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Nirgundi benefits: आयुर्वेद में निरगुंडी पत्ते के अद्भुत गुणों के बारे में बताया गया है. निरगुंडी का पत्ता गठिया और बवासीर के दर्द को प्राकृतिक रूप से कम करने में बेहद कारगर है. यह साइटिका के दर्द से भी आराम दि…और पढ़ें

चाहे गठिया का दर्द हो या बवासीर का, सबको चूसकर निगल लेता है यह पत्ता, कई मर्ज का एक साथ इलाज, आयुर्वेद का शंहशाह

निरगुंडी के पत्तों के फायदे.

Nirgundi benefits : प्रकृति ने हमें कई ऐसे औषधीय पौधे दिए हैं जो बिना किसी नुकसान के हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं. आयुर्वेद में इन पौधों का विशेष महत्व बताया गया है. इन्हीं में से एक है निर्गुंडी. यह दिखने में छोटा सा पौधा है, लेकिन इसके गुण अद्भुत हैं. पुराने समय से लेकर आज तक लोग इस बूटी का घरेलू उपचार के रूप में इस्तेमाल करते आ रहे हैं. इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि यह आसानी से मिल जाता है और इसका उपयोग करना भी सरल होता है. निरगुंडी के पत्ते से कई बीमारियों का इलाज किया जाता है. चाहे वह साइटिका का दर्द हो, बवासीर का दर्द हो या जोड़ों और गठिया का दर्द है, सभी तरह के दर्द से निरगुंडी का पत्ता राहत दिलाता है.

पत्तों से कई तरह के दर्द में राहत
निर्गुंडी सायटिका और गठिया के दर्द की उत्तम दवा मानी जाती है. सायटिका में कमर से लेकर पैर तक तेज दर्द होता है जो चलने-फिरने में तकलीफ देता है. इस दर्द में निर्गुंडी के पत्ते बहुत लाभकारी होते हैं. इसके पत्तों को पानी में उबालकर जो भाप निकलती है, उससे प्रभावित जगह पर सेक करने से काफी राहत मिलती है. इसके अलावा निर्गुंडी के ताजे पत्तों को पीसकर गरम करके दर्द वाले हिस्से पर लगाने से सूजन और दर्द दोनों में आराम मिलता है. इतना ही नहीं यह हड्डियों के दर्द और मांसपेशियों में सूजन से होने वाले किसी तरह के दर्द से राहत दिलाता है. इसे लगातार कुछ दिनों तक इस्तेमाल करने से सायटिका के पुराने दर्द में भी फर्क नजर आता है. गठिया और वात रोग में निर्गुंडी के पत्तों का चूर्ण गरम पानी के साथ लेने से आराम मिलता है. यह शरीर की सूजन को कम करता है और दर्द में राहत देता है. बवासीर में भी इसकी जड़ का चूर्ण फायदेमंद होता है. यह बालों के लिए भी उपयोगी है. इसके पत्तों का तेल तिल के तेल में मिलाकर सिर पर लगाने से सफेद बालों और स्किन इंफेक्शन में मदद मिलती है.

दिमाग और स्किन के लिए भी फायदेमंद
इसकी पत्तियों से बना काढ़ा सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है. इसके लिए कुछ पत्तियों को पानी में अच्छे से उबाल लें. चाहें तो इसमें लौंग, दालचीनी या अदरक भी मिला सकते हैं ताकि स्वाद और असर दोनों बढ़ जाएं. तैयार काढ़े को रोजाना पीने से शरीर को कई फायदे मिलते हैं. वहीं, त्वचा की देखभाल के लिए निर्गुंडी तेल की कुछ बूंदें नारियल या तिल के तेल में मिलाकर उपयोग करें. इसे सीधे त्वचा पर लगाने से पहले अच्छे से मिला लें. निर्गुंडी जुकाम, सिरदर्द, आमवात और जोड़ों की सूजन में राहत देती है. यह पचने में हल्की होती है और दिमाग को तेज करती है. यह आंखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करती है. साथ ही पेट के कीड़े, शूल, सूजन, कोढ़ और बुखार जैसी समस्याओं में भी यह असरदार होती है. इसके पत्तों में खून साफ करने की भी क्षमता होती है. स्लिप डिस्क और पीठ दर्द में निर्गुंडी बहुत कारगर मानी जाती है. इसके लिए 250 ग्राम पत्तों को 1.5 लीटर पानी में उबालें और उस पानी से हलवा बनाकर रोज सुबह खाली पेट खाएं. यह पूरी तरह प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है. लेकिन ध्यान रहे कि जिन लोगों को ब्लड प्रेशर की समस्या है या पित्त का प्रकोप बढ़ा हुआ है, वे निर्गुंडी या इससे संबंधित किसी भी औषधीय प्रयोग को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें. (इनपुट-आईएएनएस)

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LAKSHMI NARAYAN

Excelled with colors in media industry, enriched more than 16 years of professional experience. Lakshmi Narayan contributed to all genres viz print, television and digital media. he professed his contribution i…और पढ़ें

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चाहे गठिया का दर्द हो या बवासीर का, सबको चूसकर निगल लेता है यह पत्ता

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