसे हर मौसम के अनुसार आहार और दिनचर्या में बदलाव करके हम अपने शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं. बारिश के मौसम में पाचन की अग्नि मंद पड़ जाती है, इसलिए इस समय भारी, तला-भुना और बासी भोजन करने से बचना चाहिए. इसकी जगह हल्का, गर्म और ताजा भोजन करना सबसे अच्छा होता है. उबली हुई या भुनी हुई चीजें, खिचड़ी, मूंग दाल और सूप जैसे खाद्य पदार्थ पाचन में मदद करते हैं और शरीर को ऊर्जा देते हैं. साथ ही, रोजमर्रा की दिनचर्या में भी बदलाव जरूरी होता है.

दिन की शुरुआत हल्के व्यायाम या योग से करें, ताकि शरीर में वात संतुलित रहे. बारिश में भीगने या गीले कपड़े पहनने से सर्दी-जुकाम हो सकता है, इसलिए खुद को सूखा और गर्म रखना जरूरी है. गुनगुने पानी से नहाना, खासकर अगर उसमें नीम या तुलसी के पत्ते डाले जाएं, त्वचा को संक्रमण से बचा सकता है. तिल या सरसों के तेल की मालिश भी शरीर को गर्मी देने और वात दोष को कम करने में फायदेमंद होती है.

साफ-सफाई इस मौसम में सबसे अहम भूमिका निभाती है. क्योंकि नमी के कारण संक्रमण और फंगल इंफेक्शन का खतरा काफी बढ़ जाता है. फल और सब्जियों को धोकर ही सेवन करें और पैरों को हमेशा साफ और सूखा रखें. बारिश के दौरान पर्याप्त नींद लेना और तनाव से दूर रहना भी जरूरी है, क्योंकि मानसिक तनाव भी वात और पित्त दोष को बढ़ा सकता है. इस तरह आयुर्वेदिक सिद्धांतों और प्राकृतिक उपायों को अपनाकर हम बारिश के मौसम में भी अपने शरीर को स्वस्थ और संतुलित बनाए रख सकते हैं.

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Vividha Singh

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 2 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18…और पढ़ें

विविधा सिंह न्यूज18 हिंदी (NEWS18) में पत्रकार हैं. इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में बैचलर और मास्टर्स की डिग्री हासिल की है. पत्रकारिता के क्षेत्र में ये 2 वर्षों से काम कर रही हैं. फिलहाल न्यूज18… और पढ़ें

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बारिश में उभर जाता है जोड़ों का दर्द? जान लें कितने तापमान में खाना चाहिए खाना

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